प्रकाशित - 12 Jul 2022
खरीफ फसल की बुवाई का सीजन चल रहा है। ऐसे किसानों को फसलों के लिए खाद व उर्वरकों की आवश्यकता होती है। अक्सर किसान सस्ती खाद के लालच में बिना लाइसेंसधारी दुकान वाले या फिर गांव में घुमकर खाद बेचने वालों से खाद व उर्वरक खरीद लेते हैं और नुकसान उठाते हैं। ऐसे कई मामले समाचार पत्रों में आए दिन प्रकाशित होते रहते हैं। किसानों को ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्वयं खाद व उर्वरक की पहचान करना सीखना चाहिए ताकि वे नुकसान से बच सकें और ठगी के शिकार नहीं हो। बता दें कि पानी में घुली खाद की स्थिति के अनुसार सही और गलत उर्वरक में अंतर किया जा सकता है। असली उर्वरक पानी में आराम से घुल जाता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को असली उर्वरक की पहचान के आसान तरीके बता रहे हैं जिसे अपनाकर किसान ठगी से बच सकते हैं।
डीएपी की पहचान डीएपी असली है या नकली इसकी पहचान के लिए किसानों को हम दो आसान तरीके बता रहे हैं।
पहला तरीका - डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलें, यदि उसमें से तेज गंध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डीएपी असली है।
दूसरा तरीका - यदि हम डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें। यदि ये दाने फूल जाते हैं तो समझ लें यही असली डीएपी है।
असली यूरिया की पहचान का सबसे आसान तरीका यह है कि आप यूरिया के कुछ दाने लेकर तवे पर गर्म करने के लिए रखें और आंच को तेज कर दें। आप देखेंगे कि इसका कोई अवशेष तवे पर दिखाई नहीं देगा। यदि ऐसा हो तो समझ लें कि यह असली यूरिया है।
पोटाश के कुछ दानों पर पानी की कुछ बूंदे डालें यदि ये आपस में नहीं चिपकते हैं तो समझ लें कि ये असली पोटाश है। एक बात और पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।
इसके कुछ दानों को गर्म करें यदि ये नहीं फूलते हैं तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है। ध्यान रखें कि गर्म करने पर डीएपी के दाने फूल जाते हैं जबकि सुपर फास्फेट के नहीं। इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है।
जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है। यदि जिंक सल्फेट में मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की गई है तो आप इसे इस तरीके से जान सकते हैं।डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है। जबकि डीएपी के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नहीं होता है। यदि हम जिंक सल्फेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलायें तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है। यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्णतया घुल जाता है। इसी प्रकार यदि जिंक सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाय तो अवशेष नहीं घुलता है।
असली जिंक सल्फेट की पहचान की मुख्य बातें
इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते हैं।
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