Published - 25 Jan 2022
इलायची की खेती किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में की जाती है। इसकी बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है। इलायची की खेती करके किसान भाई काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में इलायची की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। इसका उपयोग मुखशुद्धि के साथ ही घर में खाने में मसालों के साथ किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग मिठाई में खुशबू के लिए किया जाता है। यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इससे काफी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को इलायची की खेती की जानकारी दे रहे हैं। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी।
इलायची का पौधा 1 से 2 फीट लंबा होता है। इस पौधे का तना 1 से 2 मीटर तक लंबा होता है। इलायची के पौधे की पत्तियां 30 से 60 सेमी तक लंबाई की होती है व इनकी चौड़ाई 5 से 9 सेंटीमीटर तक होती है।
इलायची दो प्रकार की होती है। एक हरी इलायची और दूसरी भूरी इलायची होती है। भारतीय व्यंजनों में भूरी इलायची का उपयोग बहुत किया जाता है। इसका उपयोग मसालेदार खाने को और अधिक स्वादिष्ट बनाने और इसका स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं छोटी इलायची का उपयोग मुखशुद्धि के लिए पान में किया जाता है। इसके साथ ही पान मसालों में भी इसका उपयोग होता है। चाय बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इस कारण दोनों प्रकार की इलायची की मांग बाजार में बनी रहती है।
मुख शुद्धि के अलावा छोटी इलायची का उपयोग कई रोगों को ठीक करने में सहायक है। इलायची औषधीय गुणों की खान है। छोटी इलायची को संस्कृत में एला, तीक्ष्णगंधा इत्यादि और लैटिन में एलेटेरिआ कार्डामोमम कहा जाता हैं। भारत में इसके बीजों का उपयोग अतिथिसत्कार, मुखशुद्धि तथा पकवानों को सुगंधित करने के लिए होता है। ये पाचनवर्धक तथा रुचिवर्धक होते हैं। आयुर्वेदिक मतानुसार इलायची शीतल, तीक्ष्ण, मुख को शुद्ध करनेवाली, पित्तजनक तथा वात, श्वास, खांसी, बवासीर, क्षय, वस्तिरोग, सुजाक, पथरी, खुजली, मूत्रकृच्छ तथा हृदयरोग में लाभदायक होती है। वहीं बड़ी इलायची भी इसके सामान उपयोग होती है। बड़ी इलायची सांस लेने संबंधी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होती है। इसके अलावा ये कैंसर के खतरे को भी दूर रखती है। इसके सेवन से शरीर से विषाक्त पदार्थों बाहर निकल जाते हैं। मुंह में घाव या छाले होने पर भी इसका सेवन लाभकारी माना गया है।
छोटी इलायची के अधिक सेवन से स्टोन (पथरी) की समस्या हो सकती है। इलायची का गलत सेवन करने पर ये स्किन एलर्जी, दाग, धब्बे जैसी समस्या पैदा कर सकती है। अगर आपको इलायची खाने से एलर्जी होती है तो उसका सेवन करने से बचें वरना आपको सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या भी हो सकती है। यदि आप उपरोक्त शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।
इलायची की खेती करने के लिए मिट्टी लाल दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है। इसके अलावा इसकी अन्य प्रकार की मिट्टी में भी खाद व उर्वरकों का उपयोग करके इसे आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5 से लेकर 7.5 तक होना चाहिए। वहीं जलवायु की बात करें तो इलायची की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छा माना गया है। इसकी खेती के लिए 10 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
इलायची की खेती करने से पहले इसके लिए खेत की तैयारी करना जरूरी होता है। इसके लिए सबसे पहले आपको खेत की जुताई करके समतल कर लेना चाहिए। अगर खेत की मेड नहीं है तो मेड लगाने का कार्य जरूर करें। ताकि बारिश के समय में बारिश का पानी खेत से निकलकर बाहर नहीं जाए। इलायची के पौधों को लगाने से पहले एक बार खेत की जुताई रोटावेटर से जरूर कर दें।
यदि आप इलायची के पौधों को खेत की मेड पर लगाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक से 2 फीट की दूरी पर मेड बनाकर लगाना चाहिए। वहीं इलायची के पौधों को गड्ढों में लगाने के लिए 2 से 3 फीट की दूरी रखकर पौधा लगाना चाहिए। खोदे गए गड्ढे में गोबर खाद व उर्वरक अच्छी मात्रा में मिला देना चाहिए।
इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले इसे नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके लिए नर्सरी में इलायची के बीजों की बुवाई 10 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए। इसके लिए एक हैक्टेयर में नर्सरी तैयार करने के लिए एक किलोग्राम इलायची का बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। जब इलायची के बीज का अंकुरण होने लग जाए तब आपको सूखी घास से अंकुरित पौधों को ढक देना चाहिए।
खेत में इलायची के पौधों को तब लगाना चाहिए जब उनकी लंबाई जब एक फीट नहीं हो जाए। इलायची के पौधों को खेत में बारिश के मौसम लगाना चाहिए। वैसे भारत में जुलाई के महीने में इसे खेत में लगाया जा सकता है, क्योंकि इस समय बारिश होने से इसमें सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है। ध्यान रहे इलायची के पौधे को हमेशा छाया में ही लगाना चाहिए। बहुत अधिक सूर्य की रोशनी और गर्मी के कारण इसकी बढ़वार कम हो जाती है। इलायची के पौधों को गड्ढों या मेड पर लगाते समय पौधे से पौधे की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
यदि बारिश के मौसम में यदि इसके पौधे को खेत में लगा रहे हैं तो इसमें सिंचाई की कम ही आवश्यकता पड़ती है। यदि बारिश कम हो तो इलायची के पौधे की पहली सिंचाई पौधे लगाने के तुरंत बाद करनी चाहिए। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। वहीं गर्मी के मौसम में इसकी पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। सिंचाई के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पानी खेत में आवश्यकता से अधिक नहीं भरे, इसलिए खेत में पानी के निकास का उचित प्रबंध करें। वहीं खेत में आवश्यक नमी बनाए रखने के लिए 10 से 15 दिन के बाद इसकी आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।
इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले गड्ढों में या मेड पर प्रत्येक पौधों को 10 किलो के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद और एक किली वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए। इसके अलावा इसके पौधों को नीम की खली और मुर्गी की खाद दो से तीन साल तक देनी चाहिए। जिससे पौधा अच्छे से विकास करता है।
अन्य फसलों की तरह इलायची की खेती के दौरान खेत में खरपतवार उगा जाती है। इसे समय-समय पर हटा देना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई कर इसे निकाल देना चाहिए। खेत की निराई-गुड़ाई करने से खेत में नमी बनी रहती है और इससे इलायची के पौधे जल्दी बढ़ते हैं।
वैसे तो इलायची की फसल में कम ही कीट और रोग का प्रकोप होता है। लेकिन कभी-कभी इसमें झुरमुट व फंगल रोग के लक्षण देखने को मिलते हैं। इस रोग में पौधे की पत्तियां सिकुड़ कर नष्ट होना शुरू हो जाती है। इस रोग के नियंत्रण के लिए इलायची के बीजों को नर्सरी में बोने से पहले ट्राईकोडर्मा नामक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए। अगर किसी भी पौधे में आपको रोग दिखाई दे तो इसे खेत से तुरंत हटा देना चाहिए ताकि रोग दूसरे पौधों में नहीं फैल पाए।
इलायची में सफेद मक्खी रोग का भी प्रकोप देखने में आता है। इस रोग से ग्रस्त होने पर इलायची का पौधा वृद्धि करना बंद कर देता है। सफेद मक्खी इलायची के पौधे की पत्तियां पर ज्यादा हमला करती है और पत्तियों के रस को चूसकर पौधे को नष्ट कर देती है। सफेद मक्खी रोग की रोकथाम के लिए आपको कास्टिक सोडा व नीम के पानी को अच्छी तरह मिलाकर पौधों की पत्तियों पर छिडक़ाव करना चाहिए।
इलायची के पौधों से बीज की कटाई का काम बीज के पूरी तरह पकने से थोड़ा पहले ही कर लेनी चाहिए। ज्यादा पकने पर इलायची की गुणवत्ता में कमी हो जाती है। बीज की कटाई करने के बाद उसकी अच्छी तरह से सफाई कर लें। इसके बाद बीजों को अच्छी तरह से सूखा लें ताकि ज्यादा नमी हो तो निकल जाए। जब बीज पूरी तरह से सूखकर तैयार हो जाएं तो तब इसे बाजार या मंडी में बेचने के लिए ले जाएं।
उन्नत तकनीक और सही तरीके से इसकी खेती करने पर प्रति हैक्टेयर अच्छी तरह से सूखकर तैयार 135 से 150 किलोग्राम तक इलायची की उपज या पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
साधारणतय : बाजार में इलायची के भाव 1100 से लेकर 2000 हजार रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रहते हैं। बाजार की मांग के अनुसार इसके भावों में उतार-चढ़ाव बना रहता है। अगर आप इलायची की खेती करते है तो आप एक बार की इलायची की खेती से 2 से 3 लाख का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।
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