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इन टॉप 5 पेड़ों की खेती से किसान होंगे मालामाल, होगी करोड़ों में कमाई

प्रकाशित - 12 Apr 2023

जानें, कौनसे पेड़ों की खेती से मिलेगा अधिक लाभ

भारत की करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या खेती (farming) और इससे संबंधित व्यवसाय से जुड़ी हुई है। खेती के व्यवसाय (farming business) में किसानों को जब ही बेहतर मुनाफा मिल सकता है जब वे मार्केट की डिमांड के अनुसार खेती करें। किसानों को चाहिए की बाजार की मांग (market demand) के अनुसार खेती करें ताकि उन्हें ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। आज बहुत से किसान इस बात को समझ चुके हैं और यही कारण है कि वे परंपरागत रूप से उगाई जाने वाली फसलों के जगह व्यवसायिक फसलों (commercial crops) के उत्पादन पर ध्यान देने लगे हैं और उसके उत्पादन से अपनी आय बढ़ा रहे हैं। यदि किसान व्यवसायिक रूप से ज्यादा कमाई देने वाली फसलों की खेती (cultivation of crops) करें तो बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन कि इस पोस्ट में आपको टॉप 5 पेड़ों की खेती (top 5 tree cultivation) के बारें में जानकारी दे रहे हैं जिससे उन्हें बेहतर लाभ मिल सकता है।

यूकेलिप्टस की खेती (Cultivation of Eucalyptus)

यूकेलिप्टस जिसे सफेदा भी कहा जाता है। कई जगह इसे नीलगिरी के नाम से भी जाना जाताह है। यूकेलिप्टस की खेती करके किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। परंपरागत फसलों के साथ भी इसकी खेती की जा सकती है। इसे खेत के चारों और लगाकर भी इससे पैसा कमाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए सरकार की ओर से भी अनुदान भी दिया जाता है। यूकेलिप्टस पेड़ की लकड़ी का उपयोग बड़े पैमाने पर फर्नीचर बनाने (furniture making), पार्टिकल बोर्ड बनाने के अलावा इमारते बनाने में किया जाता है। यदि किसान सही तरीके से इसकी खेती करें तो करीब 1 करोड़ रुपए तक कमा सकता है। खास बात ये हैं कि इसकी खेती सभी प्रकार की जलवायु (climate) और किसी भी प्रकार की मिट्‌टी (soil) में की जा सकती है। ऐसे में किसान अपनी बेकार पड़ी बंजर जमीन का उपयोग (use of barren land) इसकी खेती के लिए कर सकते हैं और इससे बेहतर कमाई कर सकते हैं। इन पेड़ों के बीच में खाली जगह पर आप हल्दी, अदरख, लहसुन उगाकर अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए मिट्‌टी का पीएच मान (pH value of soil) 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यदि आप एक एकड़ में 10 साल या इससे अधिक समय के लिए इसकी खेती करते हैं तो आप आसानी से एक करोड़ रुपए कमा सकते हैं।  

चंदन की खेती (Sandalwood Farming)

चंदन की खेती भी मुनाफे की खेती में गिनी जाती है। चंदन का प्रयोग (use of sandalwood) भगवान की पूजा में तो होता ही है। इसका प्रयोग अगबत्ती बनाने, माला बनाने, खिलौने बनाने, परफ्यूम बनाने, हवन सामग्री तैयार करने आदि में किया जाता है। इसकी मार्केट में काफी डिमांड होने से इसके काफी बेहतर भाव मिलते हैं। इसकी खेती भी किसान बंजर भूमि में करके काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। चंदन के साथ आप मिश्रित फसल उगाकर भी कमाई कर सकते हैं। इसकी खेती करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत में पानी जमा न हो। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि का चयन करना चाहिए। चंदन की खेती के लिए मिट्‌टी का पीएच मान 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए। चंदन की खेती के लिए शुष्क जलवायु (dry climate) अच्छी मानी जाती है। यह अधिक धूप को सहन करने की क्षमता रखता है लेकिन पाले से इसे बचना जरूरी होता है। पाले से इसको नुकसान होता है। इसकी खेती के लिए 15 से लेकर 35 डिग्री तक का तापमान अच्छा रहता है। इसकी खेती के लिए 500 से 625 मिली मीटर बारिश की आवश्यता होती है। चंदन के पेड़ (sandalwood tree) कोई भी लगा सकता है लेकिन इसको कटाते समय वन विभाग की स्वीकृति लेनी होती है। दो प्रकार के चंदन होते हैं एक लाल चंदन (red sandalwood) और दूसरा सफेद चंदन (white sandalwood)। इसमें सफेद चंदन की खेती (cultivation of white sandalwood) करके किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। एक एकड़ में चंदन के 400 पेड़ों से किसान 5 से 8 करोड़ रुपए की कमाई कर सकते हैं।  

