प्रकाशित - 13 Oct 2022
देश में रबी सीजन फसलों की बुवाई की शुरुआत हो गई हैं। ऐसे में किसान इस रबी सीजन की फसलों की खेती की तैयारी में जुटे हुए हैं। रबी सीजन में पिछले वर्ष किसानों को अत्यधिक गर्मी तथा भयंकर लू के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था। जिसके चलते अब किसान गेंहू की ऐसी किस्मों की खेती करना चाहते है जो ज्यादा गर्मी में भी समय से पहले न उगे तथा अच्छा उत्पादन भी दें। मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम, इंदौर, जबलपुर और सागर अनुसंधान केंद्रों में तीन साल तक चले शोध के बाद गेहूं की नई किस्में 1634 और 1636 विकसित की गई हैं। इसका प्रमाणित बीज रबी सीजन से बाजार में उपलब्ध होगा। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से गेहूं की नई किस्मों 1634 और 1636 के बारे में विस्तार से जानेगें।
मध्य प्रदेश में गेहूं की दो नई किस्म 1634 और 1636 विकसित की गई है। गेहूं की दो नई किस्मों का शोध प्रथम वर्ष में इंदौर में अनुसंधान किया गया और अगले दो वर्षों तक इंदौर सहित नर्मदापुरम, जबलपुर और सागर अनुसंधान केंद्रों में प्लाट लगाकर शोध किया गया है। शोध में पाया गया है कि यह गेहूं अधिक तापमान पर भी समय से पहले नहीं पकता है। किसानों को गेहूं की नई किस्में 1634 और 1636 का प्रमाणित बीज इस रबी सीजन में बाजार में उपलब्ध होगा।
गेंहू 1634 की फसल अवधि 110 दिन और 1636 की फसल अवधि 115 दिन की है। विकसित की गई किस्मों की सबसे खास बात ये है कि ये गेहूं तापमान अधिक होने पर भी समय से पहले नहीं पकती है। इससे गेहूं की पैदावार भी कम नहीं होती है। दरअसल फरवरी और मार्च में अधिक तापमान के कारण गेहूं की पुरानी किस्में अपने समय से पहले ही पकनी शुरू हो गई थी। शोध के दौरान यह पाया गया कि अधिक तापमान होने के कारण पुरानी किस्में के गेहूं की उपज में 20% तक की कमी आती है। गेहूं की पुरानी किस्मों के गेहूं जिनकी औसत पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, वो फरवरी-मार्च में अधिक तापमान होने पर कम होकर 55 से 60 क्विंटल रह गई थी। लेकिन नई किस्म के गेहूं में तापमान के अधिक होने के बाद भी पैदावार 65 क्विंटल ही रही। इस किस्म में तापमान सामान्य रहे तो पैदावार 70 क्विंटल तक की होती है।
गेहूं की ये दो नई किस्में को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इन राज्यों के किसान गेहूं की इस किस्म की बुवाई करके बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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नई किस्म के गेहूं की सबसे खास बात ये है कि ये गेहूं अधिक तापमान होने पर भी अपने समय पर ही पकता है जिससे किसानों को बेहतर उपज प्राप्त होती हैं। जैसा की पिछले वर्ष देखने को मिला है कि फरवरी और मार्च के महीने में तापमान अधिक हो जाता है, जिससे गेहूं की फसल खेतों में खड़े-खड़े जल जाती है यानी समय से पहले पक जाती है और बर्बाद हो जाती है। समय से पहले फसल पकने के कारण पैदावार में कमी होने के साथ-साथ गेहूं की क्वालिटी यानी उसके दाने का विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता व दाने छोटे रह जाते हैं।
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