यूजर प्रोफाइल

नया उपयोगकर्ता

ट्रैक्टर जंक्शन से जुड़ें

अरहर की खेती कैसे करें : जानें उन्नत किस्मों की पूरी जानकारी

प्रकाशित - 20 Sep 2022

जानें अरहर की खेती से जुड़ी सभी मुख्य बातें

भारत में दलहनी फसलों में अरहर का अपना एक विशेष स्थान हैं। जैसा की हम सब जानते हैं, हमारे शरीर के लिए प्रोटीन बहुत ही जरुरी होता है, यदि हमारे शरीर को उपयुक्त मात्रा में प्रोटीन नहीं मिलता है, तो हमारे शरीर का मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है।अरहर की दाल को प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत माना जाता है। हमारे देश में अरहर को कई नाम से जाना जाता हैं। अरहर को तुर, रेड ग्राम, पिजन आदि के नाम से भी जाना जाता है।

अरहर की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकतें हैं, क्योकिं प्रोटीन युक्त होने के कारण लगभग सभी घरो में अरहर की दाल को भोजन में शामिल किया जाता हैं। जिसके कारण घरेलू बाज़ार के साथ-साथ विदेशी बाज़ारों में भी इसकी मांग बढ़ रही हैं। भारत विश्व में सबसे ज्यादा अरहर का उत्पादन करने वाला देश हैं। भारत में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश प्रमुख रुप से अरहर उत्पादन करने वाले राज्य हैं।

अरहर की उन्नत किस्में

भारत में अरहर की खेती करने के लिए व सही उत्पादन प्राप्त करने के लिए सही बीज का चुनाव करना बहुत ही जरुरी है। तो आइए जानते है अरहर की उन्नत किस्मों के बारे में-

RVICPH 2671: ये पहली सीएमएस आधारित भूरी अरहर की शंकर किस्म है। इसकी फसल अवधि 164 से 184 दिनों की होती है , इस किस्म की दाल में प्रोटीन की मात्रा 24.7 % होती है, इसकी औसत उपज 22 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं।
 
पूसा 9: इस किस्म की अवधि 260 से 270 दिनों की होती हैं, जिसकी बुआई जुलाई से सिंतम्बर तक की जाती है इसकी औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
 
JKM 189: अरहर की इस किस्म में हरी फलिया व काली धारियों के साथ लाल व भूरा बड़ा दाना होता है। ये किस्म देर से बुवाई के लिए भी उपयुक्त हैं। इसकी औसत उपज 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
 
पूसा अगेती: अरहर की इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी व दाना मोटा होता हैं। यह किस्म 150 से 160 दिनों में पक जाती है व कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
 
ICPL 87: इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी होती हैं, सामान्यत:  इसकी ऊंचाई 90 से 100 सेन्टीमीटर की होती है। इसकी अवधि 140 से 150 की होती हैं। अरहर की इस किस्म में फलियां मोटी एवं लम्बी होती हैं और गुच्छों में आती हैं तथा एक साथ पकती हैं। औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं।
 
उपस (UPAS)  120: ये किस्म उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में लगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 130 से 140 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है। अरहर की इस किस्म में फसल मध्यम लंबाई की होती है। इसके बीज छोटे और हल्के भूरे रंग के होते हैं। इस किस्म की औसतन उपज 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं।
 
TJT 501: ये किस्म मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 145 से 155 दिन में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इसकी औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की हैं।
 
ICPL 151: इस किस्म की खास बात ये है कि ये 125 से 135 दिन की शीघ्र पकने वाली किस्म है। इसका दाना बड़ा व हल्के पीले रंग का होता है। इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है।
 
ICPL 88039: इसकी अवधि 140 से 150 दिन की होती है। इसका दाना भूरे रंग का होता है। इसके फसल की ऊंचाई 210 से 225 सेंटीमीटर तक होती है। इसकी औसत उपज 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है।
 
बहार: अरहर कि ये किस्म 230 से 250 दिन में पक कर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है।
 
