प्रकाशित - 30 Sep 2024
गन्ना किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बकाया भुगतान को लेकर रहती है। इन्हें चीनी मिलों द्वारा गन्ना खरीद के बाद कई-कई महीनों तक भुगतान का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि अब इन हालातों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन बकाया भुगतान की समस्या अभी भी बनी हुई रहती है। ऐसे में गन्ना किसानों को गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) में इंटरक्रॉपिंग खेती (Intercropping Farming) की तकनीक का उपयोग करना चाहिए ताकि किसान गन्ने की फसल के साथ ही अन्य फसलें लेकर अधिक कमाई कर सकें। कम समय में अधिक आय देने वाली फसलों में सब्जियों की खेती काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि किसान की फसल के साथ बीच में छूटी खाली जगह पर अन्य सब्जियों की खेती करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। आज बहुत से किसान गन्ने की खेती के साथ इंटरक्रॉपिंग तकनीक (Intercropping Technique) का उपयोग करके काफी अच्छा पैसा कम रहे हैं। आज के समय को देखते हुए जब किसानों के खेत काफी छोटे हो गए हैं। ऐसे में कम भूमि पर अधिक फसल की खेती करना ही एक मात्र विकल्प है जिससे अधिक उत्पादन के साथ आदमनी बढ़ाई जा सकती है।
इंटरक्रॉपिंग खेती की वह तकनीक है जिसमें एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ उगाया जाता है। इस तकनीक में फसलों को अलग-अलग कतारों में लगाया जाता है। इंटरक्रॉपिंग में उगाई जाने वाली दूसरी फसल सहयोगी फसल कहलाती है। जैसे- कपास के साथ मूंगफली को लगाना, अनाज के साथ मक्का या सेम जैसी फलियां लगना आदि। इस तकनीक का सबसे अधिक लाभ यह है कि इससे मिट्टी के पोषक तत्वों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल होता है। कीटों के नियंत्रण में सहायता मिलती है और सबसे अधिक लाभ यह है कि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के मुताबिक शरदकालीन गन्ने में सर्दियों के मौसमी की सब्जियों की खेती करके किसान 50,000 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक की अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। बशर्ते कि वे सही विधि और सही किस्मों के बीजों का चयन करें।
गन्ना लंबी अवधि की फसल होती है। ऐसे में किसान गन्ने के साथ सब्जियों की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इससे कम लागत में अधिक कमाई का लाभ मिलेगा, क्योंकि इसमें सिंचाई, उर्वरक, खाद, कीटनाशक आदि के लिए अलग से पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा और अलग से उन सब्जी फसलों की देखभाल भी नहीं करनी होगी। गन्ने के साथ ही उनकी भी देखभाल हो जाएगी। इस तरह किसान एक ही खेत में गन्ने के साथ अन्य सब्जी वाली फसलें तैयार करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। सब्जियों की खेती की खास बात यह है यह कम समय में तैयार हो जाती है, ऐसे में किसान इसे बेचकर तत्काल नकद भुगतान प्राप्त कर सकता है। इससे वह केवल गन्ने की फसल के भुगतान पर डिपेंड नहीं रहकर सब्जियों की फसल से अपने विभिन्न खर्चों को पूरा कर सकता है और गन्ने की पैदावार से भी आमदनी प्राप्त कर सकता है यानी एक खेत से दो तरीके से लाभ प्राप्त कर सकता है।
किसान गन्ने में कतार से कतार की दूरी 90 सेंटीमीटर रखी जाती है और इस खाली जगह पर सब्जी की फसल की बुवाई करके किसान तीन से चार माह में प्रति एकड़ 50 से एक लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। यदि शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की इंटरक्रॉपिग (intercropping of potatoes) यानी आलू की खेती (Potato Cultivation) की जाए तो प्रति एकड़ 8 क्विंटल आलू के बीज की आवश्यकता पड़ती है। गन्ने की फसल के बीच खाली जगह में दो लाइन आलू की लगाई जा सकती है जिससे किसान प्रति एकड़ 100 क्विंटल आलू की पैदावार प्राप्त कर सकता है। और इसे बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकता है।
यदि आप गन्ने के साथ प्याज की इंटरक्रॉपिंग (Onion Intercropping) करना चाहते हैं तो आपको प्रति एकड़ 3 किलोग्राम प्याज के बीज की आवश्यकता होती है। आप गन्ने के बीच खाली जगह में दो लाइन में प्याज की रोपाई कर सकते हैं। इससे आपको प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल प्याज का उत्पादन मिल सकता है। वहीं लहसुन की इंटरक्रॉपिग के लिए आप गन्ने के बीच की खाली जगह में तीन लाइन में लहसुन की बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए आपको प्रति क्विंटल 180 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी। इससे आप प्रति एकड़ 20 से 30 क्विंटल लहसुन की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप गन्ने के साथ फूलगोभी की इंटरक्रॉपिक (Intercrop of Cauliflower) करना चाहते हैं तो आपको प्रति एकड़ 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी। आप गन्ने की फसल के बीच एक लाइन में फूलगोभी की रोपाई कर सकते हैं। इससे आप प्रति एकड़ 100 से 110 क्विंटल तक फूलगोभी की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार पत्तागोभी की इंटरक्रॉपिंग (Intercropping Cabbage) की जा सकती है। इसके लिए भी आपको 200 ग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होगी। इसे भी आप गन्ने के बीच खाली स्थान पर इसकी एक लाइन में रोपाई कर सकते हैं। इससे आप प्रति एकड़ 100 से 110 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
आप गन्ने के साथ राजमा की खेती (kidney bean cultivation) करके भी अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। राजमा की गन्ने की के साथ खेती के लिए आपको प्रति एकड़ 30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। अब खाली गन्ने के बीच में छूटी खाली जगह पर आप दो लाइन राजमा की बुवाई कर सकते है। इससे आपको प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल तक राजमा की पैदावार प्राप्त हो सकती है।
गन्ने की बुवाई के लिए समतल विधि, कुंड विधि, गड्ढ़ा विधि और नाली विधि का प्रयोग किया जाता है। इसमें नाली विधि और गड्ढ़ा विधि अधिक प्रचलन में है। नाली विधि में 30 सेंटीमीटर चौड़ी और गहरी नालियां बनाई जाती है और उसमें गन्ने की बुवाई की जाती है। जबकि नई पद्धति में गन्ना पौध रोपण विधि काफी प्रभावी मानी जा रही है। इस विधि में पहले गन्ने की नर्सरी तैयार की जाती है और इसके बाद पौधों की खेत में रोपाई जाती है। यह विधि इंटरक्रॉपिंग के लिए विशेष रूप से उपयोगी मानी जाती है।
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