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मछली पालन: मिश्रित मछली पालन से होगी तीन गुना अधिक कमाई, जानें, पूरी जानकारी

Published - 25 May 2022

जानें, क्या है मिश्रित मछली पालन और इससे होने वाले लाभ

किसान खेती के साथ मछली पालन करके अपनी आमदनी दुगुनी कर सकते हैं। मछलीपालन आज काफी अच्छा बिजनेस बन गया है। इस बिजनेस में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करके मछलीपालक अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। आज कई युवा मछली पालन बिजनेस से जुडक़र लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। मछलियों का बेहतर उत्पादन पर ही आमदनी या मुनाफा निर्भर करता है। इसलिए मछली पालन का उत्पादन बढऩे के लिए विभिन्न प्रकार की विधियां या तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। उन्हीं तकनीकों में से एक तकनीक मिश्रित मछली पालन है। इस तकनीक के जरिये मछली पालक किसान पांच गुना अधिक मछली का उत्पादन कर सकते हैं जिससे उनकी आय में तीन गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से मिश्रित मछली पालन तकनीक की जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इससे बेहतर लाभ प्राप्त कर सकें। 

क्या है मिश्रित मछली पालन की तकनीक

मिश्रित मछली पालन, मछली पालन की वह तकनीक है जिसमें अलग-अलग प्रकार की मछलियों का पालन किया जाता है। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि चयन की गई मछलियां तालाब में उपलब्ध सभी भोज्य पदार्थों एवं पूर्ण जलक्षेत्र का अधिकतम प्रयोग कर सकें। इसके लिए मछलियों के चयन में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। मिश्रित मछली पालन में कार्प मछली और कैट फिश को एक साथ पाला जाता है। कार्प मछली के अंतर्गत रोहू, कतला, मृगल और बिग हैड मछलियां आती हैं। वहीं केट फिश के प्रजाति के तहत पंगास मछली का पालन किया जाता है। संक्षेप में कहे तो ये बिलकुल मिश्रित खेती जैसा ही है जहां एक खेत में कई प्रकार की फसलों को एक साथ उगाया जाता है। उत्पादन में बढ़ोतरी और आय बढ़ाने की दृष्टि से मिश्रित मछली पालन और मिश्रित खेती दोनों की अहम भूमिका है। 

मिश्रित मछली पालन के लिए तालाब की तैयारी

मिश्रित मछली पालन शुरू करने से पहले तालाब की तैयारी पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे मछलियों के संचयन में कोई रूकावट नहीं आए। इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • जिस तालाब में आप मिश्रित मछली पालन शुरू करना चाहते हैं उसके सभी बांध मजबूत और पानी का प्रवेश एवं निकास का रास्ता सुरक्षित होना चाहिए ताकि बारिश के मौसम में तालाब को नुकसान नहीं पहुंचे। वहीं तालाब में पानी के आने-जाने का रास्ता इस प्रकार से हो कि बाहरी मछलियों का प्रवेश तालाब में नहीं हो पाए और न ही तालाब की संचित मछलियां बाहर जा सके।
  • तालाब में उगे जलीय पौधों में मछलियों के शत्रुओं को आश्रय मिलता ही है साथ ही ये तालाब की उर्वरकता को सोख लेते हैं तथा जल के संचयन में बाधा डालते हैं। इसके लिए तालाब की अच्छे से सफाई करवा लेनी चाहिए। 
  • शाकाहारी मछलियों के साथ मांसाहारी मछलियों को नहीं पालना चाहिए। यदि तालाब में बोआरी, टेंगरा, गरई सौरा, कवई बुल्ला, पबदा, मांगुर आदि मांसाहारी (परभक्षी) मछलियां हैं तो उन्हें तालाब से बाहर निकाल देना चाहिए। इसके लिए तालाब में जाल बिछाकर या तालाब का पूरा पानी निकलकर मछलियों को चुनकर बाहर किया जा सकता है। 
  • तालाब के पानी को थोडा क्षारीय होना मछली की वृद्धि एवं स्वास्थ्य हेतु अच्छा होता है। सामान्यत: 100 किलोग्राम भाखरा चूना का प्रति एकड़ जलक्षेत्र में छिडक़ाव मत्स्य बीज संचयन के करीब 10 से 15 दिन पहले कर दिया जाना चाहिए। 50 चूना का प्रयोग सर्दी शुरू होने एवं 50 कि.ग्रा. चूना का प्रयोग गर्मी के मौसम प्रारंभ होने पर करना अच्छा रहता है। अधिक अम्लीय जल वाले तालाबों में और भी अधिक भखरा चूना की आवश्यकता होती है। 
  • जिस तालाब में मछली पालन किया जा रहा है उस तालाब के पानी का पीएच मान 7.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए। यदि पानी का पीएच इससे कम है तो पानी में चूने की मात्रा बढ़ाते जाना चाहिए जब तक पीएच मान 7.5 से 8.0 के बीच न हो जाए। पानी की क्षारीयता की जांच बाजार में उपलब्ध पी.एच. पत्र या यूनिवर्सल इंडिकेटर सौल्यूशन द्वारा आसानी से की जा सकती है।

