Published - 03 Sep 2020 by Tractor Junction
देश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। इन योजनाओं से किसानों को फायदा हो रहा है। इन योजनाओं को चलाने का सरकार का मुख्य उद्देश्य देश के कुल उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करना है। खेती-बाड़ी के अलावा किसानों को और अधिक लाभ कैसे मिल सके इसके लिए सरकार ने मधुमक्खी पालन की योजना चला रखी है। किसान खेतीबाड़ी के साथ ही मधुमक्खी पालन कर अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकता है।
इस वर्ष मोदी सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत 500 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया गया है। मधुमक्खी पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां रोजगार का साधन प्राप्त होता है वहीं परागण के माध्यम से फसलों से होने वालो आय और गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है साथ ही मधुमक्खी पालन से शहद और मोम जैसे उत्पाद भी प्राप्त होते हैं। मधुमक्खी पालन किसानों के लिए अनुकूल व्यवसाय के रूप में सही है। यह किसानों का कृषि में सहायक होने के साथ ही आमदनी का एक जरिया भी है।
लेकिन किसानों को सही जानकारी नहीं रहने के कारण इसकी व्यवसाय में अधिक रूचि नहीं लेते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में मधुमक्खी पालन के लिए 3 माह का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन मधुमक्खी पालन के साथ ही इस क्षेत्र में रोजगार की भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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मधुमक्खियां मोन समुदाय में रहने वाली कीटों वर्ग की जंगली जीव है इन्हें उनकी आदतों के अनुकूल कृत्रिम ग्रह ( हईव ) में पाल कर उनकी वृद्धि करने तथा शहद एवं मोम आदि प्राप्त करने को मधुमक्खी पालन या मौन पालन कहते है। शहद एवं मोम के अतिरिक्त अन्य पदार्थ, जैसे गोंद ( प्रोपोलिस, रायल जेली, डंक-विष ) भी प्राप्त होते है।
वैसे तो मधुमक्खी पालन पूरे बारहों महीने किया जा सकता है लेकिन मधुमक्खी पालन के लिए जनवरी से मार्च का समय सबसे उपयुक्त रहता है। वहीं नवंबर से फरवरी का समय तो इस व्यवसाय के लिए कॉफी फायदेमंद है।
पृथ्वी पर लगभग 20000 से अधिक प्रकार की मधुमक्खियां है, जिनमें से केवल चार प्रकार की ही शहद बना पाती है, आमतौर पर मधुमक्खी के छत्ते में एक रानी मक्खी, कई हजार श्रमिक मक्खी और कुछ नर मधुमक्खी होते हैं। मधुमक्खियों का समूह श्रम विभाजन और विभिन्न कार्यों के लिए विशेषज्ञों का उत्तम उदाहरण होता है। मधुमक्खी श्रमिक मधुमक्खियों की मोम ग्रंथि से निकलने वाले मोम से अपना घोसला बनाते हैं जिन्हें शहद का छत्ता कहा जाता है। देश में चार प्रकार की मधुमक्खियों की प्रजाति पाई जाती है जिसमें यूरोपियन इटेलियम बी है इसका मधुमक्खी का पालन काफी आसानी से पाल सकते है क्योंकि वह बहुत शांत स्वभाव की होती है और एक परिवार की तरह उनकी संरचना होती है उस हिसाब से वह काम करती है।
इन मधुमक्खियों का अंधेरे में छत्ता होता है और सामांतर छत्ते यह लगाती है। किसानों की आय बढ़ाने करने के लिए और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए देश के कई संस्थान इस व्यवसाय की ओर ध्यान दे रहे है। किसी मान्यता प्राप्त से संस्थान से प्रशिक्षण लेकर इस व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है।
