वैज्ञानिकों ने पेश की सरसों की नई किस्म, 132 दिन में देगी 22 क्विंटल की पैदावार

Share Product प्रकाशित - 30 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

वैज्ञानिकों ने पेश की सरसों की नई किस्म, 132 दिन में देगी 22 क्विंटल की पैदावार

जानें, सरसों की इस नई किस्म की खासियत और लाभ

देश में किसानों की आय बढ़ाने और फसलोत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार के साथ कृषि वैज्ञानिक भी अपना योगदान दे रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों की ओर से गेहूं, धान, मक्का, बाजरा, सरसों आदि कई ऐसी किस्में विकसित की गई है जो अधिक पैदावार देती हैं। इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली की ओर से सरसों की उन्नत किस्म “पूसा सरसों 32” विकसित की गई है। सरसों की यह किस्म सिंचित अवस्था और समय से बुआई के लिए बेहतर बताई जा रही है। सरसों किस्म, पूसा सरसों 32 को वर्ष 2021 में केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा किसानों के लिए जारी किया गया है।

क्या है पूसा सरसों 32 की विशेषताएं (What are the features of Pusa Mustard 32)

सरसों की पूसा सरसों 32 किस्म (Pusa Mustard 32) को जोन- 2 के लिए जारी किया गया है। इसमें राजस्थान (उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र), दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी क्षेत्र शामिल है। इन क्षेत्रों के किसान सरसों की इस किस्म की खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। पूसा सरसों 32 की इस किस्म की विशेषताएं इस प्रकार से हैं-

  • सरसों की यह किस्म रबी मौसम में समय से बुआई और सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त है।
  • सरसों की इस किस्म के पौधे के मुख्य तने की लंबाई 73 सेंटीमीटर तक होती है। इस किस्म का फली घनत्व बहुत अधिक हैं।
  • सरसों की यह किस्म 132 से 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
  • सरसों की इस किस्म की औसतन पैदावार 27.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • सरसों की इस किस्म की अधिकतम उपज क्षमता 33.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा 38 प्रतिशत तक पाई जाती है।
  • सरसों की यह किस्म कम जल के तनाव की स्थिति के लिए सहिष्णु है।

सरसों के साथ इधर मक्का की नई किस्म विकसित

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल की ओर से हरे चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन मक्का (HQPM) की संकर किस्म एच.क्यू.पी.एम.-28 विकसित की है। यह मक्के की संकर किस्म है जो उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त बताई जा रही है।

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मक्का (HQPM) की संकर किस्म एच.क्यू.पी.एम.-28 विशेषताएं

  • यह नई किस्म एच.क्यू.पी.एम. 28 अधिक पैदावार देने के साथ ही उर्वरक के प्रति क्रियाशील भी है।
  • यह किस्म पोषण से भरपूर व प्रमुख रोग मेडिस पत्ती झुलसा रोग के प्रतिरोधी है।
  • यह किस्म कीट फॉल आर्मी वर्म के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है।
  • मक्का की यह किस्म औसतन 141 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार दे सकती है।
  • मक्का की इस नई किस्म की अधिकतम उत्पादन क्षमता 220 क्विंटल प्रति एकड़ है।
  • यह किस्म बुवाई के बाद मात्र 60-70 दिन में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • इस किस्म का हरा चारा पौष्टिकता से भरपूर है जिसमें प्रोटीन 8.7 प्रतिशत, एसिड-डिटर्जेंट फाइबर 42.4 प्रतिशत, न्यूट्रल डिटर्जेंट फाइबर 65 प्रतिशत और कृत्रिम परिवेशीय पाचन शक्ति 54 प्रतिशत है।
  • मक्का की यह किस्म पोषण से भरपूर है व इसमें आवश्यक अमीनो एसिड लाइसिन और ट्रिप्टोफैन की मात्रा सामान्य मक्का की तुलना में दोगुनी है। 

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