गेहूं की फसल में अधिक सिंचाई से हो सकता है नुकसान

Share Product Published - 14 Jan 2021 by Tractor Junction

गेहूं की फसल में अधिक सिंचाई से हो सकता है नुकसान

खेती-बाड़ी सलाह : अच्छे उत्पादन के लिए गेहूं की फसल में रखें ये सावधानियां

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र इंदौर द्वारा गेहूं उत्पादक किसानों को गेहूं के अच्छे उत्पादन के लिए उपयोगी सलाह दी है। इसमें गेहूं की आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को लेकर आगाह किया गया है। संस्थान द्वारा दी गई सलाह के अनुसार जरूरत से ज्यादा सिंचाई न करें, अन्यथा फसल गिर सकती है, साथ ही दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं और उपज कम हो जाती है। किसान, बालियां आने पर फव्वारा विधि से सिंचाई न करें, अन्यथा फूल खिरने, दानों का मुंह काला पड़ने, करनाल बंट या कंडुआ रोग के प्रकोप का डर रहता है।

 

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गेहूं की फसल में कब-कब करें सिंचाई

  • संस्थान द्वारा दी गई सलाह के अनुसार गेहूं की अगेती खेती में (मध्य क्षेत्र की काली मिट्टी तथा 3 सिंचाई की खेती में) पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, दूसरी 35-40 दिन और तीसरी सिंचाई 70-80 दिन की अवस्था में करना पर्याप्त है।
  • पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20-20 दिन के अंतराल पर 4 सिंचाई करें।
  • अधिक सर्दी वाले दिनों में फसलों में स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें।
  • 500 ग्राम थायो यूरिया 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें या 8-10 किलोग्राम सल्फर पाउडर/एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।

 


गेहूं में खाद व उर्वरक की मात्रा का रखें ध्यान

  • गेहूं के लिए सामान्यतः नत्रजन, स्फुर और पोटाश 4:2:1 के अनुपात में देना चाहिए। असिंचित खेती में 40:20:10, सीमित सिंचाई में 60:30:15 या 80:40:20, सिंचित खेती में 120:60:30 तथा देर से बुवाई में 100:50:25 किलोग्राम/ हेक्टेयर के अनुपात में उर्वरक देना चाहिए।
  • सिंचित खेती की मालवी किस्मों को नत्रजन, स्फुर और पोटाश 140:70:35 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से देना चाहिए।
  • पूर्ण सिंचित खेती में नत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुर व पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले मिट्टी में ओरना (3-4 इंच गहरा) चाहिए। शेष नत्रजन पहली सिंचाई के साथ देना चाहिए।
  • वर्षा आधारित या सीमित सिंचाई की खेती में सभी उर्वरक बुवाई से पहले मिट्टी में एक साथ देने चाहिए।
  • किसानों को सलाह है कि खेत के उतने हिस्से में ही यूरिया भुरकाव करें जितने में उसी दिन सिंचाई दे सकें। यूरिया को बराबर से फैलाएं।

 

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गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए ये करें उपाय

गेहूं फसल में मुख्यत: दो प्रकार के खरपतवार होते हैं। चौड़ी पत्ती वाले बथुआ, सेंजी, दूधी ,कासनी, जंगली पालक, जंगली मटर, कृष्ण नील, हिरनखुरी तथा संकरी पत्ती वाले मोथा, जंगली जई और कांस। जो किसान खरपतवारनाशक का उपयोग नहीं करना चाहते हैं वे डोरा, कुल्पा या हाथ से निंदाई-गुड़ाई कर 40 दिन से पहले दो बार करके खरपतवार निकाल सकते हैं। मजदूर नहीं मिलने पर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिए 2 ,4 डी की 0.65 किग्रा. या मैटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम मात्रा/हे. की दर से बुवाई के 30-35 दिन बाद, जब खरपतवार दो-चार पत्ती वाले हों, छिडक़ाव करें। संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए क्लौडीनेफॉप प्रौपरजिल 60 ग्राम/हे. की दर से 25-35 दिन की फसल में छिडक़ाव करने से दोनों तरह के खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है।


मोहू कीट के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

इन दिनों फसल पर जड़ माहू कीटों का प्रकोप देखा जा सकता है। यह कीट गेहूं के पौधे को जड़ से काट देते हैं। इस कीट के नियंत्रण के उपाय करना जरूरी है। इसके लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी दवाई 5 लीटर/हेक्टेयर बालू रेत में मिलाकर खेत में नमी होने पर बुरकाव करें या बुरकने के बाद सिंचाई कर दें अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 250 मिली लीटर या थाई मैथोक्सेम की 200 ग्राम/हे. की दर से 300-400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। यदि माहू का प्रकोप गेहूं फसल में ऊपरी भाग (तनों या पत्तों) पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिलीग्राम /हे. की दर से पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।


देरी से बुवाई की अनुशंसित किस्में

देरी से बुवाई वाली किस्मों में एचडी 2932 (पूसा 111), एचआई 1634 (पूसा अहिल्या), जेडब्ल्यू 1202-1203,एमपी 3336, राज 4238 आदि प्रमुख उपयोगी किस्में हैं। इसमें एनपीके खाद 100:50:25 की दर से दें। खेत में गेहूं के पौधे सूखने या पीले पड़ने पर तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेकर शीघ्र उपचार करें।

 

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इस साल रबी फसल का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद, गेहूं का रकबा बढ़ा

देश में रबी फसलों का रकबा गत वर्ष अब तक हुई बोनी को पार कर गया है। देश में अब तक गेहूं का रकबा 313.24 लाख हेक्टेयर हो गया है तथा कुल बोनी 597.92 लाख हेक्टेयर में हो गई है। जबकि गत वर्ष इस अवधि में 573.23 लाख हेक्टेयर में बोनी की गई थी। अर्थात अब तक 24.69 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में बोनी हुई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि चालू रबी सीजन में बुवाई बेहतर होगी तथा उत्पादन भी अच्छा होने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में गेहूं की बुआई रकबा 313.24 लाख हेक्टेयर हो गया है। जबकि गत वर्ष अब तक 297.39 हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था। 

रबी में गेहूं का सामान्य रकबा 303.28 लाख हेक्टेयर है। जानकारी के मुताबिक देश में सबसे अधिक म.प्र. में 102.76 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 82 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की बोनी हुई है। इसी प्रकार अब तक उत्तर प्रदेश में 89.23 लाख हेक्टेयर में, पंजाब में 34.70, राजस्थान में 28.57, हरियाणा में 24.87 एवं बिहार में 17 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया है। गेहूं की तरह दूसरी फसलों की भी बुआई पिछले साल की अपेक्षा बेहतर दिखाई दे रही है। 

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू रबी सीजन में अभी तक धान का रकबा 12.49 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है। दलहनी फसलों की भी बुआई 149.29 लाख हेक्टेयर में हो गई है। जबकि गत वर्ष इस अवधि में 141.64 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी। इसी प्रकार मोटे अनाजों का रकबा 43.44 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है। जो गत वर्ष 46.55 लाख हेक्टेयर था। तिलहनी फसलों की बुआई 79.47 लाख हेक्टेयर में हुई है। जो गत वर्ष अब तक 74.19 लाख हेक्टेयर में हो गई थी। कुल रबी फसलों की बुआई का रकबा इस साल 597.92 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है।

 

 

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