चने की बुवाई से पहले करें यह खास काम, नहीं लगेंगे कीट-रोग

Share Product प्रकाशित - 25 Oct 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

चने की बुवाई से पहले करें यह खास काम, नहीं लगेंगे कीट-रोग

जानें, चने की बुवाई का सही तरीका और रोगों से बचाव के उपाय

खरीफ की फसलों (Kharif crops) के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई में जुट गए हैं। रबी फसलों (Rabi crops) में किसान अधिकांश रूप से गेहूं, चना व सरसों (Wheat, Gram and Mustard) की बुवाई करते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि इसके बाजार में अच्छे भाव मिल जाते हैं और कीमतों में कोई खास उतार-चढ़ाव नहीं होता है। जो किसान इस बार चने की खेती (gram cultivation) करना चाहते हैं ओर इसकी चने करने जा रहे हैं। उन्हें चने की बुवाई (Sowing of Gram) करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और कुछ खास काम चने की बुवाई के दौरान करने चाहिए ताकि चने का बेहतर उत्पादन मिल सके। देखने में आया है कि अन्य रबी की फसलों की भांति चने में भी कई प्रकार के कीट व रोगों का प्रकोप होता है। ऐसे में बुवाई के समय यदि कुछ खास काम कर लिए जाए तो चने की फसल को कीट व रोगों के प्रकोप से काफी हद तक बचाया जा सकता है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको चने की खेती (Gram Cultivation) के अंतर्गत चने की बुवाई के दौरान किए जाने वाले कुछ खास कामों की जानकारी दे रहे हैं ताकि आप चने का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकें, तो आइए जानते हैं, क्या है चने की बुवाई से पहले किए जाने वाले कुछ खास काम।

क्या है चने की बुवाई का उचित समय (What is the appropriate time for sowing gram)

चने की बुवाई का उचित समय 10 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच का माना जाता है। लेकिन कई किसान इसकी पछेती बुवाई भी करते हैं। लेकिन पछेती बुवाई में अधिक खाद व उर्वरक डालने पड़ते हैं जिससे लागत अधिक बैठती है। वहीं मौसम अनुकूल होने के बावजूद भी पछेती बुवाई से उत्पादन कम ही प्राप्त होता है। अनुमान के मुताबिक पछेती चने के उत्पादन में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आ जाती है। इसलिए किसानों चाहिए कि चने की सही समय पर बुवाई करें ताकि कम लागत में बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

चने की बुवाई के लिए मिट्‌टी कैसी होनी चाहिए मिट्‌टी (What should be the soil for sowing gram)

चने के लिए लवण व क्षार रहित, अच्छे जल निकास वाली भूमि उपयुक्त रहती है। चने के पौधे के बेहतर विकास के लिए मिट्‌टी का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।

बुवाई से पहले कैसे जानें बीज का अंकुरण प्रतिशत (How to know the germination percentage of seeds before sowing)

किसान भाई बीजों से पहले बीज के अंकुरण का प्रतिशत अवश्य जान लें ताकि सही बीज की बुवाई करना संभव हो सके। इसके लिए 100 बीजों को पानी में आठ घंटे तक भिगो दें। इसके बाद बीजों को पानी से निकालकर गीले तौलिये या बोरे में ढक कर साधारण कमरे के वाले तापमान पर रख दें। 4 से 5 दिन बाद अंकुरित बीजों की संख्या गिन लें। यदि अंकुरित बीजों की संख्या 90 से अधिक है तेा बीजों का अंकुरण प्रतिशत ठीक है। यदि इससे कम है तो बुवाई के लिए उच्च क्वालिटी के बीज का ही उपयोग करें, या फिर बीज की मात्रा को बढ़ा दें।

बुवाई से पहले कैसे करें बीजों को उपचारित (How to treat seeds before sowing)

