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मूंग की खेती : किसानों को मिलेगी 4 हजार रुपए प्रति एकड़ सब्सिडी

Published - 20 Jul 2021

मूंग की खेती : सरकार का प्लान और कैसे मिलेगी सरकार से मदद

मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबर है। हरियाणा सरकार राज्य में मूंग की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 4 हजार रुपए बतौर सब्सिडी दे रही है। राज्य सरकार का मानना है कि इससे न केवल मूंग की खेती की ओर किसानों का झुकाव होगा बल्कि उनका धान के प्रति भी मोह कम होगा। बता दें कि हरियाणा सरकार अपने यहां धान को कम करके अन्य फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि जल का दोहन कम हो सके। क्योंकि धान की खेती में सबसे अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है और निरंतर बारिश का कम होना या असमय बारिश होने किसानों को समुचित मात्रा में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। इससे धान की फसल से किसानों को उतना लाभ नहीं मिल पाता जबकि जितना उन्हें मिलना चाहिए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए सब्सिडी योजना शुरू की है। इसके तहत धान की खेती की जगह किसान अन्य कम पानी में उगने वाली फसलों की खेती करता है तो शासन की ओर से उसे 4 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देना तय किया गया है।

 

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मूंग बोने पर मिलेगी 4 हजार रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा में अधिकांश किसान धान की खेती करते हैं। इससे जल का काफी दोहन होता है। ऐसे में जल संरक्षण को लेकर हरियाणा सरकार काफी सजग है। शासन की ओर से खेती किसानी में बदलाव लाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। इसी कड़ी में शासन ओर से धान की खेती छोडऩे वाले किसानों को प्रति एकड़ 7 हजार रुपए की सब्सिडी दी जा रही है ताकि राज्य में धान की फसल का रकबा कम हो सके ताकि पानी की बचत के साथ अन्य कम वाली फसलों को उगाया जा सके। वहीं मूंग सहित अन्य कम पानी में उगने वाली की फसलों बढ़ावा देने के लिए भी सरकार की ओर से प्लान बनाया गया है। इसके तहत मूंग का बीज खरीदने पर किसानों को 90 फीसदी सब्सिडी मिलेगी, जबकि बाजरे की जगह मूंग की खेती करने पर 4000 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन रकम दी जाएगी। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने किसानों से आह्वान किया कि अभी भी मूंग की बिजाई का समय है। किसान मूंग की बिजाई करें। इसका बीज खरीदने पर सरकार 90 फीसदी सब्सिडी देगी। इसके अलावा जिस किसान ने पिछली बार बाजरे की बिजाई की थी, वहां पर इस बार वो मूंग की खेती करता है तो उसे प्रति एकड़ 4000 रुपए दिए जाएंगे। 


मूंग से बढ़ती है जमीन की उर्वरा शक्ति

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मूंग की बिजाई करने से जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, क्योंकि मूंग का पौधा हवा से नाइट्रोजन लेकर अपनी जड़ों की इकट्ठा कर लेता है। फसल तैयार होने से बाद किसान पौधे को काट लेते हैं, जबकि जड़े जमीन में ही रह जाती हैं, जिससे जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मूंग के बाद ली जाने वाली फसल में यूरिया कम डालना पडता है, इसलिए खेत खाली छोडऩे के बजाय किसानों को मूंग की बिजाई करनी चाहिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि मूंग की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है। मूंग की खेती से किसान को दोहरा फायदा मिलता है।


मूंग पर सब्सिडी पाने के लिए कहां कराएं रजिस्ट्रेशन

फसलों की सुगम खरीद, मुआवजा व अन्य योजनाओं का सीधा लाभ देने के लिए हरियाणा सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल शुरू किया है। इसमें किसान के कितने क्षेत्र में कितनी फसल बोई है उसका ब्यौरा एकत्रित किया जाता है। किसान इस पर रजिस्ट्रेशन करा कर मूंग पर सब्सिडी का भी लाभ ले सकते हैं। मेरा पानी मेरी विरासत योजना के लिए किसान ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से पंजीकरण करा सकते हैं। किसान अपने क्षेत्र के खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में संपर्क करके स्कीम में अपने नाम को पंजीकृत करवाकर सकते हैं।  


रजिस्ट्रेशन के लिए ये दस्तावेज है जरूरी

मेरा पानी मेरी विरायत योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करने वाला किसान हरियाणा का स्थायी निवासी होना चाहिए। इसके अलावा जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी उनमें आवेदक का आधार कार्ड, पहचान पत्र, बैंक एकाउंट पासबुक, कृषि योग्य भूमि के कागजात, आवेदक का स्वयं का मोबाइल नंबर, आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटो देनी होगी। 


अब तक राज्य में कितना कम हुआ धान क्षेत्र

हरियाणा सरकार की अन्य कम पानी में तैयार होने वाली फसलों को प्रोत्साहन देने की मुहिम रंग ला रही है। पिछले वर्ष से राज्य में मेरा पानी-मेरा विरासत योजना लागू होने के बाद राज्य में वर्ष 2020-21 के खरीफ सीजन में किसानों ने 96,000 एकड़ भूमि में धान की फसल को छोडक़र अन्य फसल को अपनाया है। बता दें कि राज्य में इस योजना के लागू होने के बाद राज्य सरकार ने किसानों से धान की खेती छोडऩे का आग्रह किया था और इसके लिए अनुदान की घोषणा की थी। इसका असर ये हुआ कि राज्य के कई किसानों नेे धान की खेती को छोडक़र अन्य फसलों के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जिससे न केवल पानी की बचत हुई बल्कि किसानों का मुनाफा भी बढ़ा।  

 

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