Published - 21 Sep 2020
राजस्थान सरकार ने पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक अहम फैसला किया है। इसके तहत अब प्रदेश में नई परियोजनाओं से जिन इलाकों नहर से पानी दिया जाएगा वहां पर खुली सिंचाई पर पाबंदी रहेगी। नई सिंचाई परियोजनाओं के तहत अब बनने वाले नहरी सिंचाई क्षेत्र में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और स्प्रिंकलर से ही सिंचाई करना अनिवार्य होगा। सीएम अशोक गहलोत ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में नए कमांड क्षेत्रों में केवल ड्रिप और स्प्रिंकलर से ही सिंचाई करने की अनिवार्यता लागू करने के निर्देश दिए है। खुली सिंचाई पर रोक लगाने के पीछे सरकार मकसद पानी की बर्बादी को रोकना है। खुली सिंचाई करने पर पानी काफी लगता है और नहरों से वितरिकाओं तक आने में बीच काफी पानी व्यर्थ ही बह जाता है जिससे पानी की बर्बादी होती है।
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राजस्थान सरकार के निर्देश के बाद नई परियोजना के तहत अब प्रदेश में केवल ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति से ही सिंचाई करना अनिवार्य होगा। राजस्थान सरकार यहां पूर्णतय सांचौर मंडल को लागू कर रही है। बता दें कि जालौर जिले में सांचौर के नर्मदा सिंचाई प्रोजेक्ट के कमांड क्षेत्र में केवल ड्रिप और स्प्रिंकलर से ही सिंचाई का प्रावधान है। सांचौर नहर में परंपरागत नहरी सिस्टम की तरह फ्लड इरिगेशन नहीं है। राजस्थान की यह पहली सिंचाई परियोजना है जिसमें फ्लड इरिगेशन बंद किया गया था। अब सांचौर मॉडल को हर नई सिंचाई परियोजना में लागू किया जाएगा।
परंपरागत नहरी सिंचाई से पानी की बर्बादी ज्यादा होती है। इस प्रक्रिया में नहर से पानी वितरिकाओं से होता हुआ किसान के खेत में जाता है। इसमें काफी पानी की बर्बादी होती है जबकि नए जबकि नए सिस्टम में नहर की वितरिका से पाइप से पानी दिया जाएगा। इसमें पानी की बचत होगी।
इस विधि से पानी वर्षा की बूदों की तरह फसलों पर पड़ता है, जिससे खेत में जलभराव नहीं होता है। जिस जगह में खेत ऊंचे - नीचे होते हैं वहां पर सिंचाई कर सकते हैं। इस विधि से सिंचाई करने पर मिट्टी में नमी बनी रहती है और सभी पौधों को एक समान पानी मिलता रहता है। इसमें भी सिंचाई के साथ ही उर्वरक, कीटनाशक आदि को छिडक़ाव हो जाता है।
पानी की बचत के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई पद्यतियों का इस्तेमाल किया जाता है। सरकार भी इस पद्धति को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान भी दिया जाता है। अलग-अलग राज्य में वहां के नियमानुसार इस पर अनुदान की व्यवस्था अलग-अलग हो सकती है। साधारणत: ड्रिप व फव्वारा सिंचाई के लिए लघु एवं सीमांत किसान को 90 फीसदी अनुदान सरकार की तरफ से दिया जाता है। इसमें 50 प्रतिशत केंद्रांश व 40 फीसदी राज्यांश शामिल है। दस फीसदी धनराशि किसानों को लगानी होती है। सामान्य किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान मिलता है।
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