आईपीए 203: इस किस्म की खास बात ये है कि इस किस्म में बीमारियां नहीं लगतीं और इस किस्म की बुवाई करके फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता हैं साथ में अधिक पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं। इसकी औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है। इस किस्म की अरहर की बुवाई जून महीने में कर देनी चाहिए।
 
पूसा16: यह किस्म शीघ्र पकने वाली है, इसकी अवधि 120 दिन की होती हैं। इस फसल में छोटे आकार का  पौधा 95 सेमी से 120 सेमी लंबा होता है। इस किस्म की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।
 
RVA19: इस किस्म का उपयोग समानतय: तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में किया जाता हैं। इस किस्म की खेती से 15 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

अरहर की खेती के लिए मिट्टी 

वैसे तो अरहर की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अरहर की अच्छी उपज पाने के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के मध्य होना चाहिए व समतल एवं अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है, लेकिन यह लवणीय एवं बंजर भूमि नहीं होनी चाहिए।

अरहर की बुआई का उचित समय

अरहर मुख्य रुप से खरीफ की फसल है। अरहर की बुआई 10 जून से 31 जुलाई के बीच कर देनी चाहिए। अरहर की फसल अवधि किस्म के अनुसार होती है। सामान्यत:  इसका फसल च्रक 130 से 280 दिन तक का होता हैं।

खेत की तैयारी

खेत को सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करना चाहिए, इसकी जुताई करने के बाद खेत में नमी रखने के लिए व खेत समतल करने के लिए पाटा लगाना अति आवश्यक हैं। पाटा लगाने से सिंचाई करने में समय व पानी दोनों की बचत होती हैं।

बुवाई के लिए बीज की मात्रा

अरहर की खेती में कम दिनों में पकने वाली किस्म का बीज 12 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ तक डाले। अरहर की खेती में मध्यम समय में पकने वाली किस्म का बीज 6 से 7 किलोग्राम प्रति एकड़ तक डाले।

अरहर की फसल में सिंचाई

अरहर की खेती में ज्यादा सिंचाई की जरुरत नहीं पड़ती। जब पौधा फूल देने लग जाएं एक सिंचाई तब और एक सिंचाई फलिया आने के समय करना होता हैं।

उर्वरक व खाद का प्रयोग

अरहर की बुवाई करते समय 20 किलोग्राम डीएपी, 10 किलोग्राम म्यूरेट व पोटाश, 5 किलोग्राम सल्फर का इस्तेमाल प्रति हेक्टेयर करना चाहिए। तीन वर्ष में एक बार 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर प्रयोग करने से पैदावार में अच्छी बढ़ोतरी होती है।

निराई-गुडाई

अरहर की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 20 से 25 दिन में पहली निंराई करे तथा फसल में फूल आने के पहले दूसरी निंराई करें। खरपतवार नियंत्रण रासायनिक विधि से करने के लिए पेन्डीमेथीलिन 2 लीटर प्रति हेक्टेयर में 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 2 से 5 दिन के बाद डालें।

फसल की कटाई व भंडारण

अरहर की फसल में जब पत्तियां गिरने लग जाय और 80% फलिया भूरे रंग की हो जाए, तब फसल को काटना चाहिए एवं अरहर का बीज जो अच्छी तरह से सूख जाए तभी उनका भंडारण करना चाहिएं।

उत्पादन

अरहर की उन्नत विधि से खेती करने पर 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दाना एवं 50 से 60 क्विंटल लकड़ी प्राप्त होती है।


ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों कैप्टन ट्रैक्टरआयशर ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

सर्टिफाइड पुराने ट्रैक्टर्स

स्वराज 855 एफई 4WD

52 एचपी | 2024 Model | जबलपुर, मध्यप्रदेश

₹ 9,70,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

स्वराज 744 एक्स टी

45 एचपी | 2021 Model | नाशिक, महाराष्ट्र

₹ 3,50,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

स्वराज 717

15 एचपी | 2023 Model | अजमेर, राजस्थान

₹ 2,75,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

सोनालीका एमएम 35 DI

35 एचपी | 2020 Model | हनुमानगढ़, राजस्थान

₹ 3,50,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

सभी देखें