Published - 24 Jul 2021 by Tractor Junction
प्याज की घरेलू खपत को पूरा करने के साथ ही इसके निर्यात में वृद्धि करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से किसानों को प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को उच्च क्वालिटी के प्याज का उत्पादन करने के लिए 12 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान प्रदान किया जाएगा। बता दें कि उत्तरप्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में उच्च कोटि के प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए खरीफ एवं रबी फसलों में उच्च कोटि के प्याज बीज के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2021-22 में किसानों के हित में कई लाभ दिए जा रहे है। इस क्रम में इस वर्ष खरीफ सीजन में अच्छी क्वालिटी के प्याज की खेती करने वालों किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा।
उत्तरप्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में उच्च कोटि के प्याज की खेती को बढ़ावा देने हेतु खरीफ एवं रबी सीजन में प्याज उत्पादक किसानों को अधिकतम 4 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती करने पर 12,000 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुमन्य अनुदान सीमा तक प्याज क्रय कर चयनित लाभार्थियों को अनुदान दिया जाएगा। शेष बीज की व्यवस्था चयनित संस्थाओं से कृषक द्वारा स्वयं अपने स्त्रोत से करनी होगी।
प्याज की इन किस्मों की खेती पर दिया जाएगा अनुदान इस समबन्ध में उद्यान विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री रामी रेड्डी द्वारा निदेशक उद्यान को निर्देशित किया गया है कि खरीफ एवं रबी मौसम में प्याज बीज की उपयुक्त प्रजाति एग्रीफाउंट डार्क रेड, भीमा सुपर, एल. 883 एवं एग्रीफाउंट लाइट रेड प्रजातियों हेतु राजकीय संस्थाओं द्वारा सूचित दरों पर अधिकतम 4 हेक्टेयर धनराशि 12,000 प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाएगा। प्याज बीज की गुणवत्ता के लिए सीधे जनपदीय उद्यान अधिकारीयों द्वारा राष्ट्रीय बागवानी अनुसन्धान एवं विकास प्रतिष्ठान, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी संघ (नैफेड) एवं नेशनल सीड कारपोरेशन से उनकी दरों पर क्रय चयनित लाभार्थी कृषकों को अनुमन्य अनुदान की सीमा धनराशी 12,000 रुपए प्रति हेक्टेयर तक उपलब्ध कराया जाएगा।
किसानों के चयन में पारदर्शिता एवं समतुल्यता बनी रहे, इसके लिए किसानों को अनुदानित धनराशि किसानों को सीधे बैंक खातों में डी.बी.टी. के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए जनपद स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जाएगा जिसमें जिलाधिकारी या उनके द्वारा नामित अधिकारी अध्यक्ष होंगे मंडल के उपनिदेशक, उद्यान सदस्य तथा जिला उद्यान अधिकारी, सदस्य सचिव होंगे। जिलास्तरीय गठित कमेटी की देख-रेख में योजना संबंधी कार्य को सम्पादित किया जाएगा।
उद्यान विभाग के निदेशक आरके तोमर के अनुसार, राज्य में हर वर्ष करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत है। जबकि रबी और खरीफ सीजन में यहां प्याज का कुल उत्पादन 4.70 लाख मीट्रिक टन ही हो रहा है। अभी सूबे में 28,538 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जा रही है। सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है।
जब राज्य में एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी तब ही जरूरत के मुताबिक यानि की 15 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हो पाएगा। इसके लिए कृषि विशेषज्ञों तथा उद्यान विभाग के अधिकारियों ने एक कार्ययोजना तैयार की है। इसके अनुसार हर जिले में उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां बरसात में पानी का भराव नहीं होता है। इसके तहत गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है। अभी गंगा के किनारे के इन जिलों में 4 हजार हेक्टेयर रकबे में करीब 80 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है।
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