प्रकाशित - 10 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
भारत में प्राचीन काल से ही खेती-किसानी करने के साथ ही किसान पशुपालन भी करते आ रहे हैं। आज भी किसान खेती करने के साथ पशुपालन करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। ऐसे में देश के पशुपालक किसान के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि गाय-भैंस के दूध का उत्पादन कैसे बढ़ाएं। कई बार पशुपालक किसान ज्यादा दूध उत्पादन लेने के चक्कर में अपने दुधारू पशु गाय, भैंस को इंजेक्शन लगवा देते हैं जिससे उनका पशु अधिक दूध देना शुरू कर देता है। लेकिन इंजेक्शन का उपयोग करने से न केवल पशु के लिए स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि ऐसे दूध का सेवन करने वाले दूसरों लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि प्राकृतिक और घरेलू औषधीय तरीके से गाय, भैंस जैसे दुधारू पशु का दूध उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है ताकि पशु बिना किसी समस्या के स्वयं ही अधिक दूध देना शुरू कर दे। किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ गाय, भैंस का दूध बढ़ाने के आसान उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
जिस प्रकार आजकल बच्चों की सेहत को ध्यान में रखकर बाजार में कई प्रकार के न्यूट्रिशियन पाउडर उपलब्ध हैं, उसी प्रकार दूधारू पशुओं के लिए भी विभिन्न कंपनियां पाउडर बनाती है जिसका इस्तेमाल करने से पशु ज्यादा दूध उत्पादन देते हैं। इसके अलावा किसान विभिन्न प्रकार के देशी तरीकों का इस्तेमाल करके भी पशुओं के लिए चूर्ण (पाउडर) बनाते हैं जिसे पशुओं को खिलाने पर पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
कई पशुपालक किसान अपने गाय और भैंसों से अधिक दूध का उत्पादन प्राप्त करने के लिए इंजेक्शन का उपयोग करते हैं, यह पशुओं के दूध बढ़ाने में कारगर तो साबित होता है लेकिन कई बार इसका विपरीत प्रभाव भी सामने आता है। पशुपालक किसान ज्यादा से ज्यादा दूध निकालने के चक्कर में गाय और भैंसों में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगा देते हैं। इस दूध का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। भारत में ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन पर रोक होने के बावजूद इसका इस्तेमाल गाय और भैंस में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। ऐसे में सरकार द्वार इसके इस्तेमाल करने वाले और बेचने वाले दोनों के लिए जुर्माना और सजा का भी प्रावधान किया है। ऐसा माना जाता है कि गाय-भैंस करीब 25 फीसदी दूध अपने बच्चों के लिए बचा लेती है। इसीलिए पशुपालक इस इंजेक्शन का उपयोग करके उस दूध को भी निकाल लेते हैं जो कि काफी खतरनाक है।
गाय, भैंस का दूध बढ़ाने के लिए पशुपालक किसान को हमेशा नुकसान रहित उपाय करने चाहिए जिससे पशुओं के स्वास्थ्य को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचे और साथ ही दूध भी अधिक मात्रा में प्राप्त हो। ऐसे प्राकृतिक उपायों को अपनाकर आप अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण दूध प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि हम गाय या भैंस को दिए जाने वाले आहार पर भी ध्यान दें। इसके अलावा इन पशुओं के रखरखाव और देखभाल पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
पशुपालन विभाग के अनुसार लोबिया खिलाने से गाय की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। लोबिया घास में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं जो दूध की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं। लोबिया घास खिलाने से गाय की सेहत पर कोई खराब प्रभाव नहीं पड़ता और दूध की मात्रा भी आसानी से बढ़ जाती है। लोबिया घास में बहुत सी खास विशेषताएं पाई जाती है जिसके कारण गाय, भैंसों को इसे खिलाना फायदेमंद होता है। लोबिया घास में अन्य घास के मुकाबले पाचक शक्ति अधिक होती है। इसमें प्रोटीन और फाइबर की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है जो दूधारू पशु के लिए काफी जरूरी होती है। ऐसे में यदि पशुपालक गाय व भैंस को लोबिया घास नियमित रुप से खिलाएं तो वे प्राकृतिक रूप से दूध की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
पशुपालक किसान गाय व भैंस की दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए घर पर ही इसकी औषधी बना सकते हैं। इसके लिए कुछ चीजों की आवश्यकता होती है जो आसानी से बाजार में आपको मिल जाएगी। औषधी बनाने की विधि इस प्रकार से है-
औषधी को बनाने के लिए आपको 250 ग्राम गेहूं का दलिया, 100 ग्राम गुड़ शर्बत, 50 ग्राम मैथी, 1 कच्चा नारियल, 25 ग्राम जीरा व 25 ग्राम अजवाईन की आवश्यकता होती है।
सबसे पहले दलिया, मैथी और गुड़ को अच्छे से पका लें। इसके बाद उसमें नारियल को बारीक पीसकर डाल दें। जब ये मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसे पशुओं को खिलाएं।
पशुपालक किसान सरसों के तेल और आटे से भी घरेलू दवा बनाकर गाय को खिलाने से भी गाय, भैंस के दूध की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। इस दवा बनाने का तरीका इस प्रकार से है-
सबसे पहले 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल, 250 ग्राम गेहूं का आटा लें। अब दोनों को आपस में अच्छे से मिलाकर शाम के समय पशु को चारा व पानी खिलाने के बाद दें। ध्यान रहे ये दवा खिलाने के बाद पशु को पानी नहीं पिलाना है व इस दवाई को पानी के साथ नहीं देनी है। अन्यथा पशुओं में खांसी की समस्या हो सकती है। यह दवा पशुओं को 7-8 दिनों तक ही खिलानी चाहिए। इसके बाद इस दवा को बंद कर देना चाहिए। वहीं पशु को हरा चारा व बिनौला आदि की जो खुराक आप पहले से दे रहे हैं उसे देते रहना चाहिए। इस खुराक को बंद नहीं करना चाहिए।
ऊपर बताये गए घरेलू उपाय के अलावा पशुपालक किसान को दुधारू पशु गाय, भैंस के उचित रखरखाव और देखभाल पर भी ध्यान अवश्य देना चाहिए। इससे भी पशुओं के दूध का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों महिंद्रा ट्रैक्टर, जॉन डियर ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।