बासमती धान की रोपाई में रखें इन 7 बातों का ध्यान, मिलेगी बंपर पैदावार

Share Product प्रकाशित - 13 Jul 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

बासमती धान की रोपाई में रखें इन 7 बातों का ध्यान, मिलेगी बंपर पैदावार

जानें, धान की रोपाई में ध्यान रखने वाली आवश्यक बातें

इस समय देश में खरीफ फसलों की बुवाई चल रही है। मानसून की बारिश भी हो रही है। बारिश से कई जगह हालात खराब भी है तो कहीं सूखा पड़ने से धान की बुवाई में देरी हो रही है। ऐसे में धान की बुवाई करते समय आपको विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आप कृषि विभाग की सलाह लेकर अपने क्षेत्र में बुवाई कर सकते हैं। साथ ही फसलों की रोपाई के समय कुछ बातों का ध्यान रखकर बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों की ओर से बासमती धान की रोपाई के संबंध में कुछ सुझाव दिए गए है जो आपके लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको बासमती धान (Basmati Rice) की रोपाई के समय ध्यान रखने वाली 7 ऐसी बातों को बता रहे हैं जो आपको बेहतर पैदावार देने में सहायता प्रदान कर सकती है, तो आइये जानते हैं, इनके बारे में।

1.   बुवाई से पहले तैयार करें खेत 

बासमती धान की खेती (Paddy farming) करने से पहले किसान को खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए। इसके लिए लेजर लेवलर मशीन की सहायता से खेत को समतल करना चाहिए। दो से तीन बार खेत की अच्छे से जुताई करके खेत को समतल कर लेना चाहिए। खेत का आकार छोटा रखना चाहिए ताकि पानी की बचत की जा सके। बासमती धान की खेती के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली चिकनी मिट्‌टी अच्छी रहती है। खेत में मजबूत मेड़ भी बनानी चाहिए।

2.   धान की बुवाई से पहले करें हरी खाद की बुवाई

कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक जिस खेत में आपको धान की रोपाई करनी हो, उस खेत में हरी खाद की बुवाई जरूर करनी चाहिए। इसके लिए ढैंचा, सनई, लोबिया या मूंग जैसी फसल की बुवाई की जा सकती है। बासमती धान की रोपाई से पहले खेत में पानी भरकर हरी खाद को पडलिंग द्वारा खेत में पलट देना चाहिए। ऐसा करने से जुताई की लागत कम की जा सकती है।

3.   बासमती धान की रोपाई के लिए कैसी लें पौध

वैसे तो बासमती धान की कई किस्में हैं। बासमती धान की किस्म में पूसा बासमती 1509 (Pusa Basmati 1509) अच्छी मानी जाती है। हालांकि किसानों को कृषि विभाग से सलाह लेकर अपने क्षेत्र की मिट्‌टी और जलवायु के हिसाब से किस्म का चयन करना चाहिए। अब बात आती है कि बासमती धान की रोपाई के लिए कैसी पौध ली जाए तो बासमती धान की रोपाई के लिए 20 से 25 दिन की पौध का उपयोग करना चाहिए।

4.   रोपाई से पहले पौध को करें उपचारित

बासमती धान की रोपाई करने से पहले इसकी पौध को 2 ग्राम कार्बेन्डाजियम या 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा हरजेनियम प्रति लीटर पानी की दर से घोल में कम से कम एक घंटे के लिए डुबोकर रखना चाहिए। रोपाई से पूर्व पौध का ऊपरी भाग 3 से 4 सेंटीमीटर तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए। पौध की रोपाई हमेशा कतारों में करनी चाहिए।

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5.   बासमती धान की रोपाई करते समय कितनी रखें दूरी

बासमती धान की पौध की रोपाई करते दूरी का ध्यान रखना चाहिए कि इसकी 2 से 3 मीटर रोपाई के बाद 40 सेंटीमीटर का रास्ता जरूर छोड़ना चाहिए। इससे सूर्य का प्रकाश और हवा मिलने से कीट व बीमारियों का प्रकोप कम होता है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। पौध की रोपाई 2 से 3 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में नहीं करनी चाहिए।

6.   बासमती धान के लिए कितनी रखें उर्वरक की मात्रा

बासमती धान की खेती के दौरान ऊंची बढ़ने वाली प्रजातियों के लिए प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम डीएपी, 70 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट की मात्रा पर्याप्त रहती है। इसमें बौनी किस्म के लिए यूरिया 140 किलोग्राम उपयोग करनी चाहिए। डीएपी, पोटाश और जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा अंतिम पडलिंग के समय प्रयोग करनी चाहिए।

7.   बासमती धान में कितनी करें सिंचाई

बासमती धान की रोपाई के समय खेत में 2-3 सेंटीमीटर पानी का भराव पर्याप्त होता है। खेतों में रोपाई के बाद दरार बनने से पहले हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बाद में जल स्तर धीरे-धीरे बढ़ाकर 3 से 5 सेंटीमीटर तक कर देना चाहिए और इसे पहले 30 दिन तक बनाए रखना चाहिए। इससे खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है। बाली निकलने और दाने में दूध बनने के समय खेत में पानी भरा होना जरूरी है। खेत में पाटा जरूरी चलाना चाहिए, इससे कल्ले अधिक निकलते हैं उनका फुटाव अच्छा होता है। इसके लिए किसान बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित पाटा तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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