प्रकाशित - 06 Oct 2024
किसान खरीफ सीजन (Kharif Season) में कई प्रकार की फसलों की खेती करते हैं, उनमें सब्जियों की खेती भी शामिल है। सब्जियों की खेती की खास बात यह है कि सब्जी की फसल कम समय में तैयार हो जाती है जिस बेचकर किसान साल भर कमाई कर सकता है। जहां लंबी अवधि की फसल धान (Rice), मक्का (Maize), बाजरा (Millet) आदि को तैयार होने में काफी समय लगता है। इस बीच समय में सब्जियों की खेती करके किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। वहीं जिन किसानों ने सब्जियों की खेती (Vegetable Farming) की है, वे उनके बेहतर उत्पादन के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की सलाह पर ध्यान दे सकते हैं। यह कृषि सलाह पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में होने वाली सब्जी और खाद्यान्न फसलों के संबंध मे जारी की गई है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से मूली (Radish),गाजर (Carrot), पालक (Spinach), फूलगोभी (Cauliflower) और शलजम (Turnip), सहित अन्य सब्जी फसलों के साथ ही मक्का (Maize), मूंग (Moong), अरहर (Pigeon pea) सहित कई फसलों की उपज बचाने के लिए किसानो को सतर्क किया गया है। कृषि सलाह में फसलों में इस समय कीट व रोगों के प्रकोप से बचने का सुझाव किसानों को दिया गया है। किसानों से कहा गया है कि वह बाढ़ के पानी से फसलों को बचाने का प्रबंध करने के साथ ही सड़न रोग सहित कई तरह के कीटों से बचाव के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र जाकर अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार दवाओं और कीटनाशकों का प्रयोग करने का तरीका समझ लें।
पंजाब के मध्य इलाकों में सर्दियों के लिए गाजर, मूली, पालक और शलजम जैसी सब्जियों की बुवाई काम कर सकते हैं। यहां के किसान फूलगोभी की रोपाई भी कर सकते हैं। फूलगोभी की बंपर उपज के लिए बुवाई का यह सही समय है। दिल्ली के आसपास के इलाकों में जल्दी तैयार होने वाली अगेती किस्म की सरसों (Mustard) और मटर (Peas) की बुवाई के लिए खेत तैयार कर सकते हैं। इसमें गाजियाबाद और गौतमबुदध नगर सहित नजदीकी जिलों में रबी सीजन के लिए सरसों की बुवाई कर सकते हैं।
पश्चिमी यूपी के किसान इस समय मेथी (Fenugreek) धनिया (Coriander) सहित दूसरी सब्जी फसलों की बुवाई कर सकते हैं। यहां मैदानी इलाकों में मेथी और धनिया की बुवाई के लिए यह सही समय है, क्योंकि बारिश का दौर थम गया है। इसके अलावा किसान मूली फसल की बुवाई भी कर सकते हैं। इसके अलावा किान सब्जियों और दलहनी फसलों (Legume Crops) में पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था करें और सब्जी फसलों में कीट और रोग की रोकथाम का प्रबंध करें।
इस मौसम में बिहार के किसान उत्तर पूर्वी जलोढ़ इलाकों में जल्दी तैयार होने वाली उन्नत किस्म की सफेद सरसों (White Mustard) की बुवाई का काम कर सकते हैं। किसान सफेद सरसों की बुवाई का काम बारिश की वर्तमान अवधि खत्म होने के बाद कर सकते हैं। जबकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसलों को बचाने के लिए जल निकासी की व्यवस्था शीघ्र करनी चाहिए, नहीं तो पौधे में सड़न रोग सहित कई तरह की बीमारियां लग सकती हैं। इसके अलावा उत्तर पश्चिमी जलोढ़ मैदानी क्षेत्र में किसान बैंगन (Brinjal), टमाटर (Tomatoes) और मिर्च (Chili) की रोपाई काम कर सकते हैं।
इस समय झारखंड के किसान दलहन (pulses) और मोटे अनाज (coarse grains) फसलों को अधिक पानी से बचाया जाना चाहिए क्योंकि यह इन फसलों को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। राज्य के पश्चिमी पठारी इलाकों में किसानो को मूंग, उड़द, अरहर, मक्का और धान के खतों से बारिश का फालतू पानी बाहर निकालने के लिए जल निकासी की व्यवस्था व्यवस्था करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होने पर पौधों की पत्तियों में सड़न रोग हो सकता है। इसके अलावा कीट और रोगों से बचाव के लिए उचित कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी करने की सलाह दी जाती है।
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