प्रकाशित - 06 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
यारशागुंबा मशरूम को कीड़ा-जड़ी भी कहा जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। अपने जबरदस्त औषधीय गुणों की वजह से यह मशरूम कैंसर, गुर्दा रोग और सांस की गंभीर बीमारियों में भी काम आता है। यही वजह है कि मार्केट में इस मशरूम का रेट 2 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है। गौरतलब है कि आजकल किसान डिमांड वाली खेती की ओर बढ़ रहे हैं। ज्यादातर किसान औषधीय और नकदी फसल काे अपना रहे हैं। इससे किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है। कई किसान इस दिशा में बागवानी और उद्यानिकी फसलों की खेती भी कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवा प्रगतिशील किसान "डॉ. चरण सिंह" हैं, जो इस मशरूम की खेती से मोटी कमाई कर चुके हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम यारशागुंबा की खेती करने के तरीके, कीड़ा-जड़ी मशरूम की खेती, कीमत, इसके औषधीय गुण आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
यारशागुंबा यानि कीड़ा मशरूम एक करोड़पति बनाने वाली सब्जी है, इसकी कीमत इतनी ज्यादा है कि इसे सोने से भी महंगा बताया गया है। इसकी कीमत बाजार में 2 लाख रुपए किलो से भी ज्यादा है। यानी अगर कोई किसान 50 किलो भी इस सब्जी की पैदावार कर लेते हैं तो 1 करोड़ रुपए की कमाई की जा सकती है। इस मशरूम की कीमत ऐसे ही इतनी नहीं है, इसके पीछे कई कारण है जिसकी वजह से कीमतें इतनी ज्यादा है।
इस मशरूम के महंगे होने का सबसे बड़ा कारण है, इसकी सीमित उपलब्धता। कीड़ा जड़ी या यारशागुंबा एक जंगली मशरूम है। इसकी कम उपलब्धता और ज़्यादा ग्राहक होने की वजह से इसका रेट काफी ज्यादा है। ये कई बीमारियों में संजीवनी की तरह काम करते हैं। यही वजह है कि दुनिया भर में बड़े-बड़े खिलाड़ी और पहलवान इस सब्जी को खाना पसन्द करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस सब्जी को खाने से अंग्रेजी दवा और रसायनों का शरीर पर कोई गलत असर नहीं पड़ता। इसमें ऐसे औषधीय गुण हैं, जो इसे शक्तिवर्धक बनाते हैं।
इस मशरूम की खेती वैसे तो चीन और तिब्बत के ठंडे इलाकों में ही की जाती है। यह विश्व की सबसे महंगी सब्जी के तौर पर जाना जाता है। सामान्य भाषा में इसे जंगली मशरूम कहते हैं। चीन और तिब्बत में इसे यारशागुंबा भी कहते हैं। जो कि वहां के स्थानीय लोगों द्वारा रखा गया है। मशरूम की इस किस्म को कीड़ा के माध्यम से उगाया जाता है, यही वजह है कि इसे कीड़ा जड़ी मशरूम भी कहा जाता है। हालांकि इसकी खेती लोग छोटे से कमरे में लैब की तरह करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। इसके लिए किसान को वैसा वातावरण बनाना होता है, जैसे इस मशरूम के लिए उपयुक्त है।
श्री गंगानगर के युवा किसान डॉ. चरण सिंह के अनुसार, कीड़ा जड़ी मशरूम की खेती के लिए एक 10 x 10 कमरे की आवश्यकता होती है। इस कमरे को एक लैब की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि किसानों को सेक्शन बाय सेक्शन लैब को डिवाइड करना पड़ता है। हालांकि ये प्रोसेस एक खर्चीला प्रोसेस है, इसमें किसान को 7 से 8 लाख रुपए का निवेश करना पड़ सकता है। क्योंकि बहुत सारे जरूरी उपकरणों की आवश्यकता इसकी खेती के लिए होती है।
सालाना 4 बार इस मशरूम फसल की पैदावार ले सकते हैं। 10 x 10 के एक कमरे से हर तीन महीने में 5 किलो फसल उगाई जाती है। इस तरह कुल 20 किलो सालाना इस मशरूम की पैदावार लिया जा सकता है।
इस खेती में लैब के अंदर 3 महीने में 5 किलो से ज्यादा मशरूम की पैदावार की जा सकती है। इस तरह सिर्फ तीन महीने 10 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। बता दें कि साल में इस मशरूम की 4 बार पैदावार ले सकते हैं। इस तरह कुल 40 लाख रुपए की कमाई हो जाएगी।
बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ चरण सिंह ने श्री नगर में 8000 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाले कीड़ा जड़ी मशरूम को उगाकर कीर्तिमान रच चुके हैं। दूर दूर से कई किसान इनसे इस मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण लेकर अब नए प्रयोग कर रहे हैं।
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