महोगनी की खेती (Mahogany Farming)

महोगनी के पेड़ (mahogany tree) की खेती से भी किसान काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इसकी खेती भारत में पहाड़ी इलाकों को छोड़कर सभी जगह पर की जा सकती है। महोगनी की खेती उस जगह की जाती है जहां तेज हवाएं कम चलती है क्योंकि इन पेड़ों की जड़ें कम गहरी होती है। इसकी लकड़ी भी काफी मजबूत होती है। इसकी लकड़ी का उपयोग फर्नीचर बनाने के साथ ही लकड़ी अन्य चीजें बनाने में किया जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग नाव बनाने में किया जाता है। इतना ही नहीं इसकी पत्तियों का इस्तेमाल सर्दी जुकाम, कैंसर, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में दवा बनाने (making medicine) में किया जाता है। इस पेड़ की खास बात ये हैं कि जहां यह पेड़ होता है उस स्थान पर मच्छर कम हो जाते हैं। तभी तो इसकी पत्तियों का उपयोग मच्छर मारने वाली दवाइयों और कीटनाशक बनाने में किया जाता है। इसके तेल का इस्तेमाल करके साबुन (Soap), पेंट, वार्निश बनाने में किया जाता है। यदि कमाई की बात करें तो एक एकड़ में महोगनी 120 पेड़ जाएं तो आप इससे 12 साल बाद एक करोड़ रुपए आसानी से कमा सकते हैं। बता दें कि इसके एक पौधे से पांच किलो तक बीज मिलते हैं। इसके बीजों की कीमत (cost of seeds) बाजार में एक हजार रुपए प्रति किलो है। वहीं इसकी लकड़ी की कीमत (cost of wood) देखें तो इसकी लकड़ी बाजार में 2200 रुपए प्रति घन फीट के हिसाब से मिलती है। ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए लाभ का सौंदा साबित हो सकती है।   

शीशम की खेती (Rosewood Cultivation)

शीशम पेड़ (rosewood tree) की लकड़ी काफी  महं गी होती है, क्योंकि इस पेड़ की लकड़ी मजबूत होती है। शीशम के पेड़ की लकड़ी की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें दीमक नहीं लगती है। इसलिए इसे फर्नीचर बनाने में अधिक काम में लिया जाता है। इस लकड़ी से बनाए  गए फर्नीचर  की डिमां ड बहुत है। इसकी लकड़ी से बने फर्नीचर, दरवाजे (doors), बिजली के बोर्ड, खिड़की के फ्रेम ओर रेलगाड़ी के डिब्बे (train carriages) आदि चीजें बनाने में किया जाता हे। इसकी लकड़ी से बनी चीजें काफी महंगी कीमत बिकती हैं। किसान शीशम की खेती खेत की मेड पर कर सकते हैं। ये पेड़ धीरे-धीरे बड़ा होता है। ऐसे में आप इसकी खेती के साथ ही मक्का, मटर, सरसों, चना, गेहूं, गन्ना की खेती (sugarcane farming) भी कर सकते हैं। इस पेड़ से प्राप्त तेल का उपयोग भारी मशीनों (heavy machines) में किया जाता है। ऐसे में इसकी खेती किसानों को बेतहर लाभ दिला सकती है।   

बांस की खेती (Bamboo Farming)

बांस (bamboo) से कई प्रकार की चीजें बनाई जाती है। बांस का प्रयोग (use of bamboo) टोकरी (basket), चटाई, बर्तन, बैलगाडियां, फर्नीचर (furniture), सजावटी समान (decorative items), खिलौने, मछली पकड़ने का जाल (fishing net), मकान, पुल बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। किसान बांस की खेती करके हर चार साल में करीब 3 से साढ़ तीन लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप मेड़ों पर 4X4 मीटर की दूरी इसकी खेती के साथ दूसरी फसलों की खेती कर सकते हैं। इससे आप हर साल 30 हजार रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए बांस मिशन के तहत सरकार से अनुदान भी मिलता है। इसके तहत किसानों को टिश्यू कल्चर तकनीक से बांस की खेती पर अनुदान दिया जाता है। 

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