Published - 09 May 2022 by Tractor Junction
कटहल को विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहते हैं। इसका पूर्ण विकसित पौधा कई वर्षो तक पैदावार देता है। इसके पके हुए फल को ऐसे भी खाया जा सकता है। किन्तु विशेषकर इसे सब्जी के रूप में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे फल और सब्जी दोनों ही कह सकते हैं। कटहल की ऊपरी परत पर छोटे-छोटे काटे लगे होते हैं। कटहल में कई तरह के पोषक तत्व जैसे:- आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी, और पौटेशियम बड़ी मात्रा में भी पाए जाते हैं, जो कि मानव शरीर के लिए लाभदायक भी हैं। एक वर्ष में कटहल के पेड़ से दो बार फलों को प्राप्त किया जा सकता है। इस लिहाज से कटहल की खेती किसानों के लिए आय की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी खेती से किसानों को बहुत अच्छा मुनाफा होता है। कटहल कच्चा हो या पका हुआ, इसको दोनों प्रकार से उपयोगी माना जाता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा होती है। इसकी बागवानी यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के कई राज्यों में होती है। दक्षिण भारत में विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्य में इसकी खेती 3,000 से 6,000 साल पहले से की जा रही है। इन राज्यों में कटहल की फसल को सब्जी एवं फल के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। भारतीय कटहल का निर्यात अब विदेशों में भी होने लगा है। जिस वहज से कटहल की खेती करने वाले किसान वर्तमान में इसकी खेती से लाखों रूपये का हर साल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। आपको बता दें कि कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है, जबकि भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु में भी इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है। अगर आप भी कटहल की खेती से लाखों रूपये की कमाई करना चाहते हैं, तो ट्रैक्टर जंक्शन की यह पोस्ट आपके लिए बड़ी उपयोगी है। इस पोस्ट में आपको कटहल की खेती कैसे होती है तथा कटहल का पेड़ कैसे लगाया जाता है, इससे जुड़ी जानकारी दी जा रही है।
कटहल का पौधा एक सदाबहार 8 से 15 मीटर ऊँचा बढ़ने वाला, फैलावदार तथा घने छत्रक युक्त बहुशाखीय वृक्ष है, जो भारत का देशज हैं। कटहल या फनस का वानस्पतिक नाम औनतिआरिस टोक्सिकारीआ है। कटहल के पत्ते 10 सेमी से लेकर 20 सेमी लम्बे कुछ चौड़े, किंचित अंडाकार और किंचित कालापनयुक्त हरे रंग के होते हैं। कटहल में पुष्प स्तम्भ और मोटी शाखाओं पर लगते हैं। पुष्प 5 सेमी से लेकर 15 सेमी तक लम्बे, 2-5 सेमी गोल अंडाकार और किंचित पीले रंग के होते हैं। इसके फल बहुत बड़े-बड़े लम्बाई युक्त गोल होते हैं। उसके उपर कोमल कांटे होते हैं। फल लगभग 20 किलो भार वाला होता है। कटहल के वृक्ष की छाया में कॉफी, इलायची, काली मिर्च, जिमीकंद, हल्दी, अदरक इत्यादि की खेती की जा सकती हैं।
कटहल को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन कटहल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखे की भूमि जल-भराव वाली न हो। इसके खेती में भूमि का पी.एच मान 7 के आस-पास होना चाहिए। अगर जलवायु की बात करें तो इसकी खेती शुष्क एवं शीतोष्ण दोनों जलवायु में सफलतापूर्वक कर सकते हैं, क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय फसल का पेड़ है।इसलिए इसकी खेती के लिए शुष्क और नम, दोनों प्रकार की जलवायु को काफी उपयुक्त माना गया है। इसके पौधे अधिक गर्मी और वर्षा के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, किन्तु ठंड में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है। इसके साथ ही 10 डिग्री से नीचे का तापमान पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक होता है। अगर आप कटहल की व्यापारिक खेती करना चाहते हैं, तो इस प्रकार की भूमि एंव जलवायु वाले क्षेत्र का ही प्रयोग करें।
