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इन 5 पत्तों की खेती कर देगी किसानों को मालामाल

प्रकाशित - 16 Feb 2023

जानें, किन पेड़ों के पत्तों को बेचने से होगा अधिक लाभ

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत में किसानों के लिए खेती और पशुपालन आय का मुख्य स्त्रोत है। ऐसे में किसानों को अपनी आय बढ़ने के लिए मुनाफे की खेती करनी चाहिए। मुनाफे की खेती से तात्पर्य यह है कि जिन फसलों के दाम बाजार में अधिक मिलते हैं उनकी खेती करनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छा लाभ मिल सकें। देश में बहुत से किसान इस बात को ध्यान में रखते हुए खेती का काम करते हैं और उसमें सफल भी हो रहे हैं। आज कई किसान कुछ खास किस्म के पेड़ों के पत्तों की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। खास बात ये हैं कि इनमें से कुछ पत्तों की खेती के लिए सरकार से सब्सिडी भी दी जाती है। ऐसे में किसान इन पत्तों की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इन पत्तों की खेती में लागत भी कम आती है और मुनाफा इससे कहीं ज्यादा होता है। 

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में किसान भाइयों को ऐसी ही मुनाफे वाली 5 पत्तों की खेती की जानकारी साझा कर रहे हैं जिनकी खेती से वे काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारें में।

पान के पत्तों की खेती

पान के पत्तों का चयन भारत में काफी पुराना है। भाेजन करने के बाद इसे चूने, कत्थे और सुपारी के साथ लगाकर खाया जाता है। इसके अलावा इसका धार्मिक महत्व भी काफी है। हर शुभ कार्य में पूजन में पान के पत्ते का उपयोग होता है। पान के पत्तों की खेती बिहार में काफी होती है। यहां पान की खेती के लिए बिहार सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी का लाभ भी प्रदान किया जाता है। पान की कई प्रकार की वेरायटी आती है जिनमें मगही पान की खेती किसान काफी करते हैं और इसकी खेती के लिए किसानों को राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। 300 वर्गमीटर में इसकी खेती के लिए 70,500 रुपए की लागत आती है जिस पर राज्य सरकार की ओर से 35,250 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। ऐसे में किसान इसकी खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पान की खेती ज्यादातर उन इलाकों में की जाती है जहां नमी ज्यादा रहती है। भारत में दक्षिण और पूर्वी इलाकों में पान की खेती काफी की जाती है। पान की खेती के लिए हल्की ठंड और छायादार जगह अच्छी रहती है। यदि पान के पत्तों की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक बेहतर कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करके इसकी खेती से प्रति हैक्टेयर 100 से 125 क्विंटल तक पान के पत्तों की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। वहीं दूसरे और तीसरे साल इसकी 80 से 120 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है। बाजार में पान के पत्तों को बेचकर अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। वहीं पान के पत्तों का तेल निकलने वाली प्लांटों को भी इसे बेचा जा सकता है।

तेज पत्ता की खेती

तेज पत्ता का इस्तेमाल मसाले के रूप में होता है। इसके प्रयोग गरम मसाला बनाने में किया जाता है। साथ ही इसे सब्जी, पुलाव आदि बनाने में भी मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ये सूखा होने पर ही बेचा जाता है। इसे पत्तों के रूप में बेचा जा सकता है। वहीं इसकाे पीसकर भी इसे बाजार में सप्लाई किया जा सकता है। तेज पत्ते की खुशबू काफी अच्छी होती है और यही कारण है कि ये इसका इस्तेमाल सब्जी का स्वाद और ज्यादा बढ़ा देता है। आजकल बाजार में तेज पत्ते की डिमांड काफी है। इसे देखते हुए किसान इसके पत्तों की खेती करके बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसकी खेती पर भी किसान सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। तेज पत्ते की खेती के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की ओर से 30 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक तेज पत्ता के एक पौधे से किसान सालाना 5 हजार रुपए की कमाई कर सकते हैं। यदि ऐसे ही 25 पौधे लगा दिए जाए तो साल भर में आसानी से 75 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए की कमाई तेज पत्ता से की जा सकती है। भारत में इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, कर्नाटक के अलावा पूर्वी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों की जाती है। खास बात ये हैं कि इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्‌टी में की जा सकती है। लेकिन इसकी खेती के लिए 6 से 8 पीएच मान वाली मिट्‌टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

