जानें, अनाज संरक्षण की विधियां और इससे होने वाले लाभ
देश में इस समय गेहूं की कटाई का काम चल रहा है। ऐसे में किसान चाहते हैं कि वे अपनी उपज का सुरक्षित भंडारण कर सकें। हालांकि सरकार की ओर से किसानों के लिए अनाज भंडारण के लिए सरकारी भंडार गृह खोले गए हैं जिसमें कुछ शुल्क देकर किसान भाई अपनी उपज का भंडारण कर सकते हैं। लेकिन सभी किसान ऐसा करने में समर्थ नहीं हो पाते है, खास कर छोटे किसान। और ऐसा नहीं करने पर उन्हें फसल खराब होने का डर बना रहता है और इसके चलते वे कई बार अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन केे माध्यम से किसानों को अनाज सुरक्षा के दो आसान तरीके बता रहे हैं जिससे वे अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे।
लंबे समय तक अनाज सुरक्षित रखने से किसानों को क्या लाभ
कई किसान इस उद्देश्य से अपनी उपज का लंबे समय तक सुरक्षित भंडारण करते हैं ताकि उन्हें बाजार में उपज का उचित मूल्य मिल सके। कई बार मंंडी की खबरों में आता है कि अमुक दिन सरसों का भाव बढ़ गया है या फिर कम हो गया है। इस भाव के उतार-चढ़ाव की स्थिति ही किसानों के लाभ और हानि का निर्धारण करती है। यदि बाजार में उपज का दाम बढ़ गया है तो किसान को लाभ होता है। और इसके विपरित बाजार में उपज का भाव कम चल रहा है तो किसान को हानि उठानी पड़ती है। कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि बाजार में उपज का भाव इतना गिर जाता है कि किसान को अपनी उपज की लागत तक निकालना भारी पड़ जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उपज का भंडारण करना बेहद जरूरी हो जाता है ताकि उपज का उचित मूल्य किसान को मिल सके।
भंडारण की सही जानकारी के अभाव में होता है नुकसान
अनाज को चूहों, कीटों, नमी, फफूंद आदि से उपज को नुकसान होता है। अनाज भंडारण की सही जानकारी नहीं होने से प्राप्त उपज में कमी होने लगती है। यदि अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखना चाहते हो तो आपको इसके किए भंडारण की वैज्ञानिक विधि को अपनाने की आवश्यकता होगी। फसलों की कटाई के बाद सबसे जरूरी काम अनाज भंडारण का होता है। अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाने की जरूरत होती है, जिससे अनाज को लंबे समय तक चूहे, कीटों, नमी, फफूंद आदि से बचाया जा सके। भंडारण की सही जानकारी न होने से 10 से 15 प्रतिशत तक अनाज नमी, दीमक, घुन, बैक्टीरिया द्वारा नष्ट हो जाता है।
गोदाम में अनाज संग्रहण के लिए किन बातों का रखें ध्यान
- अनाज को रखने के लिए जिस कमरे या गोदाम को उपयोग में लाया जा रहा है। उसकी अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए।
- दीमक और पुराने अवशेष आदि को बाहर निकालकर जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।
- दीवारों, फर्श एवं जमीन आदि में यदि दरार हो तो उसे सीमेंट, ईट से बंद कर दें।
- टूटी दीवारों आदि की मरम्मत करा देनी चाहिए।
अनाज स्टोर करने से पहले ये रखें सावधानियां
- अनाज को भंडार गृह में स्टोर करने से पहले अनाजों को अच्छी तरह से साफ-सुथरा कर धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे कि दानों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रहने पाए।
- अनाज में ज्यादा नमी रहने से फफूंद एवं कीटों का आक्रमण अधिक होता है। अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोडऩे पर कट की आवाज करें तो समझना चाहिए कि अनाज भंडारण के लायक सूख गया है।
- इसके बाद अनाज छाया में रखने के बाद ठंडा हो जाने के बाद ही भंडार में रखना चाहिए।
भंडारण के लिए तैयार करें लकड़ी और तख्ते का मंच
