ककोड़ा की खेती : एक बार करें बुवाई, 10 साल तक करें कमाई

Share Product प्रकाशित - 17 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

ककोड़ा की खेती : एक बार करें बुवाई, 10 साल तक करें कमाई

जानें, क्या है ककोड़ा और इससे कैसे हो सकती है बेहतर कमाई

किसान खेती से लाभ कमाने के लिए कई प्रकार की फसलों की बुवाई करता है। इसी के साथ किसान सब्जियों की खेती करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं। सब्जी की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली मानी जाती है। सब्जियों की बाजार में मांग बनी रहने से इसके भाव भी ठीक-ठाक मिल जाते हैं। इसी कड़ी में किसान ककोड़ा की खेती करके इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं। ककोड़ा एक सब्जी है जो बरसात के समय जंगल में स्वत: ही उग जाती है। यह सब्जी खाने में काफी स्वादिष्ट होती है और सेहत के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। ऐसे में किसान इसकी खेती करके इससे काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। खास बात यह है कि इस सब्जी को एक बार उगाना होता है उसके बाद यह साल दर साल स्वत: ही उग जाती है और 10 साल तक लगातार इनकम देती है। इसे उगाने में भी कोई मेहनत नहीं करनी होती है, न ही इसे किसी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। वहीं इसकी बाजार मांग भी काफी है, इससे इसके भाव भी अच्छे मिल जाते हैं।

क्या है ककोड़ा (What is Kakoda)

ककोड़ा का वानस्पतिक नाम मोमोर्डिका डियोइका है। यह एक सब्जी है जिसके फल छोटे करेले जैसे लगते हैं। इस पर छोटे-छोटे कांटेदार रेशे होते हैं। यह अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में पैदा होता है। यह बरसात के दिनों में उगता है। इसकी बेल होती है जो अपने आप जंगलों में झाड़ियों के रूप में उग जाती है और फैल जाती है। इसकी सब्जी बनाकर खाई जाती है। नर्म और स्वादिष्ट होने के कारण लोग इसे खाना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं इस सब्जी में औषधीय गुण भी होते हैं। गर्म मसालों या लहसुन के साथ ककोड़ा की सब्जी बनाकर खाने से वात रोग में आराम मिलता है। ककोड़ा को कई नामों से जाना जाता है जैसे कर्कोटकी, काकोरा, कंटोला, खेखसा, खेसका, वन करेला, मोमोर्डिका डियोइका, स्पाइन गार्ड, अगाकारा आदि। राजस्थान में इसे किंकोड़ा भी बोला जाता है।

ककोड़ा की खेती का उचित समय (Appropriate time for Kakoda Cultivation)

ककोड़ा की खेती गर्मी व मानसून सीजन में की जा सकती है। इसकी बेहतर पैदावार के लिए इसे गर्मी में उगाया जा सकता है। इसकी बुवाई का उचित समय जनवरी व फरवरी माना जाता है। मानसून सीजन में इसकी बुवाई जुलाई में की जाती है।

ककोड़ा की खेती की क्या है खासियत (What is the specialty of Kakoda Cultivation)

ककोड़ा की खेती (Kakoda Farming) की सबसे खास बात यह है कि यदि आप इसे एक बार खेत उगा देंगे तो इसके बाद यह हर बार स्वत: ही उग जाती है। अन्य सब्जियों की तरह बार-बार इसका बीज बोना नहीं पड़ता है। यदि एक बार आपने इसकी बुवाई कर दी तो करीब 10 साल तक इसकी बुवाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह हर बार स्वयं ही उग जाएगी और आपको भरपूर पैदावार देती है। प्रथम बार कम फल मिलते हैं इसके बाद अगली बार उससे ज्यादा पैदावार मिलती है। इससे साल दर साल पैदावार बढ़ती जाती है और किसान की आमदनी भी बढ़ती है।

कहां से मिलेगा ककोड़ा का बीज (Where to get Kakoda Seeds)

यदि आप ककोड़ा की खेती करना चाहते हैं तो आपको इसका बीज लाना पड़ेगा, लेकिन इसका बीज बाजार में आपको नहीं मिलेगा। कृषि विभाग या सरकार द्वारा इसका बीज वितरित नहीं किया जाता है। ऐसे में सिर्फ जंगल में जाकर जहां यह सब्जी उगती है वहां से ही इसका बीज आपको लाना होगा। ककोड़ा के पकने पर उसके बीज स्वत: ही गिर जाते हैं। कोई भी व्यक्ति जंगल जाकर इसका बीज लेकर आ सकता है।

ककोड़ा की कौनसी किस्म मानी जाती है सबसे बेहतर (Which variety of Kakoda is considered the best)

ककोड़ा की कई प्रसिद्ध किस्में हैं जिसमें इंदिरा कंकोड़-1, अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 शामिल है। इन किस्मों में इंदिरा कंकोड-1 (आएमएफ-37) को कमाई के लिहाज से अच्छा माना जाता है। ककोड़ा की यह हाइब्रिड किस्म है, इस पर कीटों का प्रकोप नहीं होता है। ककोड़ा की फसल 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की बुवाई उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा में की जा सकती है।

ककोड़ा की खेती से कितना हो सकता है लाभ (How much profit can be made from Kakoda Cultivation)

ककोड़ा की खेती से किसान साल दर साल अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसकी पहले साल 4 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार होती है। वहीं दूसरे साल 6 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार प्राप्त होती है। इसी तरह तीसरे साल 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार मिल जाती है। इस तरह बढ़ती हुई पैदावार किसान को इससे मिलती है, वो भी कुछ किए बिना। आपको बस एक बार इसे लगाना है, इसके बाद यह सब्जी 10 साल तक आपको कमाई देती रहेगी।

ककोड़ा का क्या है बाजार भाव (What is the market price of Kakoda)

यदि ककोड़ा के बाजार भाव की बात करें तो इसका बाजार भाव 90 से 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक होता है। ऐसे में किसान एक बार इसकी बुवाई करके करीब 10 साल तक इसकी फसल काट सकते हैं। 

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