Published - 03 Mar 2020
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन से जुड़े किसान साथियों को गुजरात के एक ऐसे युवा दंपति से रूबरू कराते हैं जिन्होंने देश की मिट्टी से जुडऩे, जैविक खेती और माता-पिता की सेवा के लिए विदेश में लग्जरी जीवनशैली और बड़े पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी और अब गुजरात में बेरण गांव में कठिन ग्रामीण जीवन में कामयाबी की इबारत लिख रहे हैं। ये युवा दंपति हैं गुजरात के पोरबंदर जिले के बेरण गांव निवासी रामदेव खुटी व भारती खुटी।
गुजरात का यह युवा दपंति अपने यू-ट्यूब चैनल ‘लाइव विलेज विथ ओम एंड फैमिली’ से देश के लाखों युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं। अब यह दंपति पहले से ज्यादा कमाते हुए ग्रामीण जीवन में चूल्हे पर रोटी बनाना, गाय-भैंस का दूध निकालना और जैविक खेती करके अपने जीवन को सुकून से जी रहे हैं। इस युवा दपंति के यूट्यूब चैनल को देखकर देश के युवा भी खेतीबाड़ी से जुड़ रहे हैं। यह बात भी इस दंपति को उनके भारत लौटने के फैसले के लिए सुकुन देती है।
पोरबंदर जिले के बेरण गांव में रामदेव खुटी करीब 6 साल इंग्लैंड में रहे। रामदेव 2006 में काम करने इंग्लैंड गए थे, वहां दो साल काम के बाद वापस भारत लौट आए और यहां आकर उन्होंने भारती से शादी कर ली। शादी के समय भारती राजकोट में एयरपोर्ट प्रबंधन और एयर होस्टेस का कोर्स कर रही थी। 2010 में पढ़ाई पूरी करने के बाद भारती अपने पति के पास लंदन चली गई। लंदन में भारती ने इंटरनेशनल टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। इसके बाद भारती ने ब्रिटिश एयरवेज के हीथ्रो एयरपोर्ट से हेल्थ एंड सेफ्टी कोर्स भी पूरा किया और वहीं नौकरी करने लगी। दोनों पति-पत्नी लंदन में शानदार जीवन शैली व्यतीत करने लगे। इस दौरान 2014 में उनके एक बेटा हो गया, जिसका नाम ओम रखा गया।
बेटे ओम के जन्म के बाद दोनों पति-पत्नी भविष्य के विकल्पों पर भी चिंतन करने लगे। इस दौरान रामदे खुदी गुजरात में रह रहे अपने माता-पिता को लेकर चिंतित रहने लगे, क्योंकि उनकी देखभाल के लिए गांव में कोई नहीं था। इसके अलावा उनकी खेतीबाड़ी भी दूसरे लोग संभाल रहे थे। रामदे खुदी ने भारत में अपने माता-पिता के पास लौटने का फैसला किया और खेती बाड़ी में कुछ नया करने की सोची।
रामदे व उनकी पत्नी भारती के भारत लौटने के फैसले को कुछ लोगों ने मुर्खतापूर्ण करार दिया। उस समय भारती ब्रिटिश एयरवेज में एक प्रशिक्षु एयर होस्टेस के रूप में काम कर रही थी और रामदे एक सफल प्रबंधकीय कार्यकारी अधिकारी थें। लेकिन दोनों कुछ नया करने के इरादे से गांव लौटने का फैसला ले ही लिया। इस तरह 2015 के एक दिन रामदे लंदन की लग्जरी लाइफ छोडक़र अपने परिवार के साथ वापस गुजरात आ गए और नए सिरे से खेती करने लगे। यहां आकर उन्होंने खेती के साथ पशुपालन पर भी ध्यान दिया।
बेरन गांव में 200 से अधिक कृषक परिवार रहते हैं। खेती-बाड़ी यहां का प्रमुख पेशा है। गांव के लोग लंबे समय से रसायनिक खादों का प्रयोग खेतीबाड़ी में कर रहे हैं। रामदे और भारती से इस प्रथा को बदलने और जैविक खेती करने का संकल्प लिया। हालांकि भारती को शुरू में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इससे पहले उसने कभी खेतीबाड़ी नहीं की थी, लेकिन लगातार मेहनत के दम पर अब भारती खेती के साथ पशुपालन भी खुद संभालती है। परिवार की सात एकड़ भूमि में दंपति जैविक तरीके से मूंगफली, जीरा, धनिया, तिल, ज्वार और पशुओं के चारा उगाते हैं। साथ ही दूध की डेयरी भी संचालित करते हैं। दंपति ने खुद के बनाए जैविक विकल्पों से रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को बदल दिया है। इस तरह यह दंपति गांव में ही एक अच्छा जीवन जी रहे हैं और सबसे खुशी की बात यह है कि वह अपने परिवार के बीच हैं।
रामदे बताते हैं कि यहां आकर उन्होंने सीखा कि गांव में रहकर भी एक आदमी शानदार जीवनशैली जी सकता है और इस काम में वह सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। इस जोड़ी ने 2017 में एक नई शुरूआत करते हुए यू-ट्यूब चैनल ‘लाइव विलेज विथ ओम एंड फैमिली’ लांच किया। इस चैनल के माध्यम से वह खेती की आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीकेसे पशुपालन करने के गुर सीखा रहे हैं। जिसे यू-ट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अभूतपूर्व लोकप्रियता मिली है। वर्तमान में इस चैनल से 4 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। रामदे इस यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से बताते हैं कि वास्तव में गांव कितने सुंदर है और यहां भी लग्जरी जीवन शैली और ज्यादा कमाई के ढेरों अवसर मौजूद है। उन्होंने चैनल के माध्यम से ग्रामीण पिछड़ेपन के मिथक को कम करने का प्रयास किया है। उनके बेटे ओम भी उनके वीडियो में नियमित रूप से शामिल रहते हैं। रामदे बताते हैं कि अब हम गुजरात में शीर्ष व्लॉगिंग चैनलों में से एक हैं और शायद एकमात्र पारिवारिक व्लॉगर्स हैं। हमारे दर्शक पूरे देश में फैले हुए हैं और उनमें से कई हमारे द्वारा जैविक खेती को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं।
गुजरात का यह दंपति अब गांव में रहकर खेती व अन्य साधनों से करीब 8 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं। दंपति इस साल अपने अधिकारिक जैविक प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे। जिसके बाद वे अपनी बिक्री का देशभर में विस्तार करने के लिए तैयार हैं। यह दंपति अब तक जैविक खेती करने के लिए अपने गावं और पड़ौसी गांवों में सैकड़ों किसानों को प्रभावित करने में सफल रहा है। रामदे और भारती खुटी अब पूरे देश के लिए रोड मॉडल के रूप में उभरे हैं।
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