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किसान कर्जा मुक्ति : देश का किसान संपूर्ण कर्ज माफी के लिए एकजुट

Published - 06 May 2020

देश का किसान संपूर्ण कर्ज माफी के लिए एकजुट

ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में देश का किसान सबसे आगे खड़ा है। किसानों की बदौलत ही देश में खाद्यान्न का भरपूर भंडार है जिस कारण केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें आम आदमी को खाद्यान्न मुफ्त या फिर सस्ती दर पर आवंटन कर पा रही हैं, लेकिन सरकार की कर्जमाफी नीतियों से किसानों में आक्रोश पनपता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यूपी, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक समेत कई राज्यों में बनी राज्य बनी सरकारों ने 50 हजार से लेकर 2  लाख रुपए तक कर्ज़माफ करने की बात कही लेकिन लाखों किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। किसान संगठन लगातार एक बार संपूर्ण कर्ज़माफी की मांग कर रहे हैं। देशभर कि किसानों ने ट्विटर के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए 5 मई 2020 को #किसान_कर्जा_मुक्ति ट्रेंड से किसान कर्जा मुक्ति अभियान चलाया, जो कि पहले आधे घंटे में नंबर वन की पोजिशन पर पहुंच गया, तो ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से जानते हैं किसानों के दिल की बात और कैसे होगा उनका समाधान।

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1

 

कॉर्पोरेट सैक्टर का 7.7 करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया, किसानों को क्या मिला?

किसानों की मांग के समर्थन में ट्वीट करते हुए देश के प्रख्यात खाद्य एवं निर्यात नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा के अनुसार- क्रेडिट Suisse स्टडी के अनुसार साल 2014 से लेकर दिसंबर 2019 तक सरकार ने कॉर्पोरेट सेक्टर का करीब 7.7 लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ को माफी किया। जबकि अभी भी 9.10 करोड़ रुपए का कॉर्पोरेट सेक्टर पर कर्ज़ हैं, जो एनपीए में पड़ा है, जबकि ये पैसा 16.88 लाख करोड़ रुपए अगर कृषि में निवेश कर दिए जाएं तो कृषि का रूप बदल सकता है। अखिल भारतीय किसान सभा ने लिखा कि भारत मे किसान कर्ज़ में जन्म लेता है, और कर्ज़ में मर जाता है, किसानों के साथ लगातार ये परंपरा चल रही है क्योंकि हमारे यहां की सरकारों की पॉलिसी किसान विरोधी होती हैं।

 

 

यह भी पढ़ें : बाजार हस्तक्षेप योजना : फल-सब्जियों की बिक्री में नहीं होगा नुकसान, मिलेंगे अच्छे दाम

 

उद्योगपतियों का कर्जा माफ तो किसानों की कर्जा माफी पर चुप्पी क्यों?

देश के 250 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह के देशभर के किसानों और किसान संगठनों ने मिलकर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर अपनी ताकत दिखाई है। किसान देश का पेट भरने के लिए अन्न पैदा कर रहा है, लॉकडाउन के साथ ही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से भी देश का किसान लड़ रहा है। आज युवा किसानों ने प्रधानमंत्री तक यह संदेश पहुंचा दिया है, कि अब वह चुप नहीं बैठेगा। केंद्र सरकार जब देश के उद्योगपतियों का कर्जा माफ कर रही है, तो किसानों की कर्जा माफी पर सरकार चुप क्यों है? उन्होंने कहा कि हम किसानों की कर्जा मुक्ति की मांग केंद्र सरकार से लंबे समय से कर रहे हैं, तथा कोरोना वायरस की वजह से इस मुद्दे को इस समय हम उठाना भी नहीं चाहते थे, लेकिन किसान कोरोना वायरस से लडक़र देश के लिए अन्न पैदा कर रहा है, जबकि इस समय देश के उद्योगपति अपने घरों में बैठे हुए हैं। इसके बावजूद भी केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों का 66 हजार 607 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है। जब केंद्र सरकार उद्योगपतियों का ऋण माफ कर सकती है, तो किसानों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है?

कर्जमाफी के अलावा ये भी हैं किसानों की प्रमुख मांगे

  • देश में लागत के आधार पर फसल के दाम तय होने चाहिए। 
  • मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर खरीद करने वाले पर जुर्माना और दंड का प्रावधान होना चाहिए। 
  • देश का किसान जब डीजल, खाद एवं बीज तथा कीटनाशकों की खरीद सरकार द्वारा तय भाव पर करता है, तो उसे अपनी फसल बेचने का अधिकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मिलना चाहिए।

 

 

लॉकडाउन में किसानों को कई तरह का नुकसान 

कोरोना वायरस लॉकडाउन के इस मुश्किल समय में भी किसान खेत में जुटा हुआ है, ताकि कोई भूखा न रह जाए। लॉकडाउन के कारण किसानों की सब्जियां नहीं बिक पा रही है। कंपनियां दूध नहीं खरीद रही है। गांवों में दूध का मूल्य बहुत कम रह गया है। फलों की बिक्री नहीं हो रही है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मार्च और अप्रैल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से भी किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
(स्त्रोत Ñ विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स)

 

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