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गेहूं की पछेती बुवाई कैसे करें : गेहूं की उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका

Published - 22 Dec 2021

गेहूं की पछेती बुवाई की इस उन्नत तकनीक से होगी बंपर पैदावार

देश में गेहूं की अगेती बुवाई पूरी हो चुकी है। वहीं कुछ किसान ऐसे भी है जो किसी कारणवश गेहूं की अगेती बुवाई नहीं कर पाएं हैं, वे किसान दिसम्बर माह तक गेहूं की पछेती बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जल्दी पकने वाली किस्मों चयन करना होगा। इसके साथ बीज की मात्रा ध्यान रखनी होगी तथा बुवाई का तरीका भी समझाना होगा ताकि बेहतर उत्पादन मिल सके। बता दें कि अगेती बुवाई के मुकाबले पछेती बुवाई में थोड़ा उत्पादन कम प्राप्त होता है। लेकिन यदि खेती की सही तकनीक के बारे में पता हो तो उत्पादन में अधिक गिरावट नहीं आती है। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से गेहूं की पछेती बुवाई की उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दे रहे हैं। आशा करते हैं कि ये जानकारी आपके लिए लाभदायक साबित होगी। 

गेहूं की पछेती बुवाई की उन्नत किस्में 

देश में राज्यों की भौगोलिक स्थिति और जलवायु के हिसाब से गेहूं की पछेती बुवाई के लिए कई किस्में जारी की गई है। उनमें से हम यहां आपको कम समय में पककर तैयार होने वाली गेहूं की पछेती किस्मों की जानकारी दे रहे हैं।

राज 3765 

यह किस्म सामान्य बुवाई, सिंचाई व पिछेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। सामान्य बुवाई में इसके पकने का समय 120 से 125 दिन है, जबकि पिछेती बुवाई में यह किस्म 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। दाने शरबती चमकीले आभा लिए सख्त व बड़े आकार के होते हैं। यह किस्म पिछेती बुवाई में औसतन 38 से 42 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज दे सकती है।

एच.डी.-2985 (पूसा बसंत) 

इस किस्म को पकने में 105-110 दिन का समय लगता है। यह किस्म लीफ रस्ट एवं फोलियर ब्लाइट अवरोधी है। इस किस्म की उत्पादकता 37.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

डी.बी.डब्लू.-173

गेहूं की इस पछेती किस्म की उत्पादकता 47.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके पकने की अवधि 122 दिन है। यह किस्म पीला एवं भूरा रस्ट अवरोधी है। यह किस्म ताप सहिष्णु है। 

डी.बी.डब्लू.-90 

यह किस्म 121 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह स्ट्रिप एवं लीफ रस्ट अवरोधी है और उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता रखती है। गेहूं की इस किस्म से 42.80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

पी.बी.डब्लू.-590 

गेहूं की यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त पाई गई है। यह किस्म 121 में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म ताप सहिष्णु, लीफ रस्ट अवरोधी है। इसकी उत्पादन क्षमता 42.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 

डब्लू.एच. 1124 

यह किस्म अवधि 123 दिन की अवधि में पक कर तैयार हो जाती है। यह पीला एवं भूरा रस्ट रोग के प्रति अवरोधी है। इसकी उत्पादन क्षमता 42.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 

डब्लू. एच. 1021 

यह किस्म भी देरी से बुवाई के लिए अच्छी किस्म मानी जाती है। इस किस्म की उत्पादकता 39.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। ये भी अधिक तापमान को सहन करने की क्षमता रखती है।

एचडी.-3059 (पूसा पछेती)

इस किस्म की उत्पादकता 39.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसे पकने में 157 दिन लगते हैं। यह किस्म रस्ट अवरोधी होने के साथ ही अधिक तापमान सहन करने की क्षमता रखती है। 

गेहूं की पछेती किस्म की बुवाई के लिए बीज की मात्रा

पछेती किस्म की बुवाई के लिए 55 से 60 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिए। सबसे पहले पछेती किस्मों की बुवाई के लिए बीज को करीब 12 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इससे बीज का जल्दी व ज्यादा जमाव होता है। इसके बाद बीज को पानी से निकाल कर उसे दो घंटे फर्श पर छाया में सुखाना चाहिए।

गेहूं की पछेती किस्मों का कैसे करें बीजोपचार

पछेती किस्मों की बुवाई से पहले बीजों उपचारित करना बेहद जरूरी है। दीमक से बचाव के लिए 150 मिली क्लोरोपाइरीफोस 20 फीसदी का साढ़े चार लीटर पानी में घोल बनाकर एक क्विंटल बीज को उपचारित करें। अगले दिन कंडुआ व करनाल बंट रोग से बचाव के लिए एक ग्राम रेक्सिल फफूंदनाशक दवा प्रति किलो बीज की दर से सूखा उपचार करें। अंत में बिजाई से थोड़ा पहले जीवाणु खाद एजोटोवेक्टर तथा फोसफोटीका से उपचारित कर लेना चाहिए।

गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई का सही तरीका

बीज को उपचारित करने के बाद बीज की बुवाई उर्वरक ड्रिल से करें और पछेती बुवाई में खूड़ से खूड़ की दूरी करीब 20 सेंटीमीटर की जगह करीब 18 सेंटीमीटर रखें। किसान जीरो सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से भी बुवाई कर सकते हैं। यदि डिबलर द्वारा गेहूं की बुवाई करनी हो तो बीज दर 10 से 12 किलो प्रति एकड़ पर्याप्त है। सामान्य बोई गई फसल के लिए दो पंक्तियों के बीच 20 से 22.5 सेमी की दूरी रखी जाती है। बुवाई में देरी होने पर 15 से 18 सेमी की दूरी रखें।

गेहूं की बुवाई की प्रचलित श्री विधि तकनीक

किसानों के बीच प्रचलित श्री विधि से गेहूं की बुवाई के लिए सबसे पहले यह ध्यान दिया जाता है कि बुवाई के समय जमीन में नमी हो क्योंकि इस विधि से बुवाई के लिए अंकुरित बीज का प्रयोग होता है। खेत में पलेवा देकर ही बुवाई करें। देसी हल या कुदाल से 20 सेमी. की दूरी पर 3 से 4 सेमी. गहरी नाली बनाते हैं और इसमें 20 सेमी. की दूरी पर एक स्थान पर 2 बीज डालते हैं, बुवाई के बाद बीज को हल्की मिट्टी से ढक देते हैं इसके बाद बुवाई के 2-3 दिन में पौधे निकल आते हैं। 

गेहूं की पछेती बुवाई में खाद व उर्वरक का प्रयोग

  • खाद्य व उर्वरक विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को बुवाई से पहले गली सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ डालना चाहिए। अगर 6 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट प्रति एकड़ खेत में डालें, तो फास्फोरस खाद की मात्रा आधी कर दें। 
  • इसके साथ ही बुवाई के समय 50 किलोग्राम डीएपी या 75 किलोग्राम एनपीके 12:32:16 तथा 45 किलोग्राम यूरिया व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत डाल दें। ध्यान दें कि एनपीके या डीएपी उर्वरकों को ड्रिल से दें। इसके अलावा जिंक और यूरिया को आखिरी जुताई के दौरान डालें। 
  • वहीं पहली सिंचाई पर 60 से 65 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ डालना चाहिए। अगर रेतीली भूमि है, तो यूरिया दो बार पहली और दूसरी सिंचाई पर डालना चाहिए।

गेहूं की पछेती फसल में सिंचाई का तरीका

गेहूं की पछेती बुवाई में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसकी सही समय पर सिंचाई करना जरूरी है। इसके लिए इसकी पहली सिंचाई 3 सप्ताह की जगह 4 सप्ताह बाद करनी चाहिए। इसके बाद की सिंचाई मध्य फरवरी तथा 25 से 30 दिनों के बाद करनी चाहिए। फिर 20 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। वहीं फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण के उपाय

गेहूं में कनकी, मंडूसी व जंगली जई खरपतवारों का प्रकोप अधिक रहता है। इसे देखते हुए समय-समय पर आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई का कार्य करके खरपतवार का हटाना चाहिए। यदि खेत में खरपतवारों का प्रकोप अधिक है तो इसके लिए रासायनिक उपाय अपना जा सकते हैं। इसमें खरपतवारों की रोकथाम के लिए क्लोडिनाफाप 15 प्रतिशत 160 ग्राम प्रति एकड़ बुवाई के 30 से 35 दिन बाद 250 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए। वहीं जंगली मटर, बथुआ, हिरनखुरी आदि की रोकथाम के लिए 500 ग्राम 2,4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ बिजाई के 30-35 दिन बाद छिडक़ाव करें।

दीमक से बचाव के लिए ये करें उपाय

यदि खेत में दीमक का प्रकोप अधिक रहता है तो किसान भाई दीमक से बचाव के लिए बुवाई से एक दिन पहले 150 मिली क्लोरोपायरीफोस 20 ईसी दवा को 5 लीटर पानी में घोलकर बनाएं और इसे 100 किलो बीज के ऊपर छिडक़ दें।

पीला रतवा रोग से बचाव के लिए ये करें उपाय

गेहूं में पीला रतवा रोग का प्रकोप अधिक रहता है। इसकी रोकथाम के लिए करीब 200 मिलीलीटर प्रापिकानाजोल 25 ईसी दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छडक़ देना चाहिए। अगर इस तकनीक से गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई की जाए तो फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

 

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