अनाज से भरे बोरे को भंडार गृह में रखने के लिए फर्श से 20 से 25 सेमी की ऊंचाई पर बांस या लकड़ी के तख्ते का मंच तैयार करना चाहिए, जो दीवार से कम-से-कम 75 सेमी की दूरी पर हो। बोरियों के छल्लियों के बीच भी 75 सेमी खाली स्थान रखना फायदेमंद होता है। गोदाम में पक्षियों एवं चूहों के आने-जाने के रास्ते को बंद कर देना चाहिए।
अनाज और दालों के सुरक्षित भंडारण के कुछ पारंपरिक तरीके
अनाजों व दालों का भंडारण कुछ पारंपरिक अन्न भंडारण के तरीके जैसे आनाजों व दालों के कड़वा तेल लगाना, राख मिलाना, नीम, लहसुन व करंज के पत्ते कोठी में बिछाना, सूखे हुए लहसुन के डंठल रखना आदि। अनुसंधानों द्वारा यह पाया गया कि परंपरागत तरीके से आनाज व दालों में 10-20 प्रतिशत तक राख मिलाने से वो खराब नहीं होते पर आवश्यक है कि राख को छानकर व सुखा कर ही डाला जाय। राख की रगड़ खाकर कीड़े मर जाते और दोनों के बीच की जगह जहां हवा हो सकती है, वहां राख आ जाने से हवा नहीं रहती है। इस प्रकार राख मिलाना लाभप्रद होता है।
भंडारण करने से पहले यह इन बातों का रखें ध्यान
- अनाज भरे बोरे को छल्लियों या अन्न के ढेर को प्रधूमित करने के लिए एल्मुनियम फॉस्फाइड का पाउच आवश्यकतानुसार रखकर पॉलीथीन चादर से अच्छी तरह ढक कर उसके किनारे को सतह के साथ गीली मिट्टी से वायुरुद्ध कर देना चाहिए।
- चूहों से बचाने के लिए एक ग्राम जिंक फॉस्फाईड और उन्नीस ग्राम सत्तू या आटा में थोड़ा सरसों तेल मिलाकर एवं लगभग 10 ग्राम की गोली बनाकर चूहों के आने-जाने के रास्ते पर गिनती में रख देना चाहिए। खुले हुए अनाज पर कीटनाशी नहीं रखना चाहिए, चूहा शंकालु प्रवृत्ति का होता है। इसलिए बदल-बदल कर विषाक्त चारा, चूहे-दानी एवं टिकिया को रखना चाहिए। दवा अनाज में देने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
- भंडारण में पुराना आनाज एवं भूसा इत्यादि को निकाल कर एक महीने पहले सफाई कर चूहों द्वारा किए गए छेद एवं अन्य टूट-फूट की मरम्मत कर नीम की पत्ती का प्रधुमन करके अच्छी तरह से भंडारण को बंद कर दें, जिसमें छुपे हुए भंडारण कीट नष्ट हो जाए एवं अन्य भंडारण बोरी को खौलती नीम की पत्ती वाले पानी में शोधित कर अच्छी तरह सुखा ले।
- अन्न का भंडारण करते समय हवा के रुख को अवश्य ध्यान रखे अगर पुरवा हवा चल रही हो, तब अन्न का भंडारण न करें।
- अनाज भंडारण में नीम की पत्ती का प्रयोग करते समय नीम पत्ती सूखी होनी चाहिए। इसके लिए नीम पत्ती को भंडारण से 15 दिन पहले किसी छायादार स्थान पर कागज पर रख कर सुखा ले उसके बाद अन्न की बोरी में रखे।
भंडारण गृह के चयन में ये बरतें सावधानियां
- अनाज व दालों को सुरक्षित भंडारण के लिए वैसे भंडार गृह का चयन करना चाहिए, जहां सीलन (नमी) न हो एवं चूहों से अन्न का बचाव किया जा सके।
- भंडार-गृह हवादार हो एवं जरूरत पड़ने पर वायुरुद्ध भी किया जा सके।
- अनाज भंडारण से पूर्व पक्का भंडार गृह एवं धातु की कोठियों को साफ-सुथरा कर लेना चाहिए।
- भंडार गृह को कीटमुक्त करने के लिए मेलाथियान 50 प्रतिशत का पानी में 1:100 में बने घोल को दीवारों एवं फर्श पर प्रति एक सौ वर्ग मीटर में तीन लेयर घोल की दर से छिडक़ाव करना चाहिए।
अनाज भरने से पूर्व बोरियों को करें रोगाणुमुक्त
- बोरियों में अनाज भर कर रखने के पहले इन बोरियों को 20-25 मिनट तक खौलते पानी में डाल देना चाहिए। इसके बाद धूप में अच्छी तरह सूखा देना चाहिए।
- इसके बाद छिडक़ाव के लिए बने मालाथियान 50 प्रतिशत के घोल में बोरियों को डुबाकर फिर बाहर निकालकर सुखा लेना चाहिए। ठीक से सूख जाने के बाद ही उसमें अनाज भरना चाहिए।
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