चने के बीजों की बुवाई से पहले किसान बीज को उपचारित जरूर करें। बीजों को उपचारित करने के लिए किसान बीजों को राइजोबिया कल्चर व पीएसबी कल्चर से उचारित करना चाहिए और इसके बाद ही बीजों की बुवाई करनी चाहिए। बीज उपचारित करने के लिए आवश्यकतानुसार पानी गर्म कर लें। अब इसमें गुड घोले। अब इस गुड़ वाले पानी के घोल को ठंडा होने के बाद इसमें अच्छी तरह से कल्चर को मिला दें। इसके बाद कल्चर मिले घोल से बीजों को उपचारित करें। इसके बाद बीजों को छाया में सुखने के लिए रखें और इसके बाद जल्दी ही बीजों की बुवाई कर दें। बीज उपचार करने में सबसे पहले बीजों को कवकनाशी से उपचारित करें, इसके बाद कीटनाशी से और सबसे अंत में राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचारित करना चाहिए।

जड़ गलन व उकठा रोग से बचाव के लिए क्या करें (What to do to prevent root rot and root rot)

चने में जड गलन व उकठा रोग का जैसे हानिकारक रोगों का प्रकोप होता है। इस रोग से बचाव के लिए ट्राईकोडर्मा से भूमि का उपचार करना चहिए। बुवाई से पहले 10 किलोग्राम टाईकोडर्मा को 200 किलोग्राम आर्द्रता युक्त गोबर की खाद मिलाकर 10-15 दिन छाया में रखना चाहिए। अब इस मिश्रण को बुवाई के समय प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा करते समय मिट्‌टी में मिला देना चाहिए। इसी के साथ ही रोग प्रति रोधी किस्मों का उपयोग करना चाहिए। वहीं बीजों को उपचारित करने के लिए बीजों को एक ग्राम कार्बेंडाजिम एवं थीरम 2.5 ग्राम या ट्राईकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उचारित कर लेन चाहिए और इसके बाद ही बुवाई करनी चाहिए।

दीमक व अन्य कीट से फसल को बचाने के लिए क्या करें (What to do to protect the crop from termites and other insects)

चने की फसल में दीमक, कटवर्म एवं वायर वर्म की रोकथाम के लिए किसान भाई क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से आखिरी जुताई से पहले छिड़काव करें। चने की फसल में दीमक से बचाव के लिए बीजों को फिप्रोनिल 5 एससी 10 मिली या इमीडाक्लोप्रिड 600 एफएस का 5 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार कर बुवाई करें।

चने की बुवाई के लिए क्या है बीज की उचित मात्रा (What is the appropriate quantity of seeds for sowing gram)

चने की बुवाई में बीज की उचित मात्रा रखनी चाहिए। यदि छोटे दाने वाली किस्म की बुवाई कर रहे हैं तो 50 से 60 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से बीज की मात्रा रखें। वहीं बड़े दानों वाली किस्म के लिए 100 किलोग्राम बीज दर रखनी चाहिए। इसके अलावा पछेती बुवाई के लिए 90 से लेकर 100 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए। काबुली किस्म के लिए बीज की मात्रा 100 से 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर पर्याप्त रहती है।

चने की बुवाई का क्या है सही तरीका (What is the right way to sow gram)

  • चने की बुवाई समुचित नमी वाले खेत में सीडड्रिल की सहायता से करें।
  • यदि खेत में नमी कम हो तो बीज को नमी के संपर्क में लाने के लिए बुवाई गहराई में करें तथा पाटा लगाएं।
  • पौधों की संख्या 25 से 30 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से रखें।
  • बुवाई के समय कतार से कतार के बीच की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें।
  • पंक्तियों (कूंड़ों) के बीच की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखे ।
  • सिंचित अवस्था में काबुली चने में कूंडों के बीच की दूरी 45 सेमी रखनी चाहिए। वहीं देरी से बुवाई की अवस्था में कतार से कतार की दूरी घटाकर 25 सेमी रखें।

चने की बुवाई में किन बातों का रखें ध्यान (What things should be kept in mind while sowing gram)

  • जिस खेत में चने की बुवाई करनी हो वह खेत फसल अवशेषों से मुक्त होना चाहिए। वहीं भूमि में फफूंदों का विकास नहीं होना चाहिए।
  • अपने क्षेत्र के अनुसार चने की किस्म का चुनाव करना चाहिए और हमेशा बुवाई के लिए प्रमाणिक बीज का ही उपयोग करना चाहिए।
  • बीजों का उपचार करते समय अपनी सुरक्षा के लिए पूरे कपड़े पहने, मुंह पर मास्क लगाएं और हाथों में दस्ताने अवश्य पहनें।

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