प्रकाशित - 03 Feb 2023
करी पत्ता (Curry leaves farming) जिसे मीठा नीम के नाम से भी जाना जाता है। भोजन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इसकी मसाला और औषधीय दोनों फसलों के रूप में खेती की जाती है। करी पत्ता जहां खाने को स्वादिष्ट बनाता है वहीं इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसकी इसी खासियत के कारण इसका उपयोग भारतीय भोजन में किया जाता है। यदि किसान सही तरीके से करी पत्ता की खेती करे तो इससे भी अच्छी कमाई की जा सकती है। करी पत्ता को सूखाकर पैकिंग करके बाजार में बेचा जा सकता है। इसके अलावा इसका पाउडर बनाकर भी सेल किया जा सकता है। इस तरह किसान इससे काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। यदि एक एकड़ में करी पत्ता की खेती की जाए तो किसान इसे बेचकर करीब एक लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं। भारत में कई जगह पर इसकी खेती होती है जिसमें केरल, कर्नाटक, बिहार, बंगाल और पूर्वी पहाड़ी राज्यों में इसे प्रमुखता के साथ उगाया जाता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको करी पत्ता की खेती से संबंधित जानकारी दे रहे हैं।
करी पत्ता का उपयोग सब्जी में मसाले के रूप में किया जाता है। करी पत्ता में बहुत अच्छी खुशबू आती है जिससे ये भोजन का स्वाद बढ़ा देता है। इसके अलावा इसमें औषधीय गुण (Medicinal properties) भी पाए जाते हैं जिससे ये कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को कम करने में सहायक है। करी पत्ता में आयरन और फॉलिक एसिड पाया जाता है जो हमारे शरीर को एनीमिया (Anemia) के खतरे को कम करते हैं। इसमें विटामिन ए और सी भी पाया जाता है जो सेहत के लिए काफी लाभकारी माना गया है। इसका सेवन शुगर के मरीजों के लिए लाभकारी बताया गया है। ये शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। इसके सेवन से मोटापा कम करने में मदद मिलती है। यह हमारी पाचन क्रिया को दुरूस्त करने में सहायता करता है। इसके अलावा इसका सेवन शरीर में कॉलेस्ट्रॉल के लेवन को कंट्रोल करता है। त्वचा संबंधी बीमारियों में भी इसका सेवन अच्छा बताया गया है।
करी पत्ता की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु अच्छी रहती है। इसके पौधे को विकास के लिए सूर्य के सीधे प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे छायादार जगह पर नहीं लगाना चाहिए। इसे ऐसी जगह पर लगाया जा सकता है जहां इसके पौधे को बराबर सूर्य का प्रकाश मिल सके। सर्दी और पाले से इसको नुकसान पहुंचता है।
करी पत्ता की खेती के लिए उचित जल निकास वाली उपजाऊ जमीन होनी चाहिए। अधिक जलभराव वाली चिकनी काली मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए।
इसके बीजों की रोपाई सर्दी के मौसम को छोड़कर कभी भी की जा सकती है। अधिकतर इसे मार्च के महीने में लगाना अच्छा होता है। मार्च के महीनें में इसे लगाने के बाद सितंबर से अक्टूबर माह तक ये कटाई के लिए तैयार हो जाता है।
करी पत्ता के पौधे को एक बार लगाने के बाद आप कई साल तक इससे पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। खेत की तैयारी करते समय पहले खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए। इसके लिए आप ट्रैक्टर पलाऊ, कल्टीवेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन यंत्रों से खेत की दो से तीन जुताई करके पाटा चला देना चाहिए ताकि भूमि सब जगह से समान रूप से समतल हो जाए।
अब इसके बाद खेत में तीन से चार मीटर की दूरी रखते हुए गड्ढे तैयार कर लेने चाहिए। गड्ढ़ों समान दूरी रखते हुए पंक्ति के रूप में तैयार करना चाहिए। इसे बाद इन गड्ढ़ों में सड़ी हुई गोबर की खाद और जैविक उर्वरक की उचित मात्रा मिट्टी में मिलाकर डाल देनी चाहिए। अब गड्ढों की हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
करी पत्ता की खेती दोनों तरीके से की जा सकती है। इसे बीज द्वारा बोया जा सकता है और इसकी कलम से भी इसे लगाया जा सकता है। किसान अपनी इच्छानुसार इसका चुनाव कर सकते हैं, क्योंकि दोनों ही तरीकों से इसे लगाने पर पैदावार समान ही मिलती है। यदि आप इसकी बीज से इसकी बुवाई कर रहे हैं तो आपको एक एकड़ में करीब 70 किलो बीज की आवश्यकता पड़ेगी। इसके बीजों को खेत में बनाए गए गड्डों में लगाए। इसके बीजों को गड्डों में लगाने से पहले इन्हें गोमूत्र से उपचारित कर लेना चाहिए। अब उपचारित किए गए बीजों को गड्ढ़ों में तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए। बुवाई के बाद पौधे की हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए ताकि बीज ढंग से मिट्टी में बैठ जाए।
करी पत्ता की खेती में गड्ढ़े तैयार करते समय करीब 200 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से गड्ढ़ों में डालकर मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद पौधों को हर तीसरे महीने जैविक कम्पोस्ट खाद दो से तीन किलो के हिसाब से देनी चाहिए।
बीज बोने के बाद गड्डों में नमी बनाए रखने के लिए इसकी इसकी दो से तीन दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। जब बीज ठीक तरीके से अंकुरित हो जाए तब गर्मियों में सप्ताह में एक बार पौधे को पानी देना चाहिए। वहीं बारिश के मौसम में आवश्यतानुसार पानी देना चाहिए। जबकि सर्दियों में इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है।
करी पत्ता (Curry Leaf) की पहली कटाई इसकी रोपाई के सात महीने बाद करनी चाहिए। उसके बाद हर तीसरे महीने इसकी कटाई की जा सकती है।
करी पत्ता की एक साल में चार बार कटाई की जा सकती है। इसकी पत्तियों को सूखा कर बेचा जाता है। पर ध्यान रहे इसे ज्यादा समय खुला नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि कुछ समय बाद इसकी खुशबू कम हो जाती है। इसलिए इसे पैकिंग करके ही बेचना चाहिए। उत्पादन की बात करें तो इसका एक एकड़ में साल भर में तीन से चार टन तक उत्पादन मिल जाता है। इसकी पत्तियों या उसका पाउडर बनाकर पैकिंग करके इसे बेचकर आप एक लाख रुपए तक आसानी से कमा सकते हैं।
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