प्रकाशित - 06 Jan 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों को कई योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसी कड़ी में अब किसानों को उनकी उपज के लिए एमएसपी से ऊपर का भाव दिलाने का काम सरकार करने जा रही है ताकि किसानों को अधिक लाभ मिल सके। इसकी शुरुआत दलहन फसल से की जा रही है। दलहन फसलों के अंतर्गत अरहर दाल जिसे तूअर दाल भी कहा जाता है, इसकी खरीद केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी या उससे अधिक रेट पर की जाएगी।
इसे लेकर हाल ही में सरकार की ओर से नया पोर्टल शुरू किया गया है। इसके जरिये किसानों से एमएसपी या इससे अधिक भाव पर अरहर दाल की ऑनलाइन खरीद की जाएगी। इससे किसानों को अपनी दलहन फसलों को बेचने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। इस पोर्टल के माध्यम से किसान घर बैठे ऑनलाइन सिस्टम से अपनी दलहन फसलों को उचित दाम पर बेच सकेंगे जिससे उन्हें लाभ होगा और उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सरकार की ओर से दलहन फसलों की खरीद को लेकर शुरू किया गया नया पोर्टल कौनसा है, इस पोर्टल से किसानों को क्या लाभ होगा, इसमें कैसे रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, रजिस्ट्रेशन के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, क्या चल रहा है बाजार में दलहन फसलों का भाव, क्या है दलहन फसलों का सरकारी रेट यानि एमएसपी, इन दोनों में कितना है अंतर, इस अंतर की कैसे होगी भरपाई आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं।
सरकार की ओर से देश के दलहन किसानों के लाभार्थ हाल ही में ई-समृद्धि पोर्टल नाम से एक पोर्टल शुरू किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान भाई अपनी दलहन फसलों को बेच सकेंगे। इस पोर्टल को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (NCCF) द्वारा विकसित किया गया है। दलहन फसल की खरीद के लिए तैयार किए गए इस नये पोर्टल का लोकार्पण केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में किया गया। इस पोर्टल के जरिये किसान अपनी दलहन फसलों को सीधे पंजीकरण कर उसे बेच सकते हैं। बता दें कि दिल्ली में इन दिनों दलहन की आत्मनिर्भरता को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। सहकारिता मंत्री ने इसी कार्यक्रम में किसानों के लाभार्थ इस नए पोर्टल की शुरुआत की। इस पोर्टल को शुरू करने के पीछे सरकार का उद्देश्य वर्ष 2027 तक दहलन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है।
सरकार की ओर से ई-समृद्धि पोर्टल के जरिये एक नई शुरुआत की गई है जिससे किसान नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) के माध्यम से एडवांस में रजिस्ट्रेशन करके अरहर (तूर) दाल बेचने की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इस पोर्टल पर किसान एमएसपी या फिर इससे अधिक के बाजार भाव पर अरहर दाल को बेच सकेंगे। किसानों को एमएसपी या बाजार मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जाएगा। इससे किसानों को अपनी फसल बेचने से मिलने वाला पैसा सीधा बैंक खाते में प्राप्त होगा।
ई-समृद्धि पोर्टल के शुरू होने से किसानों को अपनी दलहन फसल बेचने में आसानी होगी। उन्हें दलहन फसल अरहर का वाजिब दाम मिल सकेगा। उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए बाजार में नहीं भटकना होगा। किसानों से एमएसपी या इससे ऊपर भाव में अरहर की दाल की खरीद की जाएगी। उचित भाव मिलने से देश में अरहर का उत्पादन बढ़ेगा जिससे देश दलहन के क्षेत्र आत्मनिर्भर हो सकेगा। देश को बाहर से दाल का आयात नहीं करना पड़ेगा। वहीं एमएसपी से ऊपर कीमत मिलने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा बाजार में अरहर दाल का भाव गिरता है तो इसका असर किसानों पर नहीं होगा। वे अपनी फसल एमएसपी रेट पर इस पोर्टल के माध्यम से बेच सकेंगे।
इस तरह दोनों ही स्थितियों में यह पोर्टल किसान के लिए मददगार साबित होगा। बता दें कि कई बार किसानों को सटोरियों या किसी अन्य स्थिति की वजह से उचित भाव नहीं मिलते थे, जिससे उनको बड़ा नुकसान उठाना पड़ता था, इसके कारण किसान दलहन की खेती करना पसंद नहीं करते थे। लेकिन अब इस पोर्टल पर किसान पंजीकरण करवा कर न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे ऊपर दलहन फसल का सीधे तौर पर विक्रय कर सकते हैं। इस पोर्टल के शुरू होने से किसानों को बिचौलियों से छुटकारा मिलेगा जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा।
सरकार ने निश्चित किया है कि जो किसान उत्पादन करने से पहले ही नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) से अपना रजिस्ट्रेशन कराएंगे, उनकी दलहन फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर शत-प्रतिशत खरीद की जाएगी। इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद उन्हें दो तरह से लाभ होगा। दलहन फसल आने पर यदि दलहन का भाव एमएसपी से ज्यादा होगा तो उसकी एवरेज निकाल कर किसान से ज्यादा ज्यादा भाव पर दलहन की खरीद की जाएगी। इसके लिए एक वैज्ञानिक फार्मूला तैयार किया गया है। इससे किसानों को अपनी दलहन फसल बेचने से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा।
देश के महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक जैसे राज्यों में दलहन का अधिक उत्पादन होता है, इन राज्यों के किसान अपनी भूमि के आकार का रजिस्ट्रेशन ई-समृद्धि पोर्टल https://esamridhi.in/ पर करा सकते हैं। इसके बाद सरकार की ओर से पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर या बाजार भाव जो भी अधिक हो उस पर अरहर की फसल खरीदी जाएगी। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बहुत ही सरल है। इसके लिए किसान ई-समृद्धि ऐप से सभी भाषाओं में घर बैठे मोबाइल से रजिस्ट्रेशन करा सकता है।
खास बात यह है कि रजिस्ट्रेशन का एक्नॉलेजमेंट आने के बाद नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ कम से कम MSP पर किसान की दलहन खरीदने के लिए बाध्य है। इसी के साथ ही किसानों के सामने बाजार में अपनी दलहन फसल को बेचने का भी विकल्प खुला है। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए आधार संख्या को सत्यापित किया जाता है। किसान की यूनिक आईडी बनाई जाती है। भूमि रिकॉर्ड के साथ यह एकीकृत किया जा चुका है। इस पोर्टल के माध्यम से आधार बेस्ड पेमेंट के साथ इंटीग्रेटेड करके किसानों की फसल का मूल्य सीधा उनके खाते में ट्रांसफर किए जाने की व्यवस्था है।
किसानों को अपनी दलहन फसल अरहर बेचने से पहले ई-समृद्धि पोर्टल पर पंजीयन कराना होगा। इसके लिए उन्हें कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। पंजीयन के लिए आपको जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे दस्तावेज इस प्रकार से हैं
सरकार की ओर से अरहर दाल का वर्तमान में एमएसपी 7,000 रुपए है। जबकि अरहर का बाजार भाव भाव 8500 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम बाजार कीमत 8450 रुपए प्रति क्विंटल है और सबसे उच्च बाजार भाव 8600 रुपए प्रति क्विंटल है। इस तरह अभी इस समय बाजार भाव, एमएसपी से करीब 1600 रुपए अधिक है।
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