न्यूनतम समर्थन मूल्य : इन फसलों की बढ़ सकती है एमएसपी, जल्द हो सकता है ऐलान

Share Product प्रकाशित - 07 Jun 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

न्यूनतम समर्थन मूल्य : इन फसलों की बढ़ सकती है एमएसपी, जल्द हो सकता है ऐलान

जानें, कितनी बढ़ सकती है एमएसपी और किसानों को कितना होगा लाभ

सरकार की ओर से साल में दो बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की जाती है। एक रबी फसल की बुवाई से पहले और दूसरी खरीफ की बुवाई से पहले। मानसून के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाएगी। इससे पहले केंद्र सरकार किसानों को तोहफा दे सकती है। सरकार खरीफ फसलों का एमएसपी बढ़ा सकती है। बताया जा रहा है कि खरीफ फसलों के एमएसपी में 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक एमएसपी में बढ़ोतरी को लेकर सीएसीपी ने सरकार को सुझाव भेजे हैं। नई सरकार की कैबिनेट में इस पर फैसला हो सकता है। सूत्रों का कहना है की खरीफ फसलों की एमएसपी 2024-25 में बढ़ोतरी की जा सकती है।

किन फसलों की एमएसपी में हो सकती है बढ़ोतरी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि खरीफ सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) 2024-25 निर्धारित किया जाएगा। एमएसपी में बढ़ोतरी की जाएगी जिसमें धान के एमएसपी में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं तूअर यानि अरहर दाल की एमएसपी में 8 से 10 प्रतिशत बढ़ाई जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक इन फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इनकी एमएसपी में बढ़ोतरी की जा सकती है। बता दें की खरीफ फसल की बुवाई का सीजन जून से जुलाई तक का होता है। इससे पहले खरीफ फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी की घोषणा सरकार कर सकती है।

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तूअर (अरहर) की बुवाई में आई कमी

सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में तूअर (अरहर) की बुवाई में कमी आई है। यहां के किसान सोयाबीन की खेती कर रहे हैं। किसानों का तूअर की तरफ से रुझान कम हुआ है जिससे इसकी बुवाई में गिरावट आई है। पिछले तीन सालों के दौरान सोयाबीन का उत्पादन बढ़ा है। यहां सोयाबीन का उत्पादन 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हो रहा है। वहीं तूअर का उत्पादन 7 से 8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हो रहा है। इससे स्पष्ट है कि इस बार किसान तूअर की बुवाई कम कर रहे हैं। इधर सरकार दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। पंजाब, हरियाणा में धान की जगह सरकार दलहन और तिलहन की खेती पर जोर दे रही है। बता दें सरकार के पास धान का काफी स्टॉक मौजूद है। अभी देश में खाने का तेल की घरेलू मांग की 55-56 प्रतिशत बाहर से आयात कर पूरी की जाती है। वहीं दलहन की मांग का 15 प्रतिशत हिस्सा दूसरे देशों से आयात करके पूरा किया जाता है।

2023-24 में कितनी बढ़ी खरीफ फसलों की एमएसपी

यदि बात करें 2023-24 में खरीफ फसलों की एमएसपी की तो इसमें सरकार ने धान की एमएसपी में 7 प्रतिशत यानि 143 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। वहीं ज्वार की एमएसपी में 7 से 8 प्रतिशत बढ़ोतरी की यानि 210 से 235 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई। बाजरे में 6 फीसदी यानि 150 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई। इसी प्रकार रागी की एमएसपी में 7 प्रतिशत यानि 268 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ोतरी की। मक्का की एमएसपी में 6 प्रतिशत यानि 128 रुपए की बढ़ोतरी की गई। कॉटन की एमएसपी 9 से 10 प्रतिशत यानि 540 से 640 रुपए तक बढ़ाई गई।

2023-24 में दलहन फसलों की एमएसपी भी बढ़ी। तुअर (अरहर) की एमएसपी 6 प्रतिशत यानि 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाई गई। वहीं मूंग की एमएसपी में 10 प्रतिशत यानि 803 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ी। उड़द दाल की एमएसपी में 5 प्रतिशत यानि 350 रुपए की बढ़ाई गई।  

इसी प्रकार तिलहन फसलों की एमएसपी भी बढ़ी है। मूंगफली की एमएसपी 9 प्रतिशत यानि 527 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ी। सोयाबीन की एमएसपी में 7 प्रतिशत यानि 300 रुपए बढ़ी और सूरजमुखी के बीजों की एमएसपी 6 प्रतिशत यानि 360 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाई गई।

कैसे निर्धारित किया जाता है फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

CACP एमएसपी की सिफारिश करते समय ‘A2+FL’ और ‘C2’ दोनों लागतों पर विचार करता है। A2 लागत में किसानों द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, किराये पर लिए गए मजदूर, ईंधन और सिंचाई आदि पर किए गए सभी भुगतान किए गए खर्च शामिील हैं, चाहे वे नकद हो या वस्तु। ए2+एफएल में वास्तविक भुगतान की गई लागत और अवैतनिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य शामिल है।

  • C2 लागत में A2+FL के अलावा क्रमश: स्वामित्व वाली भूमि और अचल पूंजीगत परिसंपत्तियों पर किराये और ब्याज का भुगतान शामिल होता है।
  • CACP रिटर्न के लिए केवल A2+FL लागत की गणना करता है। हालांकि, C2 लागतों को बेंचमार्क संदर्भ लागत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है ताकि यह देखा जा सके कि उनके द्वारा अनुशंसित MSP कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में इन लागतों को कवर करते है या नहीं।
  • एमएसपी प्रणाली को 1966-67 में गेहूं के लिए शुरू किया गया था और इसके बाद इसमें अन्य खाद्य फसलों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया। 

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