Published - 04 Jan 2021 by Tractor Junction
उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित रुहेलखंड विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों के लिए दो नए कोर्स शुरू करने जा रहा है। यह कोर्स मखाने की खेती और बेंबो फार्मिंग से संबंधित है। इसको लेकर विश्वविद्यालय ने प्रस्ताव तैयार कर नेशनल हार्टीकल्चर मिशन और बेंबू बोर्ड को भेजा है। वहां से स्वीकृति मिलने पर विश्वविद्यालय ये कोर्स शुरू कर देगा। विश्वविद्यालय में ये कोर्स शुरू हो जाने से काफी विद्यार्थियों को फायदा होगा।
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मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय प्लांट साइंस विभाग में दो नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने को लेकर भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार विवि के बॉटनिकल गार्डन में मखाने के की खेती के लिए तालाब तैयार होगा। वहीं बांस की कई प्रजातियों को तैयार करने के लिए टिश्यू कल्चर तकनीक की मदद ली जाएगी। इन दोनों प्रोजेक्ट के लिए रुहेलखंड विवि की ओर से प्रपोजल नेशनल हार्टीकल्चर मिशन और बेंबू बोर्ड को भेजा जा रहा है। यह जानकारी कुलपति ने बॉटनिकल गार्डन के निरीक्षण के दौरान दी।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में पांच एकड़ में बॉटनिकल गार्डन तैयार किया गया है। पहले यह दो एकड़ में था बाद में विस्तार देते हुए इसको पांच एकड़ कर दिया गया। विवि में बांस की काला, सफेद, और हरे प्रजाति को टिश्यू कल्चर की मदद से तैयार किया है। विभाग बॉटनिकल गार्डन में दस प्रजाति के बांस तैयार कर उनको विकसित करेगा और लोगों को पौधे देकर रोजगार में मदद करेगा। यह सारी कवायद मखाने की खेती और बैंबू फार्मिंग को लेकर शुरू होने जा रहे सर्टिफिकेट कोर्स को लेकर की जा रही है। विभाग की ओर से दोनों कोर्स का सिलेबस तैयार किया जा चुका है। अब ढांचा तैयार होने के बाद इसको शुरू कर दिया जाएगा।
बॉटनिकल गार्डन को खूबसूरत बनाने के लिए इसकी बाउंड्री तार से या भी दीवार से नहीं बनेगी। इसकी बाउंड्री पौधों और लताओं की मदद से तैयार होगी। कुलपति ने विभागाध्यक्ष को प्राकृतिक बाउंड्री तैयार करने के लिए क्लाइंबर जोन तैयार करने को कहा है। इसके साथ ही बॉटनिकल गार्डन में हैंगिंग गार्डन भी तैयार किया जाना है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय राज्य का पहला धान संकर बीज जारी करने की तैयारी में है। बीएयू के वैज्ञानित तीन साल से इस प्रक्रिया में लगे हुए है। धान के संकर बीज उत्पादन का स्टेशन ट्रायल पूरा हो चुका है। अगले साल इसका मल्टी लोकेशन ट्रायल होगा। उसके बाद कागजी प्रक्रिया पूरी कर नई किस्म को किसानों के लिए जारी कर दिया जाएगा। उम्मीद है कि निजी कंपनियों से इसकी उत्पादकता 10 प्रतिशत से ज्यादा अधिक होगी। स्टेशन ट्रायल में अब तक यही परिणाम आया है लेकिन बीज फेल नहीं होने की गारंटी भी होगी। शोध की खास बात यह है कि बीएयू ने अल्प और मध्यम अवधि दोनों किस्म के बीज पर काम कर रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने लगभग 40 हाईब्रीड कंबिनेशन पर काम किया। इसमें छह कंबिनेशन से ही बेहतर पाए गए जिनपर काम चल रहा है।
बता दें कि राज्य में संकर किस्म के बीज के लिए किसानों को शत-प्रतिशत निजी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है। कुछ निजी कंपनियां धान के संकर बीज को भी लेकर आई हैं लेकिन कई बार उनका बीज फेल कर जाता है और सरकार को इसकी भरपाई करनी पड़ती है। इस देखते हुए सरकार ने अपना बीज निकालने का फैसला किया है। सरकारी स्तर पर भी ऐसे बीज का उत्पादन करने का कार्यक्रम बन चुका है। धान के संकर बीज उत्पादन पर नजर रखने की जिम्मेवारी बीएयू को दी गई है।
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