नीम का देशी कीटनाशक : घर में बनाने की विधि जानें और हजारों रुपए बचाएं

Share Product Published - 19 Jul 2021 by Tractor Junction

नीम का देशी कीटनाशक : घर में बनाने की विधि जानें और हजारों रुपए बचाएं

नीम कीटनाशक  : रसायनिक टीकनाशकों के प्रभाव से मुक्त होगी खेती

नीम एक ऐसा अद्भुत पेड है जिसे वैद्य की संज्ञा दी जाती है। इसकी पत्तियों से लेकर तने पर उभरे सूखे छिलके, निबोली यहां तक की पत्तियों के तिनकों में भी औषधीय गुण छुपे रहते हैं। इससे  किसान भाई आसानी से बहुत कम लागत में घरेलू नीम कीटनाशक (Neem Insecticide)  बना सकते हैं। 

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 


नीम से घरेलू कीटनाशक बनाने की विधि

हम आपको बताते हैं कैसे बनाया जाए नीम से घरेलू कीटनाशक (जैविक कीटनाशक)। सबसे पहले 10 लीटर पानी लें। इसमें पांच किलोग्राम नीम की हरी या सूखी पत्तियां और बारीक पीसी हुई नीम की निंबोली, दस किलोग्राम छाछ और दो किलोग्राम गोमूत्र, एक किलोग्राम पीसा हुआ लहसुन इन सबको मिश्रित कर लें। एक लकडी से इनको अच्छी तरह से मिलाएं। इसके बाद पांच दिनों तक किसी बडे बर्तन में रख दें। यह भी ध्यान रखें कि हर दिन पांच दिनों तक दिन में दो से तीन बार इस घोल को अच्छी तरह लकडी से मिलाते रहें। जब इसका रंग दूधिया हो जाए तो इस घोल में 200 मिलीग्राम साबुन और 80 मिलीग्राम टीपोल मिला लें। बस हो तैयार हो गया आपका प्राकृतिक कीटनाशक। इसे अन्य कीटनाशकों की तरह से ही फसलों पर स्प्रे करें। फिर देखें कैसे होता है इसका कमाल। फसलों पर लगे कीट नष्ट हो जाएंगे। 


एग्रीकल्चर कीटनाशक : राजस्थान के तिलोकाराम ने किया आविष्कार 

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि राजस्थान के किसान कितने जागरूक हैं। यहां नागौर जिले के निवासी किसान तिलोकाराम ने नीम की पत्यियों और निबोली से घरेलू कीटनाशक बनाया। उसने इसकी विधि भी यू सोशल मीडिया पर साझा की। तिलोकाराम के अनुसार उसकी पंद्रह बीघा में मूंग की फसल में फली छेदक कीट प्रकोप हो गया था। घरेलू कीटनाशक का प्रयोग करने के सात दिन के बाद रोग समाप्त हो गया। यह है नीम की पत्तियों और निंबोली से बनाये कीटनाशक का कमाल।   


सब्जियों वाली फसलों और कपास में सबसे ज्यादा प्रयोग 

रासायनिक कीटनाशकों का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है सभी प्रकार की सब्जियों की फसलों और कपास की खेती में। कपास की फसल में शुरू से लेकर डोडियां आने तक कई-कई बार कीटनाशी दवाओं का छिडकाव किया जाता है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि कपास की फसल को बॉलवार्म के संक्रमण से बचाने के लिए व्यापक स्तर कीटनाशक दवाओं का छिडकाव किया जाता है। इनके इस्तेमाल के वैज्ञानिक तरीकों का किसानों को आज भी प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था नहीं है। देखा यह गया है कि किसान समय के अभाव के चलते फटाफट बाजारों से रासायनिक कीटनाशक खरीद लाते हैं। यदि किसान समय से पहले ही अपने घरों पर देसी कीटनाशक तैयार करना शुरू कर दें तो हजारों रूपये की बचत भी होगी और रासायनिक कीटनाशकों के घातक असर से भी दूर रहेंगे। 


