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गेहूं की अगेती खेती : किसान 20 अक्टूबर से शुरू करें अगेती गेहूं की बुवाई

प्रकाशित - 03 Oct 2022

जानें, गेहूं के उत्पादन से जुड़ी खास जानकारी

देश में खरीफ सीजन अपने आखिरी चरण में हैं। धान की फसल पककर तैयार हो गई हैं, इन दिनों देश में खरीफ फसल धान की कटाई जोरों पर है, वहीं देश के कई राज्यों में धान की कटाई करके मंडियों में भी धान की आवक शुरू हो गई हैं। इसी बीच इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने रबी सीजन के लिए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने किसानों को रबी सीजन में गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को तैयार रहने को कहा है। ICAR ने किसानों को अगेती गेहूं की किस्म की बुवाई 20 अक्टूबर से शुरू करने की सलाह भी दी है। इसके साथ ही ICAR ने गेहूं की बुवाई के समय बरती जाने वाली सावधानियां, अधिक उत्पादन के प्रभावी तरीकों की भी जानकारी दी है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से जानते हैं कि इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को क्या दिशा-निर्देश दिए है।

खरीफ फसलों की कटाई के 1 सप्ताह के अंदर करें खेत की जुताई

इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने अपनी एडवाइजरी में खरीफ फसलों की कटाई करने के बाद एक सप्ताह के अंदर खेत की जुताई करने की सलाह दी है। हालांकि किसानों को खेत की गहरी जुताई करने से मना किया गया है। क्योंकि गहरी जुताई करने के कारण बुवाई के समय बीज जमीन में अधिक गहराई में चले जाते है जिससे बीज में उचित अंकुरण नहीं होता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने बताया कि अगर किसी किसान का खेत खरीफ फसलों की कटाई करने के बाद सूख गया है, तो ऐसे खेतों की जुताई करने से पहले खेत की सिंचाई करना चाहिए उसके बाद ही खेतों की जुताई करने की सलाह दी हैं।

10 नवंबर तक पूरी कर ले गेहूं की अगेती किस्म की बुवाई

इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने किसानों को गेहूं की अगेती किस्म की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच करने की सलाह दी है। गेहूं की अगेती किस्म की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच करने पर सिर्फ एक सिंचाई करने की आवश्यकता होगी। इसी तरह ICAR ने समय से होने वाली गेहूं की बुवाई के लिए 10 नवंबर से 25 नवंबर तक का समय निर्धारित किया है। इनमें 4 से 5 सिंचाई करने की सलाह दी गई है। इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने देर से गेहूं की बुवाई (पछेती किस्म) के गेहूं की बुवाई दिसंबर में करने की सलाह दी है, पछेती किस्म के गेहूं को भी 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होगी। इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने जारी की गई अपनी एडवाइजरी में स्पष्ट किया है कि समय से पहले गेहूं की बुवाई करने से उत्पादन में कमी हो सकती है।

प्रमाणित बीजों का ही करें प्रयोग

इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR) ने जारी की गई एडवाइजरी में किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए रोगमुक्त व प्रमाणित बीजों का प्रयोग करने की सलाह दी है। इंडियन काउंसिल ऑफ एकेडमिक रिसर्च (ICAR)  ने जारी एडवाइजरी में कहा है कि बीजों का चयन करते समय एक ही किस्म के बीजों का प्रयोग करें। दो किस्मों के बीजों को एकसाथ नहीं मिलाएं। वहीं किसानों को प्रमाणित बीज नहीं होने पर बीजों को उपचारित करने की सलाह दी है।बीजों को प्रमाणित करने के लिए थाईरम और कैपटन का प्रयोग किया जा सकता है। बीज उपचार करने की इस प्रक्रिया के बाद बीज को छाया में सूखाना चाहिये और बीज अच्छी तरह से सूखाने के बाद ही खेतों में इसकी बुवाई करनी चाहिए।

गेहूं की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • गेहूं की बुवाई समय से एवं पर्याप्त नमी होने पर करना चाहिए।
  • गेहूं की बुवाई सीडड्रिल मशीन से करने पर उर्वरक एवं बीज दोनों की बचत की जा सकती है।
  • गेहूं की खेती करने के लिए 6 से 7.5 पीएच मान वाली दोमट व बुलुई दोमट भूमि उपयुक्त होती है।
  • गेहूं की खेती के लिए अनुकूल तापमान बुवाई के समय 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है।
  • गेहूं की बुवाई करते समय एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी सामान्य दशा में 18 सेटीमीटर से 20 सेटीमीटर एवं गहराई 5 सेटीमीटर, व देर से बुवाई करने की दशा में 15 से सेटीमीटर से 18 सेटीमीटर तथा गहराई 4 सेटीमीटर रखनी चाहिए।
  • गेहूं की बुवाई करते समय एक खेत में एक ही किस्म का चुनाव करें बीजों की किस्मों को आपस में मिलाकर बुवाई ना करें।
  • यदि आप अपने घर की बीजों की बुवाई कर रहें हे तो बुवाई से पहले बीजों का जमाव प्रतिशत अवश्य देख ले, किसानों के लिए राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा निःशुल्क उपलबध है।
  • अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए धान की कटाई करने के  तुरन्त बाद गेहूं की बुवाई कर देनी चाहिए।
  • बीजों में जल्दी अंकुरण पाने के लिए बीजों को कुछ समय पानी में भिगोकर एवं छाया में सुखाकर बुवाई करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस प्रक्रिया को बीज प्राइमिंग कहते हैं।
     

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