सीताफल की खेती कैसे करें : जानें खेती का सही तरीका, होगा अधिक मुनाफा

Share Product प्रकाशित - 17 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सीताफल की खेती कैसे करें : जानें खेती का सही तरीका, होगा अधिक मुनाफा

सीताफल की खेती से किसान होंगे मालामाल, जानें क्या है खेती की प्रक्रिया

सीताफल को शरीफा भी कहा जाता है। सीताफल एक अत्यंत स्वादिष्ट और मीठा फल होता है। इसमें मौजूद विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर की प्रचुर मात्रा की वजह से इसकी बाजार में काफी अच्छी मांग है। इसमें चीनी की प्रचुर मात्रा है, जिसकी वजह से इसका उपयोग शरबत, मिठाई, वाइन और आइसक्रीम बनाने में भी किया जाता है। सीताफल की खेती किसानों को काफी मुनाफा दे सकती है। गौरतलब है कि आज देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार बागवानी पर फोकस किया जा रहा है। देश में किसानों को बागवानी के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। सीताफल एक ऐसी ही बागवानी फसल है, जो किसानों को कम से कम लागत में अच्छी इनकम देने की वजह से काफी लोकप्रिय हो रही है।

सीताफल का उपयोग (Benefits of Custard Apple)

सीताफल को आम बोलचाल की भाषा में शरीफा भी कहा जाता है। शरीर में मौजूद पाचन तंत्र को मजबूत करने और हृदय को मजबूती प्रदान करने के अलावा सीताफल शारीरिक उपापचय क्रियाओं (मेटाबॉलिज्म) को बेहतर बनाने में मदद करता है। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने की वजह से आज के दौर में जो हानिकारक रसायन जाने अनजाने में हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उस नुकसान से भी बचा जा सकता है। अक्सर डॉक्टर, महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान सीताफल खाने की सलाह देते हैं। ये एनीमिया को दूर करता है और गर्भस्राव को भी कम करता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, त्वचा को स्वस्थ रखने, बालों को पोषण प्रदान करने और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी सीताफल का सेवन किया जा सकता है।

बुआई का समय

सीताफल की बुआई की बात करें तो साल में दो समय इसकी बुआई उचित मानी जाती है। जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च के बीच बुआई करना सीताफल के लिए अच्छा होता है।

सीताफल बुआई की प्रक्रिया (Custard Apple Planting Process)

सीताफल की बुआई का सबसे अच्छा तरीका यही है कि पॉलीथिन की थैलियों में मिट्टी भर लें और उसमें बीज डाल कर जमीन में डालें और कुछ समय बाद जब पौधे जम जाएं तो फिर इसके पॉलीथिन की थैलियों को अलग कर दें। बुआई से पूर्व 60×60×60 सेंटीमीटर का गड्ढा खोदें। गड्ढों को 5×5 मीटर की दूरी पर रखें। खुदाई के बाद 15 से 20 दिन तक गड्ढे को खुला छोड़ दें। 20 दिन के बाद प्रत्येक गड्ढे में 5-10 किलोग्राम सड़ी खाद, खली और 50 ग्राम एनपीके की मात्रा डालें। गड्ढे को मिलाकर भर दें। इसके बाद 3 से 4 दिन तक गड्ढे की सिंचाई करें। सिंचाई के बाद गड्ढे में अपने बीज की बुआई कर दें। 

मिट्टी

शरीफा या सीताफल की खेती (Custard Apple Cultivation) सभी मिट्टियों से की जा सकती है। पर अच्छी जल निकासी क्षमता वाला दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मिट्टी है। कमजोर एवं पथरौली जमीन पर भी सीताफल की पैदावार काफी अच्छी होती है। वहीं मिट्टी की जांच करवाएं तो पीएच मान जरूर देखें। सीताफल की खेती के लिए मिट्टी का आदर्श पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।

जलवायु

ऐसे क्षेत्र जहां ज्यादा ठंड नहीं पड़ती, पाला नहीं पड़ता है, वहां सीताफल की खेती खूब की जाती है। क्योंकि गर्म और हल्की शुष्क जलवायु इस फल की खेती के लिए सबसे अच्छी है। 

खाद एवं उर्वरक

सीताफल की पैदावार सालाना होती है। अच्छी पैदावार के लिए उचित मात्रा में जैविक और गोबर खाद का दिया जाना अच्छा होता है। प्रति पेड़ 20 से 22 किलोग्राम जैविक खाद, 40 ग्राम नाइट्रोजन, 60 ग्राम फॉस्फोरस और 60 ग्राम पोटाश हर साल देना चाहिए। लेकिन कोई भी खाद या उर्वरक देने से पहले अपनी मिट्टी की जांच करवाएं और नजदीकी कृषि सलाहकार से जरूर सलाह लें।

सिंचाई 

ड्रिप सिंचाई या छिड़काव के साथ की जाने वाली सिंचाई सीताफल की खेती के लिए बहुत अच्छी होती है। गर्मियों में पौधों को अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है। हर 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। छिड़काव के साथ भी सिंचाई करें।

उपज

एक पूर्ण रूप से विकसित सीताफल के पौधों से हर साल 100 फल की उपज की जा सकती है। यानी लगभग 50 किलोग्राम प्रति पेड़ की पैदावार की जा सकती है। 

कमाई

सीताफल की खेती से होने वाली कमाई की बात करें तो 1 एकड़ में 400 से 450 पौधों की बुआई की जा सकती है। इससे सालाना 30 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है। इससे किसान प्रति वर्ष 1 लाख से सवा लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।

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