प्रकाशित - 31 Aug 2023
कृषि वानिकी किसानों के लिए आजकल काफी लाभ का सौदा बनता जा रहा है। बहुत सारे किसान पारंपरिक खेती छोड़कर पेड़ लगाकर कृषि में बेहतरीन निवेश कर रहे हैं और एक समय के बाद काफी अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। आय का स्रोत बढ़ाने के लिए किसान आजकल मुनाफों वाली खेती पर ध्यान दे रहे हैं। देश के कई राज्यों से ऐसे सैकड़ों किसानों के उदाहरण आ चुके हैं जो पेड़ लगाकर अमीर बन गए और आज उन किसानों की कमाई करोड़ों रुपए में है। सफेदा, महोगनी, सागवान, गम्हार, चंदन आदि कई पेड़ हैं जिनकी खेती करके किसान अच्छी खासी कमाई कर पाए हैं। ये पेड़ न सिर्फ अच्छा मुनाफा देते हैं बल्कि कम देखभाल और कम लागत में इनकी खेती की जा सकती है। हालांकि इस पेड़ की खेती में 15 से 20 साल का लंबा धैर्य भी किसानों को रखना होता है। युवाओं के लिए इस खेती में बहुत कुछ खास है।
ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम टॉप 3 पेड़ों की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो किसानों के लिए काफी लाभकारी है और काफी अच्छा इनकम देने वाला है।
सामान्य और पारंपरिक खेती से किसानों को अनाज मिल पाता और अन्य उपयोगी उत्पाद प्राप्त होते हैं। लेकिन कृषि वानिकी या पेड़ों की खेती से फर्नीचर और अन्य कार्यों के लिए कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। गौरतलब है कि भारत में उच्च क्वालिटी के लकड़ियों की मांग काफी ज्यादा है। यही वजह है कि अच्छी क्वालिटी की लकड़ियों की मांग को देखते हुए भारत में विदेशों से काफी लकड़ियां आयात की जाती हैं। ये लकड़ियां बेहतरीन क्वॉलिटी की होती हैं। लकड़ियों की खेती भारत के मुकाबले इंग्लैंड और अमेरिका जैसे विकसित देशों में काफी आम है। यही वजह है कि भारत अपनी जरूरतों के लिए विदेशों से लड़कियां आयात करता है। इसके लिए भारत के आयातक अच्छी खासी कीमत चुकाते हैं।
कृषि वानिकी के लिए कई पेड़ों की खेती किसान कर रहे हैं लेकिन इस पोस्ट में हम सबसे बढ़िया और सबसे ज्यादा कमाई करके देने वाले 3 पेड़ के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
सफेदा की लड़की का उपयोग फर्नीचर, ईंधन और कागज की लुगदी बनाने के लिए किया जाता है। सफेदा को यूकेलिप्टस भी कहा जाता है। फर्नीचर और डिजाइनर लकड़ियों के तौर पर सफेदा का उपयोग बड़े स्तर पर देखने को मिलता है। किसान इस पेड़ की खेती करके काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। बता दें कि एक हेक्टेयर भूमि में सफेदा के 3000 पौधे लगाए जा सकते हैं। यह पेड़ सिर्फ 5 साल में अपना पूर्ण विकास कर लेता है। जिसके बाद किसान इस फसल की कटाई करके बिक्री कर सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक अगर सब कुछ ठीक रहा है, तो किसान एक हेक्टेयर में 5 साल में 70 लाख रुपए से 80 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
महोगनी का पेड़ भी भारत में डिजाइनर लकड़ियों और फर्नीचर के लिए बेहतरीन क्वालिटी की लकड़ियों में से एक माना जाता है। महोगनी की लकड़ी से फर्नीचर, सजावटी सामान आदि तो बनाए ही जाते हैं साथ ही इसकी पत्तियों से और बीजों से तेल का भी निर्माण किया जाता है। ये तेल कीटनाशक के निर्माण और मच्छर भगाने वाली दवाई के निर्माण में भी उपयोग में लाए जाते हैं। यही वजह है कि महोगनी के पत्तों के साथ-साथ बीजों का भी बड़ा उपयोग देखने को मिलता है। इसके बीज बाजार में 1 हजार रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकते हैं। 12 साल में महोगनी का पेड़ तैयार हो जाता है। 1 हेक्टेयर जमीन पर अगर महोगनी की खेती की जाए तो 1100 पेड़ लगाए जा सकते हैं और 12 साल बाद महोगनी का एक पेड़ किसान को 20 से 25 हजार रुपए की कमाई दे सकता है। इस प्रकार 12 से 15 साल में किसान की कमाई 2 करोड़ से ज्यादा होगी और कृषि के इस निवेश में किसान काफी जल्दी करोड़पति बन सकते हैं।
सागवान के पेड़ों की कटाई किसान 15 से 20 साल में कर सकते हैं। सागवान का उपयोग फर्नीचर के अलावा नाव, जहाज, खिड़कियां, चौखट आदि के निर्माण में भी किया जाता है। रेल के डिब्बों आदि के निर्माण में भी इसका उपयोग होता है। सागवान के पत्तों का भी औषधीय उपयोग है। माइग्रेन के दर्द, इचिंग और ब्लड बाइल्स में सागवान के पत्तों से राहत मिलती है। एक एकड़ में सागवान के 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं और 15 से 20 साल बाद सागवान का पेड़ 25 से 30 हजार रुपए प्रति इकाई के हिसाब से बेचा जा सका है। इस तरह किसान एक एकड़ में सागवान की खेती करके भी करोड़पति बन सकते हैं।
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