प्रकाशित - 27 Oct 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
रबी फसल की बुवाई का समय भी नजदीक आ गया है। खरीफ फसलों की कटाई के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई करेंगे। इसके लिए किसान अभी से रबी फसलों में खाद-बीज की खरीद करने लगे हैं। सरकार भी किसानों को अपनी योजना के तहत रबी फसल के बीज व खाद पर सब्सिडी दे रही है ताकि किसानों को उन्नत बीज व खाद कम दाम पर मिल सके। किसानों को सस्ती कीमत पर यूरिया, डीएपी जैसे उर्वरक उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वहीं कई जगहों पर डीएपी के लिए मारामारी मची हुई है। इसी बीच कृषि विभाग की ओर से किसानों को डीएपी की जगह वैकल्पिक खाद का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। बताया जा रहा है कि किसान डीएपी एवं अन्य खाद की जगह पर वैकल्पिक खाद-उर्वरक का उपयोग करके अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। खास बात यह है कि यह खाद व उर्वरक डीएपी से सस्ते बताए जा रहे हैं जिससे किसान इसका उपयोग कर सकते हैं।
किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग जबलपुर की ओर से किसानों को रबी सीजन में फसलों की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए डीएपी की जगह पर एन.पी.के उर्वरक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है। कृषि विभाग की ओर से किसानों को बताया जा रहा है कि एनपीके ग्रेड के उर्वरक, डीएपी से सस्ते और अच्छे उर्वरक होते हैं। इनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश जैसे मुख्य पोषक तत्व सम्मिलित होते हैं। यह उर्वरक डबल लॉक केंद्रों, सहकारी समितियों एवं पंजीकृत कृषि आदान विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उपसंचालक डॉ. एस के निगम ने किसानों से फसलों में एक ही तरह के उर्वरकों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि किसानों को समन्वित प्रबंधन में गोबर एवं केंचुए की खाद के साथ अनुशंसित मात्रा में फसलों के अनुरूप एनपीके उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। संतुलित उर्वरकों के उपयोग से उत्पादन की लागत में कमी आती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा भूमि, जल एवं पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है।
कृषि विभाग के उपसंचालक के अनुसार किसानों को एनकेपी उर्वरक का उपयोग फसलों की बुवाई के समय नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा और फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा के साथ आधार उर्वरक के रूप में करना चाहिए। आवश्यकता से अधिक उर्वरक का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं करना चाहिए। यह फसलों की लागत बढ़ाने के साथ ही मिट्टी और पानी दशा भी खराब करती है। इससे फसलों में कीड़ों व बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है जिसके नियंत्रण पर किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग करने के लिए अलग से पैसा खर्च करना पड़ता है।
कृषि विभाग के उपसंचालक के अनुसार एनपीके खाद से बीजों के वजन, चमक और गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है। एनपीके उर्वरक के प्रयोग से फसलों में पोटाश की मात्रा बिना अतिरिक्त पैसा खर्च किए प्राप्त होती है। इसके साथ ही बीजों में चमक एवं वजन और उत्पादन की क्वालिटी में भी बढ़ोतरी होती है जिससे उत्पादन की बाजार में अधिक कीमत प्राप्त होती है। एनपीके खाद के उपयोग से फसलों की लागत में कमी की जा सकती है, वहीं क्वालिटी पूर्ण उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता है।
एनपीके खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पाटेशियम होता है। यहां एपीके (NPK) में नाइट्रोजन के लिए (N), फॉस्फोरस के लिए (P) और पाटेशियम के लिए (K) अक्षर प्रतीक के रूप में प्रयुक्त किया गया है। इसमें इन तीनों पोषक तत्वों का अनुपात 20:20:20 होता है। यानी एपीके (NPK) में 20 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत फॉस्फोरस और 20 प्रतिशत पोटेशियम होता है। ये तीनों की तत्व पौधों के बेहतर पोषण की आवश्यकता को पूरा करने में समक्ष हैं। यदि किसान फसलों में एपीके खाद का प्रयोग करता है तो इसके बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इससे फसलों का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
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