प्रकाशित - 02 Jan 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
भारत के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ तकनीक का उपयोग करके नई-नई खेती करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं। किसान अब व्यापारिक फसलों जैसे कि सब्जियों की खेती करके डबल मुनाफा कमा रहे हैं। इसी कड़ी में देश के किसान अब लाल भिंडी की खेती की तरफ रुचि ले रहे हैं। लाल भिंडी की खेती साल में दो बार यानी कि खरीफ व रबी सीजन में की जा सकती है। हरी भिंडी green ladyfinger की अपेक्षा में लाल भिंडी का बाजार में रेट ज्यादा रहता हैं। इसलिए किसानों की खेती करके अन्य फसल से अधिक लाभ कमा लेते हैं। लाल भिंडी की खेती (Red Ladyfinger) भी हरी भिंडी की तरह ही की जाती हैं व इसके पौधा भी हरी भिंडी की तरह ही 1.5 से 2 मीटर लंबे होते हैं। लाल भिंडी की फसल 40 से 45 दिनों में उपज देना शुरू कर देती है। लाल भिंडी की फसल चार से पांच महीने तक उपज देती है। लाल भिंडी की एक एकड़ खेती से करीब 50 से 60 क्विंटल तक का उत्पादन किसानों को आसानी से मिल जाता है जिससे किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम आपको साथ लाल भिंडी की खेती की जानकारी दे रहे हैं।
किसानों के बीच कम जागरुकता के कारण लाल भिंडी की खेती भारत के अभी कुछ ही राज्यों में होती हैं। भारत में लाल भिंडी की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ हैं।
लाल भिंडी की अभी फिलहाल दो ही उन्नत किस्में विकसित हुई हैं और किसान इन किस्मों की खेती करके अच्छा लाभ कमा रहे हैं। ये किस्में इस प्रकार से हैं-
1.आजाद कृष्णा
2.काशी लालिमा
लाल भिंडी की इन दोनों किस्मों के विकास के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों द्वारा साल 1995-96 से कार्य शुरू किया गया। 23 साल की लंबी अवधि के बाद उत्तरप्रदेश के वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान ने लाल भिंडी की इस किस्म के विकास में सफलता प्राप्त की। इस लाल भिंडी की किस्म का रंग बैंगनी व लाल होता है। इसकी लंबाई 10 से 15 सेंटीमीटर और मोटाई 1.5 से 1.6 सेंटीमीटर होती है। लाल भिंडी में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इन दोनों किस्मों की भिंडी के अंदर का फल लाल रंग का होता है।
लाल भिंडी की खेती करते समय किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ये प्रमुख बातें इस प्रकार से हैं-
लाल भिंडी की खेती (Lal bhindi ki kheti) करने के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। आमतौर पर हरी भिंडी के जैसे ही लाल भिंडी के पौधे की लंबाई लगभग 1 से 1.5 मीटर तक की होती है। लाल भिंडी की खेती खरीफ और रबी दोनों ही मौसमों में की जाती है। इसके पौधे को अधिक बारिश की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। सामान्य बारिश इसकी खेती के लिए काफी अच्छी होती है। अधिक गर्मी और अधिक सर्दी लाल भिंडी की खेती करने के लिए अच्छी नहीं होती। सर्दियों में पड़ने वाला पाला भी इसकी फसल को नुकसान पहुंचाता है। पौधों को सही ढंग से विकास करने के लिए दिन में लगभग 6 घंटे तक की धूप की आवश्यकता होती है।
लाल भिंडी की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। अच्छी पैदावार व गुणवत्ता युक्त फल के लिए उचित जल निकासी वाला खेत व खेत की मिट्टी का पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के बीच तक का होना चाहिए। बता दें कि अपने देश में लगभग सभी राज्यों में लाल भिंडी की खेती की जा सकती है।
लाल भिंडी की खेती साल में दो बार की जा सकती है। लाल भिंडी की खेती करने के लिए फरवरी के पहले सप्ताह से मार्च महीने के अंत तक और जून से जुलाई महीने तक इसकी बुवाई खेतों में की जा सकती है।
लाल भिंडी की खेती करने के लिए खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से या कलटीवेटर की मदद से खेत की 2 से 3 बार खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए। उसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। इसके बाद खेत में 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद को डालकर खेत की फिर से 1 से 2 बार अच्छे से तिरछी जुताई करनी चाहिए। इससे गोबर की खाद खेत की मिट्टी में अच्छे से मिल जाती है। उसके बाद खेत में पानी लगाकर खेत का पलेव कर दें। पलेव करने के दो से तीन दिन बाद जब खेत के ऊपर की मिट्टी सूखने लगे तब खेत की 1 से 2 बार रोटोवेटर की मदद से जुताई करके खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें।
लाल भिंडी (Red Bhindi) की फसल में सिंचाई हरी भिंडी की तरह ही होती है। इसके पौधे की सिंचाई बुवाई के मौसम के अनुसार की जाती है। मार्च के महीने में 10 से 12 दिन के अंतराल पर, अप्रैल में 7 से 8 दिन के अंतराल पर और मई-जून में 4 से 5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। बारिश के मौसम में यदि बराबर बारिश होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। रबी सीजन में बुवाई करने पर 15 से 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
लाल भिंडी की बुवाई से पहले खेत की तैयारी करते समय खेत में 15 से 20 टन अच्छी तरह गली और सड़ी हुई गोबर की खाद एक महीने पहले खेत में डाल देनी चाहिए। रासायनिक खाद का उपयोग 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 50 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से खेत में डालना चाहिए।
बुआई के पहले ही नाइट्रोजन खाद की एक तिहाई मात्रा तथा फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत में डाल देना चाहिए। शेष बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा दो बार खड़ी फसल में बराबर मात्रा में फसल की सिंचाई करते समय डालनी चाहिए।
लाल भिंडी का उत्पादन हरी भिंडी की तुलना में तीन गुना अधिक होता है। कृषि वैज्ञानिकों ने अब लाल भिंडी की भारतीय किस्म भी विकसित कर ली है। यह लाल भिंडी बाजार में हरी भिंडी से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिकती है। लाल भिंडी की एक एकड़ खेती से करीब 50 से 60 क्विंटल तक का उत्पादन आसानी से प्राप्त हो जाता हैं। लाल भिंडी की खेती में लगने वाली लागत आदि मिलाकर कुल खर्चों के बाद भी किसान लाल भिंडी से हरी भिंडी के मुकाबले डेढ़ से दो गुना ज्यादा कमाई कर सकते हैं। बाजार में एक किलोग्राम लाल भिंडी 100 से 500 रुपए की कीमत पर बिकती है। जिसकी एक एकड़ खेती से किसान लाखों रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
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