सहजन के पत्तों की खेती

सहजन एक ऐसा पौधा है जिसके फल, फूल और पत्तियां सभी का उपयोग किया जाता है। इसके पत्तों का उपयोग आयुर्वेदिक बूटी के रूप में किया जाता है। वहीं सहजन के फूलों में कइ् विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिनका उपयोग भी कई प्रकार की बीमारियों में औषधीय रूप में किया जाता है। यह एक औषधीय पौधा है। इसके सेवन से शरीर की कई बीमारियों से बचा जा सकता है। इसकी फलियों का उपयोग खाने में किया जाता है। ऐसे में सहजन की खेती से किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। खास बात ये हैं कि इसकी खेती बंजर भूमि में भी की जा सकती है। सहजन की खेती के लिए बिहार सरकार राज्य के किसानों को सब्सिडी भी देती है। बिहार सरकार की ओर से प्रति हैक्टेयर में सहजन की खेती के लिए 74000 रुपए की लागत तय की गई है। इस पर किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है यानि 37000 रुपए की सब्सिडी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से दी जाती है। ऐसे में किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि किसान एक एकड़ में सहजन के 1200 पौधे लगाते हैं और उन्नत कृषि क्रियाओं का उपयोग करते हैं तो इसकी पत्तियां बेचकर किसान 60 हजार रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी फलियों को बेचकर किसान एक लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

केले के पत्तों की खेती

केले को बेचकर तो कमाई की जा ही सकती है, लेकिन इसके पत्तों से भी काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। इन दिनों लोग प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल पर काफी जोर दे रहे हैं। ऐसे में केले के पत्तों का उपयोग प्लास्टिक के विकल्प के रूप में करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। दक्षिण भारत में तो केले के पत्तों की काफी डिमांड रहती है। वहां तो भोजन भी केले के पत्ते पर ही परोसा जाता है। शादी, जन्मदिन, त्योहार जैसे खास मौकों पर इसकी डिमांड बहुत रहती है। वहां इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। ऐसे में किसान केले के पत्तों को दक्षिण भारत में बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। बिहार में तो केले के पत्तों से ट्रे और खाने की प्लेट भी बनाई जा रही हैं। ऐसे में केले के पत्तों का संरक्षण करके उसे बेचकर अच्छी कमाई की जा सकती है। इतना ही नहीं केले की खेती के लिए सरकार से सब्सिडी भी मिलती है। यदि किसान टिश्यू कल्चर विधि से केले की खेती करते हैं तो बिहार सरकार की ओर से किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। कृषि विभाग के अनुसार इस विधि से केले की खेती करने पर एक हैक्टेयर में करीब 1.25 लाख रुपए की लागत आती है। इसमें से 50 प्रतिशत सब्सिडी किसानों को दी जाती है। इस तरह किसान को सब्सिडी के तौर पर 62500 रुपए की सब्सिडी मिलती है। ऐसे में किसानों के लिए केले की खेती डबल मुनाफे का सौंदा है। एक तो केले के फल बेचकर और दूसरा उनके पत्तों को बेचकर किसान कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा केले के पत्तों से ट्रे और प्लेट बनाने का बिजनेस शुरू करके भी अच्छी कमाई की जा सकती है।  

साखू (साल) के पत्तों की खेती

साखू को साल (शाल) के पेड़ के नाम से भी जाना जाता है। ये पेड़ हिमालय की तलहटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगता है। मुख्यतौर पर यह उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, झारखंड और असम के जंगलों में पाया जाता है। यह पेड़ अत्यंत उष्ण और ठंडे स्थानों में आसानी से उगता है। इस पेड़ की लकड़ी काफी मजबूत होती है। इसलिए इसका उपयोग घर के दरवाजे व खिड़की के पल्ले बनाने, गाड़ी और छोटी नाव बनाने में किया जाता है। ग्रामीण इलाकों में कच्चे घरों की छत के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा रेलवे लाइन के स्लीपर भी इससे ही बनाए जाते हैं। मलाया में इस लकड़ी का उपयोग जहाज बनाने में किया जाता है। इसके अलावा साखू के पत्तों का उपयोग भी केले के पत्ते की तरह भोजन परोसने में किया जाता है। ऐसे में शादी, जन्मदिन, त्योहार पर इसकी मांग काफी रहती है। वहीं साखू की लकड़ी की डिमांड भी बाजार में बहुत है और ये महंगे दामों में बिकती है। इस तरह आप साखू के पेड़ से दो तरह से कमाई कर सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि आप एक एकड़ में इसके 650 पौधे लगाते हैं। हालांकि इसके पेड़ों को तैयार होने में करीब 7 से 9 साल तक का समय लगता है। लेकिन पूर्णरूप से तैयार पेड़ों की लकड़ी और पत्तों को बेचने से काफी अच्छी कमाई होती है। इसके पौधे 100-200 रुपए प्रति नग के हिसाब से बिकते हैं। वहीं पूर्णरूप से तैयार होने पर इसके पेड़ों की कीमत करीब 40 से 60 हजार हो जाती है। इस तरह साखू या शाल की के पेड़ों की खेती भी किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है। 

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