केमिकलयुक्त कीटनाशकों से हर साल करीब दस  हजार लोगों की होती है मौत 

आपको यह जानकार भी आश्चर्य होगा कि भारत में हर साल दस हजार से ज्यादा लोगों की मौत रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार कीटनाशकों श्रेणी-1 में शामिल किया है। इनमें दो कीटनाशक मोनाक्रोटोफोस और ऑक्सीडेमेटोन मिथाइल शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय कृषि मंत्रालय  एवं किसान कल्याण  के अधीन डायरेक्टोरेट ऑफ क्वारेंटाइन एंउ स्टोरेज के आंकडों के मुताबिक वर्ष 2015-16 में कुल प्रयोग किए गए श्रेणी- 1 के कीटनाशकों की मात्रा करीब तीस प्रतिशत थी। 


नियमों में बरती जा रही ढिलाई  

भारत कृषि प्रधान देश है। यहां हर प्रांत में आज भी अधिकांश लोग खेती-बाडी पर ही निर्भर हैं लेकिन जागरूकता के अभाव में किसान अपनी फसलों को कीटों और अन्य रोगों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का ही अधिक प्रयोग करते हैं। हैरत की बात यह भी है कि इन कीटनाशकों के प्रयोग के लिए किसान सामान्य तरीके ही अपनाते हैं। मुंह पर अच्छी तरह से मास्क भी नहीं पहनते ऐसे में घातक कीटनाशकों के असर से कई बार किसानों की खेतों में ही मौत हो जाती है। इधर भारत के केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2013 में कीटनाशकों की जांच के लिए जो समिति गठित की थी उसकी सिफारिश के आधार पर वर्ष 2018 में डब्ल्यूएचओ द्वारा पूर्व में घोषित श्रेणी-1 के दो कीटनाशकों पर आज तक प्रतिबंध नहीं लग सका है। इसे अलावा 66 अन्य कीटनाशकों की जांच भी अधूरी ही चल रही है जबकि ये कीटनाशक अन्य कई देशों में प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। 


वर्षाकाल में हर किसान लगाएं नीम के पौधे 

आपको बता दें कि नीम कितना काम का पेड है। इसे किसान का मित्र वृक्ष भी कहा जा सकता है। वर्तमान में वर्षाकाल चल रहा है और इसमें जगह-जगह लोग पौधे लगाने के लिए आतुर होते हैं। किसान भाइयों को चाहिए कि वे अपने घरों के बाहर और खेतों की मेड पर नीम के पौधे लगाएं। तीन चार साल में ही नीम का पेड तैयार हो जाएगा और आपको यह पेड घरेलू पेस्टीसाइडस यानि देसी कीटनाशक बनाने के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। इसके अलावा भी कई प्रकार की बीमारियों में भी नीम काफी उपयोगी वृक्ष है। 


नीम की पत्तियों से देसी खाद भी करें तैयार  

आजकल सभी प्रकार की फसलों में रासायनिक उर्वरकों का ही प्रयोग किया जाता है। इन खादों का भी स्वास्थ्य पर विपरीत असर पडता है। कैंसर से लेकर अनेक प्रकार की बीमारियां इनकी ही देन मानी जाती हैं। ऐसे में किसानो को जागरूक बनाने की जरूरत है। किसान जिस तरह से नीम की पत्तियों एवं अन्य सामग्री से देसी कीटनाशक तैयार कर सकते हैं उसी प्रकार नीम की पत्तियों और निबोलियों को गड्ढे में गला कर बढिया कंपोस्ट खाद तैयार की जा सकती है। इसमें गोबर भी डाला जा सकता है। यह सभी किसान जानते हैं कि रासायनिक खाद कितनी महंगी हो रही  है। वहीं जब फसलों को खाद की जरूरत होती है तो रासायनिक खाद कई बार कालाबाजारी होती है। किसानों को मजबूरन महंगे दामों पर यह खाद खरीदनी पडती है। यदि नीम की पत्तियों से बनी खाद फसलों में डाली जाएगी तो इससे फसलों की सेहत भी सही रहेगी यानि नीम के असर से कई तरह के कीटों का प्रकोप नहीं होगा।

 

अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

Quick Links

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back