मिश्रित मत्स्य पालन के लिए उत्तम प्रजातियां

भारतीय मछलियों में कतला, रोहू तथा मृगल और विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प को एक साथ संचयन किया जाना अधिक लाभकारी है। 

मत्स्य बीज में संचयन में इन बातों का रखें ध्यान

  • संचयन हेतु उन मछलियों की किस्मों का चयन किया जाना चाहिए जिनकी भोजन की आदत एक-दूसरे से अलग हो, जो तालाब के प्रत्येक हिस्से पर पाए जाने वाले भोज्य पदार्थ का प्रयोग कर सके तथा कम समय में तेजी से बढ़ती हो।
  • साधारणत: सम्मिलित रूप से 2000 से 2500 की संख्या में 3" से 4" आकार के मत्स्य बीज अंगुलिका/ इयर लिंग या 5000 से  6000 की संख्या में 1 " से 2" आकार के मत्स्य बीज प्रति एकड़ जलक्षेत्र के दर से संचयन किया जाना चाहिए। निम्नलिखित तीन अनुपात में से किसी एक अनुपात में मत्स्य बीज का तालाब में संचयन किया जाना चाहिए।
  • मिश्रित मछली पालन कार्यक्रम के तहत तीन भारतीय किस्म की मछलियां क्रमश: कामन कार्प, ग्रास कार्प तथा सिल्वर कार्प मछली बीज को हरियाणा राज्य में निश्चित अनुपात में 20 हजार प्रति हैक्टेयर की दर से तालाब में डाला जाता है। 

किस अनुपात में करें मछलियों के बीजों का संचयन

यदि आप छह प्रकार की मछलियों के बीज निर्धारित अनुपात में डाले तो इससे 6 से 9 हजार किलोग्राम प्रति हैक्टेयर प्रति वर्ष उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इन छह प्रकार की मछलियों का निर्धारित अनुपात इस प्रकार रखा जाता है-

  • कतला मछली 10 प्रतिशत अनुपात में बीज संख्या 2 हजार, राहू 25 प्रतिशत अनुपात में बीज संख्या 5 हजार, मिर्गल 10 प्रतिशत बीज संख्या 2 हजार, कामन कार्प 20 प्रतिशत बीज संख्या 4 हजार, ग्रास कार्प 10 प्रतिशत बीज संख्या 2 हजार, सिल्वर कार्प 25 प्रतिशत बीज संख्या 5 हजार प्रति हैक्टैयर के हिसाब से रखनी चाहिए। इस तरह कुल बीज संख्या 20 हजार प्रति हैक्टेयर रखनी चाहिए।
  • कई बार ऐसा होता है कि ग्रास कार्प और सिल्वर कार्प का बीज उपलब्ध नहीं हो पाता है तो ऐसी दशा में यदि आप शेष चार प्रजाति कतला, राहू, मिर्गल और कामन कार्प का संचयन कर सकते हैं इसके लिए कतला का 40 प्रतिशत अनुपात यानि 8 हजार बीज, राहू 30 प्रतिशत 6 हजार बीज, मिर्गल 15 प्रतिशत 3 हजार बीज, कामन कार्प 15 प्रतिशत, बीज संख्या 3 हजार अनुपात प्रतिशत में रखें जाने चाहिए यानि कुल मछली बीज 20 हजार होना चाहिए।

