प्रकाशित - 05 Aug 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
केंद्र सरकार ने गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की है। इससे किसानों को लाभ होगा। अब चीनी मिलों द्वारा उनका गन्ना अधिक कीमत पर खरीदा जाएगा। सरकार ने अक्टूबर माह से शुरू होने वाले विपणन वर्ष के लिए गन्ना उत्पादक किसानों को चीनी मिलों द्वारा दिए जानें वाले न्यूनतम मूल्य में 15 रुपए की वृद्धि की है। इससे देश के करीब 5 करोड़ किसानों को लाभ होगा। इसी के साथ ही इसका लाभ किसानों के आश्रितों और चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत करीब पांच लाख श्रमिकों को भी होगा। केंद्र सरकार की ओर से की गई बढ़ोतरी के बाद अब गन्ने का एफआरपी 305 प्रति क्विंटल हो गया है। अब इसी कीमत पर चीनी मिले किसानों से गन्ने की खरीद करेंगी। बता दें कि पिछले गन्ना विपणन सीजन में गन्ने का एफआरपी 290 रुपए प्रति क्विंटल था जिस पर उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा ने राज्य स्तर पर इसमें बढ़ोतरी करके राज्य के किसानों को बोनस का लाभ दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पिछले दिनों आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की हुई बैठक में चीनी मार्केटिंग वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 10.25 प्रतिशत की मूल प्राप्ति दर के लिए 305 रुपए प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दी गई है। मार्केटिंग वर्ष 2022-23 के लिए गन्ने की उत्पादन लागत 162 रुपए प्रति क्विंटल मानकर ये बढ़ोतरी की गई है।
सूत्रों के अनुसार गन्ने से 10.25 प्रतिशत से अधिक की वसूली में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.05 रुपए प्रति क्विंटल का प्रीमियम दिए जाने उम्मीद है। जबकि वसूली में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए एफआरपी में 3.05 रुपए प्रति क्विंटल की कमी की जाएगी। हालांकि चीनी मिलों के मामले में, जहां वसूली दर 9.5 प्रतिशत से कम की है, वहां कोई कटौती नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे किसानों को वर्ष 2022-23 में गन्ने के लिए 282.125 रुपए प्रति क्विंटल मिलने की संभावना है, जबकि मौजूदा चीनी सत्र 2021-22 में यह राशि 275.50 रुपए प्रति क्विंटल की है।
केंद्र सरकार की ओर से गन्ने का एफआरपी मूल्य घोषित कर दिया गया है। इसके अनुसार चीनी मिल किसानों से 305 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीद करेगी। वहीं राज्य के द्वारा भी किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने स्तर पर गन्ने का मूल्य तय करती है। मूल्य को एसएपी इसे कहते हैं। यह केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए मूल्य से अधिक होता है। इसका किसानों को फायदा होता है। एक तरह से ये सरकार की ओर किसानों को बोनस देने जैसा है। इसी रेट पर राज्य में किसानों से गन्ना की खरीद की जाती है। बता दें कि जिन राज्यों में एसएपी की व्यवस्था है, वहां के किसानों को एफआरपी का कोई लाभ नहीं होगा। वर्ष 2021-22 में उत्तरप्रदेश में राज्य सरकार की ओर से गन्ने का लाभकारी मूल्य यानि एसएपी 340 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया। पंजाब में 360 रुपए प्रति क्विंटल और हरियाणा में 362 रुपए गन्ना का एसएपी तय किया गया। वहीं बिहार सरकार ने अपने यहां गन्ना का एसएपी मूल्य 335 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। देखने से पता चलता है कि उपरोक्त बताए गए इन चार राज्यों में तय किया गया एसएपी, केंद्र सरकार की ओर से घोषित किए गए मूल्य से कहीं ज्यादा है।
एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जिस मूल्य पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है। एक तरह से ये गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य ही होता है। इसी एफआरपी पर ही किसानों से गन्ना की खरीदी की जाती है। कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश करता है। बता दें कि सीएसीपी गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है। उस पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है। सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत एफआरपी तय करती है।
इसे स्टेट एडवायजरी प्राइस यानि एसएपी कहा जाता है। इस मूल्य को राज्य सरकार तय करती है। अभी तक उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा अपने राज्य के किसानों के लिए अपना एसएपी तय करते हैं। आम तौर पर एसएपी केंद्र सरकार के एफआरपी से ज्यादा होता है।
उदाहरण के लिए केंद्र द्वारा जारी किया गया विपणन सत्र 2022-23 के लिए की गई मूल्य वृद्धि के बाद एफआरपी 305 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके मुकाबले उत्तर प्रदेश में गन्ना के लिए तय एसएपी 340 रुपए प्रति क्विंटल है। इस तरह केंद्र सरकार के एफआरपी बढ़ाने का उन राज्यों के किसानों को कोई फायदा नहीं होगा, जहां एसएपी की व्यवस्था है। बता दें कि एफआरपी वह मूल्य होता है जिस पर चीनी मिले किसानों से गन्ना खरीदती है। जबकि एसएपी वह बढ़ा हुआ मूल्य होता है जिसका किसानों को भुगतान करने के लिए राज्य को अपने कोष में से चीनी मिलों को पैसा देना पड़ता है। यह मूल्य एक तरह से किसानों को राज्य स्तर पर दिया जाने वाला बोनस जैसा ही है।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों सोनालिका ट्रैक्टर, वीएसटी ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।