सब्जियों की खेती : अगस्त माह में उगाएं ये सब्जियां, होगा बंपर मुनाफा

Share Product प्रकाशित - 25 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सब्जियों की खेती : अगस्त माह में उगाएं ये सब्जियां, होगा बंपर मुनाफा

अगस्त महीने में बोई जाने वाली फसलों के बारे में पूरी जानकारी

किसान भाइयों के लिए बारिश का यह सीजन बहुत फायदेमंद है। इसमें फसलों में भरपूर पानी मिलता है वहीं नई फसलों के उत्पादन और रोपाई का उपयुक्त समय रहता है। हालांकि कुछ फसलों में पानी की अधिकता नुकसानदायक हो सकती है लेकिन कई फसलों में बरसात का पानी लाभदायक साबित होता है। ऐसे में किसान इस तरह की फसलों की बुआई आगामी अगस्त माह के दौरान कर सकते हैं जो सब्जियों की श्रेणियों में आती हैं। जिस तरह से जुलाई में टमाटर, हरी मिर्च और धनिये की खेती होती है ठीक उसी प्रकार अगस्त में गाजर, शलजम, फूलगोभी, चौलाई, पालक, धनिया आदि की फसलों की बुआई की जा सकती है। यहां आपको टैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में इन फसलों की बुआई सहित पूरी जानकारी दी जा रही है। 

बारिश के मौसम में सब्जियों के उत्पादन का दोहरा लाभ

बरसात का मौसम कई किस्म की सब्जियों की बुआई (vegetable cultivation) का सबसे उपयुक्त समय होता है। इस सीजन में खेत में सिंचाई की जरूरत नहीं होती और जमीन में नमी अच्छी होने से सब्जियों की पौध की रोपाई भी बढिय़ा तरह से हो जाती है। वहीं फसल के बीज जल्दी अंकुरित होते हैं। इसके अलावा जब पौधे अंकुरित हो जाते हैं तो इनमें बढ़वार तेजी से होती है। यहां आपको गाजर, शलजम, फूलगोभी, पालक, धनिया और चौलाई की फसलों के बारे में अलग-अलग  महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है।

गाजर की बुआई ऐसे करें

गाजर की खेती के लिए भूमि को अच्छी तरह से समतल कर लेना चाहिए। इसके लिए 2 से 3 फीट गहरी जुताई करनी चाहिए। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं ताकि ढेले टूट जाएं और मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत में गोबर की खाद मिला दें। इसकी उन्नत किस्मों मे पूसा केसर, घाली, पूरा यमदग्नि, नेन्ट्स आदि हैं। यह जड़ वाली फसल है। किसान अगस्त के शुरूआती दिनों में गाजर की खेती कर सकते हैं। गाजर का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टयर तक हो जाता है।

गाजर में हैं ये पोषक तत्व

आपको बता दें कि गाजर स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें कैरोटीन एवं विटामिन ए पाया जाता है जो मनुष्य के लिए अत्यंत फायदेमंद है। इसके अलावा प्रोटीन, मिनरल्स भी इसमें पाए जाते हैं। इसकी हरी पत्तियों से मुर्गियों का चारा तैयार होता है।

शलजम की खेती कैसे करें?

बरसात के मौसम में शलजम की खेती की जाती है। किसान भाई अगस्त में इसकी बुआई कर सकते हैं। बता दें कि शलजम की खेती के लिए आपके खेती की मिट्टी बलुई और रेतीली होनी चाहिए। चिकनी और कडक़ मिट्टी में इसकी फसल कम होती है। खेत की तैयारी के लिए तीन से चार गहरी जोत लगाए। इसके बाद उसमें कंपोस्ट खाद डालें। पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें। यह भी जड़ वाली फसल है। यह फसल किसानों को अच्छी कमाई करा सकती है। इसकी डिमांड बाजार में बनी रहती है।

ये हैं शलजम में पोषक तत्व

शलजम में कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। इनमें विटामिन सी, विटामिन के, फोलिएट और कैल्शियम प्रमुख हैं। वहीं इसके पत्ते भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।

फूलगोभी की खेती की विधि

फूलगोभी सब्जी वाली ऐसी फसल है जो आजकल सालभर चलती है लेकिन सर्दी के दिनों के लिए फूलगोभी की पौध की रोपाई अगस्त से सितंबर महीने में की जाती है। अगस्त की फसल सर्दी आने से पहले ही तैयार हो जाती है। यह ठंडी जलवायु का पौधा  है। इसके लिए 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान चाहिए। खेत में कम से कम दो बार जुताई कर पाटा लगाएं। इसमें गोबर की सड़ी खाद भी मिला दें। पौध लगाते समय पौधे से पौधे की दूरी 40 से 50 सेंटीमीटर होनी चाहिए। फूलगोभी के लिए बलुई दोमट मिट्टी सही होती है। मिट्टी का पीएच मान 7.0 से कम होना चाहिए। इसके लिए आप मिट्टी की जांच जरूरी करा लें। इसकी खेती हमेशा समतल और अच्छी जल निकासी वाली जमीन पर की जानी चाहिए।

ये हैं अगेती फूलगोभी की उन्नत किस्में

फूलगोभी की उन्नत किस्मों में पूसा दिपाली, अर्ली कुुुंआरी, अर्ली पटना, पंत गोभी, पंत गोभी 3, पूसा कार्तिक, पूसा अर्ली सेन्थेटिक, पटना अगेती, सेलेक्सन 327 एवं सेलेक्शन 328 मुख्य हैं। इनके अलावा पंत शुभ्रा, इम्प्रूव जापानी, हिसार 114, नरेंद्र गोभी1, पंजाब ज्वाइंट, अर्ली स्नोबाल, पूसा हाइब्रिड 2 आदि मध्यम सीजन में बोई जाने वाली किस्में हैं।

पालक की खेती का तरीका

बता दें कि अगस्त माह में आप पालक की खेती भी कर सकते हैं। इसे सब्जी और ज्यूस आदि में काम लिया जाता है इसलिए इसकी मांग वर्षभर रहती है। यह फसल भरपूर फायदा देने वाली है। पालक की खेती बारिश के दिनों में करने से इसकी बढ़वार जल्दी होती है। पालक जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में ज्यादा विकसित तरीके से होता है। इसके बीज आधा से एक इंच गहराई में ही बोने चाहिए। पौधों से पौधों की दूरी 20 से 30 सेमी होनी चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी पालक की खेती के लिए उपयुक्त रहती है। इसमें पानी की जरूरत ज्यादा होती है इसलिए बारिश में पालक की खेती अधिक फायदेमंद रहती है।

धनिया उगाएं और पत्तियों से करें कमाई

बता दें कि धनिया एक मसाला वाली फसल है। इसकी पत्तियों के अलावा इसके बीज मसाले का काम करते हैं। हरी पत्तियों से हर तरह की सब्जी जायकेदार हो जाती है। इसमें भी दोहरा लाभ किसान ले सकते हैं। पहले धनिया की पत्तियों को काट कर बेचा जा सकता है। इसके बाद धनियां परिवक्व होने पर इसके सूखे बीज भी मसाला फसल के रूप में बाजार में बेचे जाते हैं।

चौलाई की खेती

चौलाई की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसे गर्मियों और बारिश के सीजन में उगाया जाता है। इसके लिए जल निकास वाली जमीन होनी चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त होती है। चौलाई पत्तेदार सब्जी होती है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। जागरूक किसान चौलाई उगाकर इससे खूब कमाई कर सकते हैं।


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