Published - 31 May 2022
भारत के मुर्गी पालन और एथेनॉल में मक्का का इस्तेमाल होने से इसकी कीमतों में इजाफा हुआ है। वहीं पिछले आठ वर्षों के दौरान मक्का के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी वृद्धि हुई है जिससे किसानों की आय में इजाफा हुआ है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर के अनुसार पिछले आठ वर्षों में मक्का की एमएसपी में करीब 43 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्री पिछले दिनों देश के प्रमुख वाणिज्यिक एवं उद्योग मंडल पिक्की की ओर से आयोजित भारत मक्का शिखर सम्मेलन-2022 के 8वें संस्करण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
सरकार की ओर से जारी प्रेसनोट के आधार पर कार्यक्रम में कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कई तरह के खाद्य पदार्थों के साथ ही मक्का का इस्तेमाल कुक्कुट पालन (मुर्गी पालन) और एथेनॉल उत्पादन सहित कई क्षेत्रों में होने से न केवल भारत में बल्कि विश्व में भी मक्का की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। सरकार फसलों के विविधीकरण कार्यक्रम के तहत, विभिन्न पहलों के जरिये किसानों को मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी के साथ ही, सरकार ने विभिन्न पहल व पैकेजों के माध्यम से उद्यमियों का भी समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 8 साल के दौरान मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 43 प्रतिशत बढ़ाया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में मक्का का उत्पादन बढ़ाने से किसानों को काफी लाभ मिला है। कृषि मंत्री ने मक्का क्षेत्र को बढ़वा देने के लिए सरकार के भरपूर समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि कृषि हमारे देश की रीढ़ के समान है, जिसने कोविड-19 सहित हर संकट में देश की मदद की है। कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि भी उत्साहवर्धक रही है, जिसका आंकड़ा लगभग चार लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। उन्होंने भारतीय कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में कहा कि मौजूदा रूस-यूक्रेन संकट के दौरान वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए सरकार गेहूं का निर्यात सुनिश्चित करने पर काम कर रही है। यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे किसानों द्वारा पैदा किए गए गेहूं सहित अन्य कृषि उत्पादों का उपयोग किया जा रहा है।
कृषि मंत्री तोमर ने जोर देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में काफी निवेश की आवश्यकता है, जिसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के कृषि अवसंरचना कोष सहित कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के पैकेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाए गए हैं। कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने की जरूरत है, जिसके लिए भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पहल करने के साथ ही मंत्रालय द्वारा कदम उठाए गए हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान के समय के अनुरूप उद्योगों और किसानों को मिल-जुलकर काम करना होगा ताकि दोनों की जरूरतें पूरी हो सकें। ऐसा होने से कृषि व उद्यम क्षेत्र के साथ ही देश को भी काफी फायदा होगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। तोमर ने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान उद्योगों के फायदे और किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने श्रृंखलाबद्ध तरीके से अनेक नीतिगत सुधार किए व योजनाएं शुरू की हैं।
पिक्की की राष्ट्रीय कृषि समिति के चेयरमैन और टेफे के समूह अध्यक्ष श्री टी.आर. केशवन ने इस अवसर पर कहा कि खाद्यान्न व पोषण सुरक्षा के मामले में मक्का में बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं। यह फसल विविधिकरण के मामले में भी सही मार्ग दिखाती है, साथ ही किसानों की आय बढ़ाने, खासतौर से वर्षा सिंचित क्षेत्र के छोटे एवं सीमांत किसानों की आय बढ़ाने में यह उपयोगी रही है। इस अवसर पर फिक्की व यस बैंक की भारतीय मक्का क्षेत्र पर तैयार रिपोर्ट-इंडियन मैज सेक्टर-सिक्यूरिंग सप्लाई सस्टेनेबली को भी जारी किया गया।
भारत में गेहूं व चावल के बाद यह तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल के तौर पर विकसित हो रही है। भारत में कुल मक्का उत्पादन में बिहार का 9 प्रतिशत योगदान है। देश में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद बिहार पांचवां सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है। जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा मक्का अमेरिका में पैदा होता है। इसके बाद चीन और ब्राजील का नंबर आता है।
मक्का दुनिया की सबसे ज्यादा खाई जाने वाली फसल है। मक्के की रोटी और भुट्टे के अलावा पॉप कॉर्न, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, कॉर्न फ्लेक्स खाने की चीजें बनाई जाती हैं। मक्का पशुओं के लिए चारा के रूप में प्रयोग में लिया जाता है। वहीं मक्का से मुर्गियों और सूकरों के लिए दाना तैयार किया जाता है।
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