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किसान कब करें गेहूं की बुवाई, किस किस्म की खेती से होगा अधिक लाभ

प्रकाशित - 28 Oct 2024

जानें, गेहूं की बुवाई का सही समय और सभी परिस्थितियों में अनुकूल गेहूं की किस्मों की जानकारी

खरीफ सीजन के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई के काम में जुट जाएंगे। रबी की खेती करने वाले किसानों में से अधिकांश किसान गेहूं की खेती (wheat cultivation) करते हैं। कई बार गेहूं की खेती में जल्दबाजी करते हुए किसान इसकी समय से पहले बुवाई कर देते हैं तो कई समय के बाद इसकी बुवाई करते हैं। यह दोनों ही स्थितियां गेहूं की पैदावार को प्रभावित करती है और इसके उत्पादन में कमी आ जाती है। यदि किसान गेहूं की सही समय पर बुवाई करे तो इससे काफी अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, वहीं गेहूं की क्वालिटी भी अच्छी मिलती है। आज हम किसानों को यह जानकारी दे रहे हैं कि गेहूं की बुवाई कब करें, इसके लिए कौनसा समय सबसे अच्छा है और इसकी बुवाई के लिए गेहूं की किन किस्मों की बुवाई की जा सकती है।

किसान कैसे जानें गेहूं की बुवाई का समय (wheat sowing time)

जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सभी मौसम चक्र प्रभावित हो गया है। इसी प्रकार बुवाई के समय में भी अंतर देखा जा रहा है। यदि गेहूं की बुवाई उचित समय पर की जाए तो उसके परिणाम भी अच्छे मिलते हैं। वहीं जमीन में नमी जाने की चिंता में समय से पहले बुवाई करने पर उपज अच्छी नहीं मिलती है। कहीं-कहीं तो ऐसा देखने को भी मिला है कि असिंचित वर्षा आधारित खेत में सिंचित अवस्था में बोई जाने वाली विकसित किस्मों की बुवाई कर दी गई। इसका परिणाम यह हुआ कि कम समय में ही बालियां निकलने की समस्या देखी गई। पुराने समय में गेहूं की बुवाई का समय कुछ इस प्रकार पता लगाया जाता था। जब देशी घी यदि घर में जमने लग जाए तब बुवाई का वातावरण बन गया है, ऐसा माना जाता है। इस समय सही तापमान रहता है, अंकुरण अच्छा हो जाता है और पौधे स्वस्थ निकलते हैं।

कृषि विशेषाज्ञों के अनुसार गेहूं की बुवाई का क्या है सही समय (What is the right time for sowing wheat)

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, गेहूं की बुवाई का सही समय अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के तीसरे हफ्ते तक का बताया गया है। इस दौरान बोई गई फसल अगेती खेती के तहत आती है। इसकी पैदावार अच्छी होती है। वहीं नवंबर के आखिरी हफ्ते या दिसंबर के पहले हफ्ते में आप गेहूं की बुवाई करते हैं तो आपको क्षेत्र की मिट्‌टी के अनुसार बेहतर क्वालिटी की गेहूं की किस्म की बुवाई करनी चाहिए ताकि पैदावार में कमी नहीं आए, क्योंकि गेहूं की पछेती खेती में अगेती की तुलना में कम पैदावार मिलती है।

गेहूं की अगेती खेती के लिए उन्नत किस्में कौनसी हैं (What are the improved varieties of wheat for early cultivation)

भारतीय गेहूं और जौ अनसंधान संस्थान, करनाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों से गेहूं की तीन किस्में विकसित की है जिनमें करण वैदेही (DBW 370), करण वृंदा (DBW 371) तथा करण वरूणा (DBW 372) शामिल हैं। इस किस्मों को गेहूं की अगेती बुवाई के लिए जारी किया गया है। गेहूं की इन किस्मों को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर) बुवाई की जा सकती है। इसके अलावा इस किस्म को जम्मू और कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पौंटा घाटी) और उत्तराखंड  (ताई क्षेत्र) के लिए अधिसूचित किया गया है।

पिछेती खेती के लिए गेहूं की किन किस्मों की कर सकते हैं बुवाई (Which varieties of wheat can be sown for late cultivation)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के अनुसंधान संस्थान आईआईडब्ल्यूबीआर के अनुसार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए गेहूं की पछेती बुवाई के लिए गेहूं की पीएबीडब्ल्यू 752, पीबीडल्ब्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, जेकेडब्ल्यू 261, एचडी 3059 और डब्ल्यूएच 1021 किस्में अच्छी पाई गई है। इसी तरह पूर्वी यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में गेहूं की डीबीडब्ल्यू 316, पीबीडब्ल्यू 833, डीबीडब्ल्यू 107, एचडी 3118 किस्म की बुवाई की जा सकती है। आईआईडब्ल्यूबीआर के मुताबिक गेहूं की किस्मों का चयन किसान को अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार करना चाहिए। मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के किसानों को एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029 और एमपी 3336 किस्म की बुवाई करनी चाहिए। हालांकि एचडी 3271, एचआई 1621 और डब्ल्यूआर 544 किस्मों की किसी भी राज्य में बुवाई की जा सकती है।

सभी परिस्थितियों के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्में (Wheat varieties suitable for all conditions)

गेहूं की कई किस्में ऐसी है जो सभी प्राकृतिक परिस्थितियों में बुवाई के लिए अनुकूल पाई गई है जिसमें वर्षा आधारित तथा अर्द्धसिंचित अवस्था के लिए सुजाता जे डब्ल्यू. 17, एच. डब्ल्यू 2004, एच.आई. 1500, जे. डब्ल्यू- 3020 तथा एच. आई 1531 आदि हैं।

  • पूर्ण सिंचित अवस्था के लिए गेहूं की जी. डब्ल्यू- 173, जी. डब्ल्यू. 1142, एम.पी.ओ. 1106 आदि हैं।
  • पिछेती बुवाई के लिए जी. डब्ल्यू 273, एच. आई. 1454, एच. आई. 1418, एच. डी. 2864, डे. डब्ल्यू. 3336 आदि हैं।

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