प्रकाशित - 23 Jun 2023
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इस दिशा में केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर किसानों के लिए योजनाओं का संचालन कर रही हैं। इसी के साथ ही किसानों को लाभकारी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में किसानों को सौंफ की खेती वैज्ञानिक तरीके करने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
दरअसल बिहार राज्य के किसानों को अब सौंफ की खेती की ट्रेनिंग दी जा रही ताकि वे सौंफ की खेती करके अपनी आय में इजाफा कर सकें। बता दें कि सौंफ का प्रयोग मसाले के रूप में तो होता ही है, साथ ही इसका प्रयोग माउंथ फ्रेशनर के साथ ही आयुर्वेदिक दवा निर्माण में भी किया जाता है। भारत में मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पंजाब, गुजरात, हरियाणा व कर्नाटक राज्य में इसकी खेती की जाती है। अब इस लिस्ट में बिहार का नाम भी जुड़ जाएगा।
सौंफ की बाजार मांग भी काफी है। सौंफ की बाजार मांग को देखते हुए इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है। यदि किसान सही तरीके से सौंफ की खेती करें तो इससे बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है। खास बात यह है कि इसके बाजार भाव भी बेहतर मिल जाते हैं। यह एक मसाला फसल है जिसकी पहुंच घर-घर तक है। इसे मसाले के रूप में तो इस्तेमाल किया ही जाता है। साथ ही औषधी या दवाइयां बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग के कारण ही इसकी 12 महीने बाजार में मांग बनी रहती है।
ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आज हम आपको सौंफ की खेती का सही तरीका, इससे होने वाले लाभ, इसकी खेती में ध्यान रखने वाली बातें आदि विषयों पर जानकारी दे रहे हैं।
बिहार के बेगूसराय जिले को सौंफ की खेती के लिए चुना गया है। यहां ट्रायल के तौर पर सौंफ की खेती की जाएगी। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बेगूसराय की मिट्टी सौंफ की खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है। यहां सौंफ की राजेंद्र सौरभ किस्म को ट्रायल के तौर पर उगाया गया है, जो सफल रहा है। इससे अच्छी पैदावार प्राप्त हुई है। अब जिले के किसान बेगूसराय में सौंफ की खेती करेंगे। इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे सौंफ की बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपाल के अनुसार जो किसान सौंफ की खेती करना चाहते हैं, वे कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर से संपर्क करके सौंफ की खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसी के साथ ही सौंफ की वैज्ञानिक तरीके से खेती की ट्रेनिंग भी ले सकते हैं। यदि किसान सही तरीके से इसकी खेती करते हैं तो उन्हें सौंफ की खेती से काफी अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
यदि उचित कृषि क्रियाओं व वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती की जाए तो किसान इस फसल से काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि किसान एक हेक्टेयर में सौंफ की खेती करते हैं तो उसमें करीब 80 हजार रुपए तक की लागत आएगी। यदि इस हेक्टेयर की फसल को बेचा जाए तो इससे किसानों को करीब 2 लाख रुपए की कमाई हो सकती है। यदि सौंफ की उन्नत किस्मों की खेती की जाए तो इससे प्रति हेक्टेयर इसकी औसत पैदावार 15 से 18 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है। सौंफ की एनआरसीएसएसएएफ1 किस्म की बात करें तो इस किस्म की सीधी बुवाई से 19 तथा पौधरोपण द्वारा 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।
वर्तमान बाजार दरों के अनुसार सौंफ का मंडी भाव 17000 से 25000 रुपए प्रति क्विंटल है। वहीं बढ़िया क्वालिटी की सौंफ का भाव 33000 रुपए प्रति क्विंटल है। बता दें कि विभिन्न मंडियों में सौंफ के अलग-अलग भाव होते हैं। इसमें प्रतिदिन उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसलिए किसान यदि सौंफ की फसल का विक्रय करें तो इससे पहले एक बार अपनी स्थानीय मंडी में इसके भावों की जानकारी अवश्य कर लें।
सौंफ के बीज में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें मैंगनीज, कॉपर, फास्फोरस, जिंक, विटामिन के, विटामिन ई और विटामिन सी पाया जाता है। यह पाचन क्रिया को ठीक करने में मदद करता है। इसका उपयोग मसाले के रूप में सब्जी सहित कई प्रकार के व्यंजन व अचार में किया जाता है। इसके अलावा सौंफ का प्रयोग औषधीय रूप में भी होता है।
सौंफ का अर्क, सौंफ का शरबत, सौफ से पाचन चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक दवा बनने में इसका उपयोग किया जाता है। इसे कच्चा व भून कर खाया जाता है। सौंफ का सेवन माउथ फ्रेशनर के रूप में काफी होता है। इसके सेवन से मुंह से बदबू आने की शिकायत दूर होती है। वहीं यह पेट के लिए भी अच्छी होती है। खाना खाने के बाद इसके सेवन से पाचन अच्छा होता है। यहां बता दें कि सौंफ का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर को नुकसान भी हो सकता है।
सौंफ की खेती रेतीली भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। सौंफ की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.6 से 8.0 के बीच अच्छा रहता है। सौंफ की फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 20 से 30 डिग्री का तापमान अच्छा माना जाता है। यदि आप चाहे तो इसकी खेती के लिए खेत में जैविक खाद का उपयोग भी कर सकते हैं। सौंफ की खेती से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करके खेत को समतल बना लेना चाहिए। अब खेत में क्यारियां बनाकर उसमें इसके बीजों की बुवाई करें। जब सौंफ की पौध 7 से 8 सप्ताह की हो जाए उसके बाद इसकी खेत में रोपाई करनी चाहिए।
राेपाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि सौंफ की रोपाई हमेशा कतार में करें। इसमें लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर हो। वहीं इसमें उर्वरक प्रयोग निर्धारित मात्रा में किया जाना चाहिए। आमतौर पर सौंफ की खेती में नाइट्रोजन 90 किलोग्राम, फास्फोरस 30 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर दिया जाता है। इसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय एवं शेष नाइट्रोजन की मात्रा 30 और 60 दिवस के अंतराल में दी जानी चाहिए। इसकी सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम को अपनाया जा सकता है। इससे कम पानी लगता है।
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