Published - 20 Jan 2020 by Tractor Junction
सर्दी के इस सीजन में ट्रैक्टर जंक्शन पर एक बार फिर देशभर के किसान भाइयों का स्वागत है। आज हम मशरूम की खेती से आमदनी बढ़ाने की जानकारी साझा करते हैं। मशरूम की खेती इन दिनों बहुत लोकप्रिय हो रही है। जिन किसानों भाइयों के पास कम भूमि है वे इसे कमरे या अन्य खाली स्थानों पर उगाकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। देशभर के किसान हर साल कई हजार टन मशरूम का निर्यात दूसरे देशों को करते हैं।
देश में मुख्य रूप से 4-5 प्रकार के मशरूम की ही खेती होती है। इसमें बटन मशरूम प्रमुख है। इसके बाद पैरा मशरूम, ऑयस्टर मशरूम तथा शिटाके मशरूम का उत्पादन देश के विभिन्न भागों में किया जाता है। मशरूम में 22 से 35 प्रतिशत तक उच्च कोटि की प्रोटीन होती है।
विश्व में सबसे ज्यादा उगाया जाने वाला खाद्य मशरूम है। भारत में बटन मशरूम उगाने का सही समय अक्टूबर से मार्च तक है। इन छह महीनों में दो फसलें उगाई जा सकती है। बटन मशरूम की खेती ठंड के दिनों में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब एवं दिल्ली प्रांत में बहुतायत से की जाती है। बटन मशरूम की फसल के लिए 22 से 26 डिग्री सेल्सियस ताप की आवश्यकता होती है। इस ताप पर कवक जाल बहुत तेजी से फैलता है। बाद में इसके लिए 14 से 18 डिग्री ताप ही उपयुक्त रहता है। इस मशरूम को हवादार कमरे व सेंड में आसानी से उगाया जा सकता है। बटन मशरूम का भाव इन दिनों 100 से 200 रुपए किलो के बीच है।
ऑयस्टर मशरूम की खेती वर्षभर की जा सकती है। इसके लिए अनुकूल तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा आपेक्षित आद्रता 70-90 प्रतिशत होती है। ऑयस्टर मशरूम को उगाने में गेहूं के भूसे और दानों दोनों का इस्तेमाल होता है। यह मशरूम 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाता है। ज्यादातर इसका उत्पादन पंजाब समेत उत्तर भारतीय राज्यों में होता है। इसके तहत 15 किलोग्राम मशरूम बनाने के लिए 10 किलोग्राम गेहूं के दानों की आवश्यकता होती है। यदि आप एक बार में 10 क्विंटल मशरूम उगा लेते हैं तो आपका कुल खर्च 50 हजार रुपए आता है। इसके लिए आपको 100 वर्गफीट के एक कमरे में रैक जमानी होगी। वर्तमान में ऑयस्टर मशरूम 120 रुपए किलोग्राम से लेकर एक हजार रुपए किलोग्राम क्वालिटी के हिसाब से बाजार में बिक रहा है।
यह मशरूम बरसात के मौसम में प्राकृतिक रूप से पुराने धान के पुवाल/पैरावट में जुलाई से अक्टूबर के मध्य निकलता है। यह मशरूम मटमेले रंग में दिखाई देता है जो कुछ समय बाद छत्तेनुमा संरचना में बदल जाता है। पैरा मशरूम के लिए तापमान 28 डिग्री से 32 डिग्री तथा 80 प्रतिशत नमी मौसम में होनी चाहिए। पैरा मशरूम की कलिकाएं 2 से 3 दिन में बनना प्रारंभ हो जाती है। 4 से 5 दिन में मशरूम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। पैरा मशरूम 400 से 800 रुपए किलो तक बिकता है।
जापान में उगाया जाने वाला शिटाके मशरूम को उगाने के लिए हिमाचल की आबोहवा उपयुक्त है। शिटाके मशरूम के कई औषधीय गुण होते हैं। इसमें कैंसर प्रतिरोधी क्षमता होती है। इसलिए इसकी खूब मांग रहती है। भारत की मंडियों में इसका एक किलो दो से तीन हजार रुपये तक बिक सकता है।
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