शीतकालीन गन्ने की बुवाई करते समय करें यह काम, नहीं लगेगा लाल सड़न रोग

Share Product प्रकाशित - 08 Nov 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

शीतकालीन गन्ने की बुवाई करते समय करें यह काम, नहीं लगेगा लाल सड़न रोग

जानें, गन्ने की बुवाई के समय ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बातें

देश के कई राज्यों में गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) की जाती है। इस समय शीतकालीन गन्ने की बुवाई का सीजन चल रहा है। इसके तहत किसान गन्ने की बुवाई काम कर रहे हैं। गन्ने की फसल से बेहतर लाभ प्राप्त करने के लिए गन्ने के लिए घातक लाल सड़न यानी रेड रॉट रोग से फसल को सुरक्षित करना जरूरी है, क्योंकि यह रोग इतना घातक है कि इससे गन्ने की पूरी की पूरी फसल नष्ट हो सकती है। यह रोग एक बार लग जाए तो फसल को बर्बाद करके ही छोड़ता है। इस रोग से फसल को सुरक्षित रखने के लिए किसान को बुवाई के समय ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए किसान को इस रोग की जानकारी व उसकी रोकथाम के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इस रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके तहत गन्ने की बुवाई के समय बरतने वाली सावधानियों के बारे में किसानों को अवगत कराया जा रहा है।

कितना खरतनाक है गन्ने का लाल सड़न रोग-

वैज्ञानिकों की मानें तो जैविक उत्पाद अंकुश की सहायता से गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग से बचाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा के अनुसार गन्ने की फसल में लगने वाले लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए यदि बुवाई के समय कुछ सावधानियां रखी जाए तो इस रोग से गन्ने की फसल को बचाया जा सकता है। गन्ने का लाल सड़न रोग काफी खतरनाक रोग माना जाता है यदि बुवाई के बाद फसल में लाल सड़न रोग आ जाता है तो इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती है। ऐसे में फसल का खराब होना निश्चित हो जाता है। यह भूमि व बीज जनित रोग है। ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए बुवाई से पहले मृदा शोध के साथ ही बीज चयन का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

लाल सड़न रोग से गन्ने की फसल बनाएगा अंकुश-

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने अंकुश नाम का जैविक कल्चर तैयार किया है। यह गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोग को रोकने में काफी हद तक प्रभावी है। अंकुश कल्चर में ट्राइकोडर्मा को फफूंद डालकर तैयार किया गया है। यह गन्ने के लाल सड़न रोग के अलावा अन्य फसलों में भी मिट्‌टी जनित रोगों की रोकथाम के लिए उपयोगी है। इस समय किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई कर रहे हैं। खेत तैयार करते समय खेत की अंतिम जुताई के समय अंकुश का इस्तेमाल किया जा सकता है। किसान इसको 10 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तक इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि किसान चाहें तेा वे 15 से 20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर भी इसे प्रयोग कर सकते हैं।

ज्यादा मात्र में उपयोग करने पर नहीं होगा नुकसान-

अंकुश की खास बात यह है कि इसे ज्यादा मात्रा में उपयोग करने पर किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। किसान गोबर की सड़ी हुई खाद या फिर मिट्‌टी में अंकुश को मिलाकर पूरे खेत में बिखेर सकते हैं और खेत की जुताई करके गन्ने की फसल की बुवाई के लिए खेत को तैयार कर सकते हैं। इससे गन्ने की फसल में काफी लाभ देखने को मिलता है। यह गन्ने के लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए काफी प्रभावकारी बताया जा रहा है।

कितनी है अंकुश की कीमत-

किसान किसी भी कार्य दिवस में गन्ना शोध संस्थान जाकर अकुंश की खरीद कर सकते हैं। एक किलोग्राम अंकुश की कीमत 56 रुपए निर्धारित की गई है। डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा अनुसार किसान को गन्ने के बीज का चयन करने में भी सावधानी बरतनी चाहिए। किसान को चाहिए कि ऐसे खेत से बीज का चयन करें जहां लाल सड़न रोग न लगा हो और जिस गन्ने का उपयोग बीज के लिए करना है। उसका ऊपरी एक तिहाई हिस्सा काट लें और इसके सिंगल बड बनाकर खेत में लगा दें।

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