प्रकाशित - 08 May 2023
गन्ना किसानों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशखबर निकल कर सामने आ रही है। गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की जा सकती है। सरकार गन्ना किसानों को खुश करने लिए गन्ने का भाव (sugarcane price) बढ़ाने की तैयारी कर रही है। दरअसल कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कोस्ट़स एंड प्रोसेस (सीएसीपी) की ओर से गन्ना की कीमत 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की गई है। ऐसे में यदि सरकार इसे मंजूर कर लेती है तो गन्ना किसानों को बहुत लाभ होगा। बता दें कि यूपी में बहुत अधिक संख्या में गन्ना किसान हैं जो लंबे समय से गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। यदि सरकार गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की मांग को स्वीकार कर लेती है तो यह गन्ना किसानों के लिए बहुत बड़ा तोहफा होगा।
यूपी सरकार किसानों को राहत देने का कार्य कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो गन्ने के भावों में 10 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ोतरी की जा सकती है। बताया जा रहा है कि अभी यूपी के किसानों को जो गन्ने का भाव मिल रहा है वह पहले से 3.3 प्रतिशत अधिक है, यदि ऐसे में गन्ने का मूल्य में 10 रुपए यानि एफआरपी में 10 रुपए बढ़ा दिया जाता है तो गन्ना किसानों को बहुत बड़ी राहत मिल सकेगी। बता दें कि गन्ना उत्पादन में जितनी लागत आती है उस अनुपात में किसानों को गन्ना विक्रय से उतना लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में यदि गन्ने् का मूल्य बढ़ता है तो ये किसानों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं होगा। राज्य सरकार के इस प्रयास से किसान काफी खुश हैं।
सीएसीपी ने अपनी सिफारिश में कहा कि 10.25 प्रतिशत चीनी रिकवर रेट के गन्ने की कीमत मौजूदा भाव 305 रुपए से बढ़ाकर 315 रुपए कर दिए जाने चाहिए। यहां गन्ने की कीमत का अर्थ उसकी एफआरपी (FRP) से है। यदि यह सिफारिश मान ली जाती है तो गन्ना किसानों को बढ़ी दर से गन्ना बेचने से काफी अच्छा पैसा मिल सकेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार अपनी कैबिनेट की बैठक में जल्द ही गन्ने की एफआरपी को बढ़ाने के संबंध में निर्णय ले सकती है। जितना अधिक चीनी का उत्पादन बढ़ेगा उतना ही गन्ना किसानों को लाभ होगा। उन्हें गन्ना विक्रय करने पर अच्छा पैसा मिल जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बार चीनी के उत्पादन में कमी हो सकती है। पिछले साल चीनी उत्पादन 35.76 मिलियन टन हुआ था, लेकिन इस साल इसके घटकर 32.25 लाख टन रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, चीनी की घरेलू खपत यानि देश में कितनी खपत हो रही है इस पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा ये भी देखा जा रहा है कि देश में गन्ने से इथेनॉल् उत्पादन का असर तो चीनी उत्पादन पर तो नहीं पड़ रहा है। इस स्थिति को भी देखा जाएगा। बता दें कि यूपी भारत में सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों की श्रेणी में आता है। यहां करीब 4.5 मिलीयन किसान गन्ने की खेती (sugarcane farming)से जुड़े हुए हैं।
यूपी सरकार की ओर से 2022-23 के पेराई सत्र में बोई गई गन्ने की किस्मों के लिए 350 रुपए प्रति क्विंटल एसएपी तय की थी। इसमें सामान्य किस्मों के लिए 340 रुपए और रिजेक्टेड किस्मों के लिए 335 रुपए प्रति क्विंटल राज्य परामर्श मूल्य यानि एसएपी रखी गई। बता दें कि इस समय सबसे ज्यादा एसएपी पंजाब के किसानों को मिल रही है। यहां की सरकार ने 2022-23 सीजन के लिए एसएपी को 200 रुपए बढ़ाकर 3800 रुपए प्रति टन कर दिया है जो देश में सबसे ज्यादा है।
एफआरपी गन्ना का वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलों को किसान से गन्ना की खरीद करनी होती है। कमिशन ऑफ एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) की ओर से प्रति वर्ष एफआरपी की सिफारिश की जाती है। सीएसीपी गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है। उस पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है। सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत गन्ने का एफआरपी निर्धारित करती है।
वहीं एसएपी गन्ने का वह मूल्य होता है जो किसानों के लिए राज्य सरकार की ओर से तय किया जाता है। यह मूल्य एफआरपी से हमेशा ज्यादा होता है। इसे स्टेट एडवाइजरी प्राइस कहा जाता है। इस मूल्य को तय करने का उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना है। इसके लिए राज्य सरकार चीनी मिलों को भुगतान करती है। जबकि चीनी मिले किसानों से गन्ने की खरीद केंद्र सरकार द्वारा जारी एफआरपी पर ही करती हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो एफआरपी से जितना भी अधिक मूल्य किसान को गन्ना बेचने से प्राप्त होता है, वहीं उसका एसएपी होता है।
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