प्रकाशित - 29 Aug 2022
किसान सब्जियों की खेती कम समय में पैसा प्राप्त कर सकते हैं। सब्जियों की खेती के अंतर्गत चुकंदर की खेती काफी लाभकारी हो सकती है। चुकंदर के गुणों के कारण ही इसकी बाजार मांग अच्छी बनी रहती है। चुकंदर खून बनाने में सहायक है। खून की कमी, एनीमिया, कैंसर, हृदय रोग, पित्ताशय विकारों, बवासीर, गुर्दे के विकारों जैसी समस्या को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है। इनके लाभों को देखते हुए चुकंदर की बाजार में मांग काफी अच्छी रहती है। उत्तरप्रदेश के हरदोई के किसान इसकी खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। वे बताते हैं कि उनकी चुंकदर की फसल हाथो-हाथ खेत में ही बिक जाती है। इसके बाजार भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। ऐसे में किसानों के लिए चुकंदर की खेती अच्छी इनकम दे रही है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको चुंकदर की खेती से संबंधित उपयोगी जानकारी के साथ ही चुकंदर की खेती कर रहे किसानों के अनुभव से आपको अवगत कराते हैं ताकि अन्य किसान भी इसका लाभ ले सकें।
चुकंदर हमारे स्वास्थ्य के लिए तो लाभदायक है ही, साथ ही इसकी खेती से खेत की मिट्टी की सेहत में भी सुधार होता है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने शोध में पाया है कि इसकी खेती बंजर भूमि पर भी की जा सकती है और ऐसी भूमि की सिंचाई करके धीरे-धीरे उसे उपजाऊ भी बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि इसकी खेती ऊसर और बंजर भूमि पर भी की जा सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऊसर भूमि में चुकंदर का उत्पादन होने से भूमि की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि लगातार खेत की सिंचाई होने से भूमि की ऊसर प्रकृति में सुधार होगा। चुकंदर में कुछ ऐसे तत्व निकलते हैं, जिससे ऊसर भूमि धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
चुकंदर का प्रयोग लोग स्लाद के रूप में करते हैं। इतना ही नहीं इसका हलवा भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। चुकंदर का ज्यूस खून बनाने में सहायक माना जाता है। इसे खाने से बहुत तेजी से खून की कमी पूरी होती है। एनिमिया रोगियों को डाक्टर चुकंदर खाने की सलाह देते हैं। वहीं चुकंदर के पत्तों को पशु चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ये पशुओं के लिए पोष्टिक होता है। इसके अलावा इसके पत्तों से खाद भी तैयार किया जाता है।
उत्तप्रदेश के हरदाई जिले के किसान चुकंदर की खेती कर रहे हैं। इस समय बाजार में चुकंदर का भाव 60 रुपए प्रति किलो है। हालांकि भावों में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव होता रहता है। जिले के एक किसान के अनुसार उनके क्षेत्र में मिट्टी भुरभुरी बलुई है, जिसमें वह काफी समय से चुकंदर की खेती कर रहे हैं, उनके द्वारा पैदा किया गया चुकंदर का आकार सुडौल और सही आकार का होता है। वे बताते हैं कि खेत पर ही व्यापारी आकर के चुकंदर की फसल को खरीद कर ले जाता है। उनके द्वारा पैदा किया गया चुकंदर बरेली लखनऊ कानपुर आगरा के अलावा दिल्ली तक जा रहा है। वह वैज्ञानिक विधि से चुकंदर की खेती काफी समय से कर रहे हैं। इससे उन्हें अच्छा उत्पादन मिल रहा हैं।
चुकंदर की खेती (Beetroot cultivator) पूरे साल की जा सकती है। लेकिन इसकी बुवाई के लिए ठंडा मौसम अनुकूल रहता है। चुकंदर की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी दोमट व बलुई मिट्टी मानी जाती है। हालांकि ऊसर और बंजर जमीन पर भी इसकी खेती करने के प्रयास किए गए जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। वहीं मिट्टी के पीएच मान की बात करें तो इसकी खेती के लिए भूमि या मिट्टी का पीएच मान 6-7 बीच होना जरूरी है।
सबसे पहले खेत की गहराई से जुताई करनी चाहिए। इसके बाद में उसमें खरपतवार नियंत्रण कर के खेत में गोबर की खाद डालकर खेत को तैयार कर लें। क्यारी बनाकर मेड़ पर चुकंदर की बुवाई करने से फसल काफी अच्छी होती है। चुकंदर के बीजों को 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाना चाहिए। साथ ही करीब 10 सेंटीमीटर की दूरी पर बोए गए बीज से चुकंदर का कंद काफी अच्छा और विकसित प्राप्त होता है।
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