Published - 04 Feb 2021 by Tractor Junction
बागवानी और फूलों की खेती किसानों की आमदनी बढ़ा सकती है। यह कहना है केंद्रीय खाद्यमंत्री पीयूष गोयल का। हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 92वीं सालाना आम बैठक हुई। इसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को नई शिक्षा नीति (एनईपी) की मदद से कृषि क्षेत्र को अधिक रोजगारोन्मुख बनाने को कहा है। वहीं केंद्रीय खाद्यमंत्री पीयूष गोयल ने उन कृषि उत्पादों की देश में खेती पर जोर देने की वकालत की, जिनका अभी बड़ी मात्रा में आयात होता है। उन्होंने कहा कि देश हर साल 230 करोड़ रुपए का फूलों का आयात करता है जबकि 5,000 करोड़ रुपए का फलों का आयात होता है। मंत्री ने कहा कि इन कृषि, बागवानी और फूलों की खेती को देश में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। गोयल ने कहा कि आईसीएआर का मुख्य उद्देश्य अनुसंधान और नवप्रवर्तन है और ये दोनों देश के किसानों और उनके भविष्य में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। आईसीएआर ने कृषि शिक्षा को एनईपी के अनुरूप बनाने के तरीके सुझाने को छह सदस्यीय समिति का गठन किया है।
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मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कृषि को बढ़ावा देने के लिए आईसीएआर से स्कूल और कॉलेज में प्रशिक्षण शिविर आयोजित करें। गोयल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें स्टार्टअप से जोडऩे के उपायों पर काम करना चाहिए। इससे किसानों को नए विचार मिलेंगे। उन्होंने कहा कि ई-वाणिज्य का उपयोग कृषि उत्पादों के निर्यात में किया जा सकता है।
आईसीएआर की स्थापना 1929 में हुई थी। यह देश के कृषि क्षेत्र में शोध एवं शिक्षा में संयोजन, निर्देशन और प्रबंधन का शीर्ष निकाय है। 101 आईसीएआर संस्थानों और 71 कृषि विश्वविद्यालयों के जरिये यह कृषि पाठ्यक्रमों की पेशकश करती है।
भारत में आयात होने वाली मुख्य वस्तुओं में दालें, खाद्य तेल, ताजा फल व फूल और काजू हैं। भारत द्वारा जिन प्रमुख वस्तुओं का निर्यात किया जाता है, उनमें चावल, मसाले, कपास, मांस और मांस से बने खाद्य, चीनी इत्यादि शामिल हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार मार्च- जून 2020 की अवधि में कृषि वस्तुओं का निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना मे 23.24 प्रतिशत बढ़ा है। कृषि मंत्रालय ने कृषि व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार की है जो कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के साथ कृषि निर्यात तथा आयातित उत्पादों के स्थान पर घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य पाने के लिए कृषि क्षेत्र का आत्मनिर्भर होना जरूरी है। इसके लिए कीमती विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ ही कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। निर्यात बढऩे से किसानों, उत्पादकों और निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार का लाभ उठाने और अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है। निर्यात से खेती का रकबा बढ़ाने और कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है।
विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में विश्व कृषि व्यापार में भारत के कृषि निर्यात और आयात का हिस्सा क्रमश: 2.27 प्रतिशत और 1.90 प्रतिशत था। कोविड महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के कठिन समय में भी, भारत ने खाद्यान्नों का निर्यात जारी रखते हुए इस बात का पूरा ख्याल रखा कि विश्व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में किसी तरह की बाधा नहीं आए। मार्च -जून 2020 की अवधि में देश से 25552.7 करोड़ रुपए की कृषि वस्तुओं का निर्यात हुआ जो कि 2019 की इसी अवधि में हुए 20734.8 करोड़ रुपए के निर्यात की तुलना में 23.24 प्रतिशत अधिक है।
बागवानी के क्षेत्र में भी भारत में काफी तरक्की हो रही है। फलों और सब्जियों के उत्पादन के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। देश से सालाना 5,638 करोड़ रूपए के 8.23 लाख मिट्रिक टन फलों और 5679 करोड़ रुपए के 31.92 लाख मिट्रिक टन सब्जियों का निर्यात होता है। फलों में सबसे ज्यादा निर्यात अंगूर का होता है इसके बाद आम,अनार, केला, और संतरे का स्थान है। निर्यात की जाने वाली ताजा सब्जियों में प्याज, मिली जुली सब्जियां, आलू, टमाटर और हरी मिर्च प्रमुख हैं। हालांकि फलों और सब्जियों के विश्व स्तर पर होने वाले 208 अरब डॉलर के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी नहीं के बराबर है। इस स्थिति में सब्जियों के निर्यात की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। इसलिए फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी नीति बनाई गई है। इसमें अंगूर, आम, अनार, प्याज, आलू और जकुनी के निर्यात को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही कई अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की भी तैयारी है ताकि बड़े पैमाने पर गुणवत्ता युक्त उत्पादों का निर्यात हो सके। आयातित कृषि उत्पादों के स्थान पर घरेलू उत्पादों के विकल्प को प्रोत्साहित करने की भी योजना है ताकि कृषि के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की पहल पर, कृषि निर्यात को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए उत्पाद विशिष्ट निर्यात संवर्धन मंच बनाए गए हैं। आठ कृषि और संबद्ध उत्पादों के लिए निर्यात संवर्धन फोरम (ईपीएफ)। कृषि विभाग और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के वाणिज्य विभाग के तत्वावधान में अंगूर, आम, केला, प्याज, चावल, पोषण-अनाज, अनार और फूलों की खेती का गठन किया गया है।
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