शुरुआती दौर में पांच कलोनी (पांच बाक्स) से शुरू कर सकते है एक बॉक्स में लगभग में चार हजार रुपए का खर्चा आता है तो अगर आप पांच ऐसे बॉक्स लेंगे तो बीस हजार रुपए का खर्चा आता है। इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए समय समय पर इनका विभाजन कर सकते हैं। अगर ठीक से विभाजन से कर लिया तो एक साल में 20000 हजार बक्से तैयार किए जा सकते हैं।
एक बॉक्स की कीमत चार हजार रुपए है जिसमें मधुमक्खी, छत्ता सहित बक्सा भी रहता है। किसानों को मधुमक्खी पालन योजना के तहत एक बक्से पर 75 प्रतिशत का अनुदान मिलता है।
दिल्ली में नेशनल बी बोर्ड से प्रमाणित संस्थाएं है उनसे आप मधुमक्खियों को खरीद सकते है। उद्यान विभाग से भी ले सकते है। कृषि विज्ञान केंद्र से भी मधुमक्खी ले सकते है। इसके अलावा यहां से बाक्स भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
मधुमक्खी उत्पाद जैसे मधु, रायलजेली व पराग के सेवन से मानव स्वस्थ एवं निरोगित होता है। मधु का नियमित सेवन करने से तपेदिक, अस्थमा, कब्जियत, खूल की कमी, रक्तचाप की बीमारी नहीं होती है। रायल जेली का सेवन करने से ट्यूमर नहीं होता है और स्मरण शक्ति व आयु में वृद्वि होती है। मधु मिश्रित पराग का सेवन करने से प्रास्ट्रेटाइटिस की बीमारी नहीं होती है। मौनी विष से गाठिया, बताश व कैंसर की दवायें बनायी जाती हैं। बी- थिरैपी से असाध्य रोगों का निदान किया जाता है।
मधुमक्खी पालन के उपयोग में आने वाले बाक्स 12 इंच चौड़ा और 22 इंच लंबा होता है। एक बक्से में 10 या उससे कम फ्रेम होती है। कम फ्रेम होने पर शहद कम इक्ट्ठा होता है। एक बाक्स से दो महीने में 50 से 60 किलो शहद का उत्पादन होता है। शहद बेचने पर एक बाक्स पर करीब 3 हजार रुपए का मिलता है। जैसे-जैसे बाक्सों की संख्या आप बढ़ाते जाएंगे उतना ही आपको आमदनी होगी।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक एस.बी. शर्मा ने जानकारी दी है कि जनपद केंद्र सहारनपुर, बस्ती एवं अधीक्षक राजकीय उधान प्रयागराज में मधुमक्खी पालन का दीर्घकालीन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण 16 सितंबर 2020 से 15 दिसंबर 20 दिसंबर 2020 तक आयोजित किया जाएगा। मधुमक्खी पालन के लिए शुरू किए जा रहे माह के प्रशिक्षण के लिए सामान्य योज्यता की जरूरत है। उत्तर प्रदेश के कोई महिला या पुरुष की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता कक्षा-08 उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है इसकी जानकारी आप जिला बागवानी अधिकारी राज्य सरकार के निदेशक, बागवानी प्रबंधक निदेशक, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, बी विंग, दूसरी मंजिल, जनपथ भवन, जनपथ रोड, नई दिल्ली, फोन नं. 011 – 23325265 पर ले सकते हैं।
मधुमक्खी पालन के लिए इच्छुक अभ्यार्थी को 16 सितंबर 2020 तक आवेदन करना होगा। इच्छुक अभ्यार्थी संयुक्त निदेशक, औधानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र सहारनपुर व बस्ती तथा अधीक्षक, राजकीय उधान प्रयागराज से संपर्क कर निर्धारित तारीख तक आवेदन करें। आवेदन पत्र के साथ दो संभ्रात व्यक्तियों या राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रदत्त चरित्र प्रमाण पत्र लगाना आवश्यक है। 3 माह का प्रशिक्षण बिल्कुल निशुल्क है। इसके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं रखा गया है लेकिन 3 माह तक अभ्यार्थी को रहने तथा खाने का खर्च खुद उठाना होगा। अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या अपने जिले उद्यान कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
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