प्रकाशित - 10 Jan 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
केंद्र सरकार की ओर से हर साल खरीफ और रबी की फसलों की बुवाई से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है। इस बार भी रबी फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा की गई है जिसमें रबी फसलों का एमएसपी पिछले साल के मुकाबले बढ़ा दिया गया है। इसी तर्ज पर यूपी सरकार ने केंद्र सरकार से पहले ही अपने यहां बाजरे की एमएसपी तय कर दी है। बाजरा खरीफ की फसल है। लेकिन 2023 को मिलेट ईयर के रूप में मनाने का निर्णय लेने की वजह से यूपी सरकार ने सबसे पहले अपने राज्य में बाजरा की खरीद का रेट तय कर दिया है जिससे किसान खरीफ सीजन में बाजरा की अधिक से अधिक बुवाई करके प्रदेश में बाजरे का उत्पादन बढ़ाएं। अभी राज्य सरकार की ओर से सिर्फ बाजरे का एमएसपी तय किया गया है। अन्य मोटे अनाज वाली फसलों का भी एमएसपी जल्द तय किया जाएगा। इसमें सावा, कोदो, ज्वार सहित अन्य मिलेट की फसलों को शामिल किया जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार हर साल रबी और खरीफ की प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है। जिसके तहत रबी की 6 और खरीफ की 14 और 4 व्यवसायिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है। इस तरह 24 फसलों का एमएसपी केंद्र सरकार हर वर्ष जारी करती है। लेकिन अधिकांश राज्य में सिर्फ कुछ ही फसलों की एमएसपी पर खरीद की जाती है। ऐसे में यूपी सरकार की ओर से किसानों के लाभार्थ बाजरे का अपने राज्य में रेट निर्धारित कर दिया है जिससे किसानों को लाभ होगा।
यूपी सरकार की ओर से बाजरे का सरकारी रेट 2350 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। अब राज्य के किसान इस एमएसपी (MSP) पर सरकार को बाजरा की फसल बेच सकेंगे। इससे किसानों को ये फायदा होगा कि यदि बाजरा में बाजरे का रेट कम होता है तो किसान उसे एमएसपी पर बेचकर लाभ प्राप्त कर सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि बाजरे के अलावा अन्य मोटे अनाज वाली फसलों का एमएसपी अगले साल तक घोषित कर दिया जाएगा।
राज्य में करीब 50 लाख मीट्रिक टन बाजरे का उत्पादन होता है, जो देश के कुल बाजरा उत्पादन का 19.69 प्रतिशत है। यूपी सरकार प्रदेश में बाजरे का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए राज्य सरकार योजना बना रही है। इसके तहत मोटे अनाजों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रस्तावित कार्य योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से बाजरा की खेती का क्षेत्र, उसका उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। प्रदेश में बाजरे की खेती (Millet Cultivation) का रकबा 2022 में 9.80 था जिसे बढ़ाकर 10.19 किया जाएगा। वहीं उत्पादकता जो वर्तमान में 24.55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है उसे बढ़ाकर 25.53 क्विंटल प्रति हैक्टेयर किया जाएगा। इसी प्रकार ज्वार की खेती का रकबा बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा। अभी प्रदेश में ज्वार की खेती का रकबा 2.15 लाख हैक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 2.24 लाख हैक्टेयर किया जाएगा। इसी प्रकार कोदो एवं संवा के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की जाएगी।
बाजरे के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार की ओर से क्लस्टर प्रदर्शन, साझा बीज वितरण योजना के जरिये बाजरे के क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा। इसके तहत किसानों को मुफ्त बीज मिनीकिट वितरण योजना पर काम किया जाएगा।
बाजरा कम पानी की फसल है। ये सूखे को सहन करने की क्षमता रखती है। इसलिए बाजरे का उत्पादन कम पानी में किया जा सकता है। बाजरा पानी की कमी और सूखे की स्थिति से आसानी से निपटने में सक्षम है। इसकी खेती में अन्य फसलों की अपेक्षा 70 प्रतिशत तक कम पानी लगता है। इतना ही नहीं इसमें कीटनाशकों की भी कम ही आवश्यकता पड़ती है जिससे किसानों का जो खर्च कीटनाशक के छिड़काव में होता है उसकी बचत होती है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में बाजरे की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है। जैसा कि इस साल को मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें इस साल सरकार देश में पौष्टिक अनाज की खेती को बढ़ावा देगी जिससे किसानों और देश के नागरिकों दोनों का फायदा पहुंचेगा।
केंद्र सरकार की ओर से जिन रबी और खरीफ व अन्य फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। उनमें अनाज की छह, दलहन की 5, तिलहन की 7 और चार व्यावसायिक फसलों को शामिल किया जाता है, जो इस प्रकार से है-
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