मिश्रित मछली पालन से होने वाले लाभ

  • इस विधि में उपलब्ध जल के संपूर्ण क्षेत्र का भरपूर उपयोग होता है।
  • तालाब के विभिन्न तलों में उपलब्ध प्राकृतिक भोज्य पदार्थों का अधिकतम इस्तेमाल मछलियों द्वारा किया जाता है।
  • विभिन्न नितलों में रहन के कारण कृत्रिम आहार का हर नितल पर भरपूर सेवन होता है, जिससे आहार की व्यर्थता न्यूनतम होती है।
  • ग्रास कार्प जैसी मछलियों का मल तालाब उर्वरीकरण के लिए उत्तम खाद के रूप में काम आता है। 

मछलियों के लिए आहार बनाने की विधि

मछलियों के लिए आहार बनाने के लिए मुख्य रूप से चावल की भूसी तथा सरसों की खल का प्रयोग किया जाता है। इसमें कुछ मात्रा में मछली का चूरा मिला दिया जाए तो इसके पौष्टिक तत्व बढ़ जाते हैं। ऐसे आहार को मछलियां बड़े चाव से खाती हैं। ग्रास कार्प मछली को छोडक़र शेष पांच प्रकार की मछलियों के लिए इस कृत्रिम आहार का प्रयोग किया जा सकता है। ग्रास कार्प को इससे अलग आहार की आवश्यकता होती है। इसके लिए आहार अतिरिक्त आहार के रूप में हाइड्रिला और वेलिसनेरिया आदि पानी के पौधे तथा दूसरा चारा जैसे बरसीन आदि का प्रयोग किया जाता है। 

मछलियों को आहार देने की विधि

मछलियों के कृत्रिम रूप से बनाई गई खुराक को नियमित रूप से एक निश्चित समय पर सुबह तालाब में उपलब्ध कुल मछलियों के वजन का कम से कम एक प्रतिशत और अधिक से अधिक 5 प्रतिशत की दर से दी जाती है। उदाहरण के लिए मान लें आपके तालाब में कुल एक क्विंटल मछलियां हैं तो प्रतिदिन तालाब में निश्चित किए गए समय के अनुसार कम से कम एक किलो तथा अधिक से अधिक 5 किलो उपरोक्त खुराक इस्तेमाल की जा सकती है। सामान्यत: मछलियोंं की खुराक को दो किलोग्राम प्रतिदिन के हिसाब से शुरुआत करते हुए प्रतिदिन इसकी मात्रा 2 किलोग्राम बढ़ाते रहना चाहिए।

कैसे जानें, तालाब में कुल मछलियों का भोजन

तालाब में कुल मछलियों का भोजन जानने के लिए हर 15-15 दिन के अंतराल में लगवाते रहें और तालाब में मछलियों की कुल संख्या व वजन ज्ञात करते हुए औसत वजन निकाल लें। 

मिश्रित मछली पालन में उत्पादन और कमाई

मिश्रित मछली पालन विधि में किसान एक तालाब में साल में दो बार उत्पादन ले सकता है। एक एकड़ में मछली पालन करके किसान 16 से 20 टन तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। अब बात करें इसकी कमाई की तो मछली पालन से एक एकड़ के तालाब में मछली पालन करके एक साल में पांच से आठ लाख रुपए की कमाई की जा सकती है।


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