Published - 18 Feb 2022 by Tractor Junction
भारतीय किसानों के बीच औषधीय पौधों की खेती बहुत लोकप्रिय हो रही है। आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताएंगे जिसकी खेती से किसान प्रतिवर्ष लाखों रुपए कमा सकते हैं। जी, जहां पत्थरचट्टा का पौध लगाकर किसान अपनी आमदनी में जोरदार वृद्धि कर सकते हैं। पत्थरचट्टा (ब्रायोफिलम) एक सामान्य तासीर वाला पौधा है जिसे किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। आयुर्वेद का प्रचलन बढऩे के साथ इस आयुर्वेदिक पौधे की मांग भी लगातार बढ़ रही है। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको पत्थर चट्टा पौधे कैसे लगाएं, पत्थरचट्टा पौधे की खेती, पत्थरचट्टा से कमाई आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है।
पत्थरचट्टा का पौध लगाने के लिए किसी बीज की आवश्यकता नहीं होती है। यह पौधा सिर्फ पत्तों से ही उगाया जा सकता है। पत्थरचट्टा के पौधे को छोटे गमलों में भी लगाया जा सकता है। पत्थरचट्टे के पौधों को गमले में भरी मिट्टी में डालना होगा। मिट्टी में डालने के कुछ दिनों बाद ही पत्थरचट्टा का पौधा उग आता है। इस पौधे की खूबी यह है कि मिट्टी में इसके पत्तों की किनारी डालने पर भी यह उग आता है। यहां आपको बता दें कि पत्थरचट्टा के नए पौधे टेराकोटा के बर्तनों में लगाए जाते हैं, जिनमें तल में जल निकासी छेद होते हैं।
आपको बता दें कि पत्थरचट्टे के पौधे में फूल भी उगते हैं मुख्यत: बसंत और सर्दी के मौसम में आते हैं। इस अद्भुत पौधे में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो कई रोगों में लाभ पहुंचाते हैं। अगर आप पत्थरचट्टे की खेती करना चाहते हैं तो आपको इसे नर्सरी से या ऑनलाइन खरीदना होगा। इसके बाद आप इसके पत्तों से जिनती चाहे उतनी खेती कर सकते हैं।
पत्थरचट्टा की खेती के लिए नम मिट्टी की आवश्यकता होती है। आपको नम मिट्टी के ऊपर एक पता रखना है। इसके बाद कुछ ही दिनों में पूर्ण विकसित पौधा तैयार हो जाता है। आप 60 प्रतिशत दोमट मिट्टी + 20 प्रतिशत कोको पीट + 20 प्रतिशत रेत के साथ पोटिंग मिक्स तैयार करके पत्थरचट्टा की खेती कर सकते हैं। पत्थरचट्टा के नाए पौधे विकसित होने पर नम मिट्टी में गिर जाते हैं। फिर यह नए पौधों के रूप में उगने लगते हैं।
पत्थरचट्टा के पौधे को रोजाना कम से कम 4 से 5 घंटे धूप की जरुरत होती है। ये पौधे अत्यधिक गर्मी तो सहन कर सकते हैं लेकिन पाला को नहीं सहन कर पाते और नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इनको घर के अंदर रखना चाहिए या खेती में शेड के अंदर रखना चाहिए।
पत्थरचट्टा में पानी डालने के भी कुछ नियम आपको फायदा पहुंचाएंगे। बसंत और गर्मी के दौरान जब मिट्टी 2 से 3 इंच की गहराई तक सूख जाए, तब इसमें पानी डालना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार यदि ब्रायोफिलम के पौधों में फिल्टर पानी का उपयोग किया जाता है तो इसका विकास अधिक अच्छा होता है। पत्थरचट्टा के पौधे के समुचित विकास के लिए प्रति दो माह के दौरान एक बार आधा चम्मच बोन मील देना चाहिए।
पत्थरचट्टा के पौधों को समय-समय पर रोग व कीट से बचाव करना भी जरूरी है। पत्थरचट्टा के पौधे में संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए भूरे रंग के पत्ते को हटा देना चाहिए। इसके अलावा एफिड्स को भी हाथ से हटाना चाहिए। यदि पत्थर चट्टा का पौधा फफूंदी से संक्रमित हो जाता है तो इसे नियंत्रित करने के लिए पोटेशियम बाइकार्बोनेट का उपयोग किया जा सकता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पत्थरचट्टा औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके सेवन से कई प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं। इसे घर पर गमले में भी लगाया जा सकता है। इसके पत्तों का स्वाद खट्टा और नमकीन होता है। यह मूत्र विकार, संक्रमण, सिर दर्द, आंख, जख्म भरने, हाई ब्लड प्रैशर सहित कई रोगों में रामबाण का काम करता है। इसकी पत्तियों का रसा काढ़ा के तौर पर भी पिया जा सकता है। पत्थरचट्टा के सेवन से किडनी की पथरी, प्रोस्टेट ग्रंथि की बीमारी, खून का बहना, आदि रोग भी दूर होते हैं।
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