कटहल के पौधों की रोपाई बीज के रूप में की जाती है। बीजों द्वारा उगाये गए पौधों पर 5 से 6 वर्ष का समय लग जाता है। यदि आप कटहल के पौध को बीजों द्वारा तैयार करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको पहले पके हुए कटहल से बीज निकालने हैं। बीजों को निकालने के बाद इन्हें ज्यादा दिन के लिए ना रखे, हो सके तो इन्हें तुरंत ही मिट्टी में लगा देना चाहिए। पौध तैयार करने के लिए आपको गमला या पॉलीथिन बैग लेना है, गमला या पॉलीथिन बैग लेने के बाद आपको इसके अंदर 80 प्रतिशत सामान्य मिट्टी और 20 प्रतिशत पुरानी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर इसे भर लेना है। इसके बाद कटहल में से निकाले गए बीज को लगभग दो इंच की गहराई में रोपाई करें। रोपाई के बाद इनमें नमी बनाये रखने के लिए पानी डालते रहें। यह बीज लगभग एक सफ्ताह में उगना शुरू हो जाते हैं। जब पौधों पर तीन से चार पत्तियां आ जाएँ, तो इनकी रोपाई तैयार खेत में की जा सकती हैं। कटहल के पौधों को बनाने के लिए दो विधियों को इस्तेमाल में लाया जाता है।
ग्राफ्टिंग या कटिंग द्वारा तैयार किये गए कटहल के पौधे पर लगभग तीन से चार साल में फल आना शुरू हो जाते है। कटहल की व्यापारिक खेती के लिए ग्राफ्टिंग विधि से तैयार पौधे का उपयोग करें। क्योंकि इस विधि से पौधे को तैयार करना बहुत आसान होता हैं। ग्राफ्टिंग विधि से पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको इसके बीजों द्वारा उगाया गया कटहल का पौधा लेना है। इसके बाद आपको एक बड़े कटहल के पेड़ की कटिंग लेनी है। कटिंग आपको लगभग तीन इंच की लेनी है। जिसकी मोटाई पेन्सिल की बराबर होनी चाहिए। कटिंग को लेने के बाद आपको कटहल के पौधे के तने को बीच में से काटकर उसके अंदर लगभग तीन इंच का चीरा लगाना है। कटिंग को पेना करके चीरा लगे हुए तने के अंदर फंसा दें। इसके बाद आपको इसके ऊपर कसकर टेप या फिर पॉलीथिन बांध देनी है। इसके बाद इसमें से जड़े निकल आती है, उन्हें काट गड्ढे में लगा दिया जाता है।
कटहल के तैयार पौधे एवं बीज से रोपाई का सही समय जून से सितम्बर का महीना होता है। कटहल के पौधे की रोपाई करने से पहले खेत को तैयार करने के लिए एक गहरी जुताई करने के बाद पाटा चलाकर भूमि को समतल कर लें। समतल भूमि पर 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास एवं 1 मीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें। इन सभी गड्ढों में 20 से 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खल्ली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिलाकर भर देना चाहिए। इसके बाद इन गड्ढ़ों में तैयार पौधे की रोपाई कर उंगली से मिट्टी को दबा दें।
कटहल का पेड़ रोपाई के बाद तीन से चार साल बाद पैदावार देना आरंभ कर देता है। वहीं बीज द्वारा की गई रोपाई वाला पौधा कम से कम 7 से 8 साल बाद फल देना आरंभ कर देता हैं। कटहल के पेड़ पर 12 साल तक अच्छी मात्रा में फल आते हैं, इसके बाद यह फलों की मात्रा कम कर देता है और जैसे-जैसे पेड़ पुराना होने लगता है पेड़ पर फलों की संख्या कम होने लगती है। कटहल के एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 150 पौधों को लगाया जा सकता है। जिससे एक वर्ष में एक पौधे से तकरीबन 500 से 1000 किलोग्राम की पैदावार प्राप्त हो जाती है। इस हिसाब से किसान भाई कटहल की एक वर्ष की पैदावार से करीब तीन से चार लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
कटहल का पेड़ बारहमासी होता है। जो की सदैव हरा भरा रहता है। इस पेड़ की शाखाएं अधिक फैलती है। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 12 से 15 मीटर तक हो जाती है। यह बहुत घना और विशाल होता। जहां कटहल की खेती की जाती है। वहां पर इसके पेड़ की छाया में इलायची, काली मिर्च आदि चीजों की खेती की जा सकती है। क्योंकि इसके घने पत्तो की वजह से जमीन पर सीधी धूप नहीं पड़ती है। जिसकी वजह से वह सभी खेती इसकी छाया में की जा सकती है जिन्हें ज्यादा धूप की जरुरत नहीं होती है। जब पेड़ की आयु पूरी हो जाती है, तो यह सूखने लगता है। इसके बाद इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल घरेलू फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है। इसकी लकड़ी अन्य कई लड़कियों से ज्यादा मजबूत होती है।
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