खरबूजे की खेती : कम समय में ज्यादा कमाई के लिए करें खरबूजे की खेती

Share Product Published - 26 Mar 2022 by Tractor Junction

खरबूजे की खेती : कम समय में ज्यादा कमाई के लिए करें खरबूजे की खेती

जानें, खरबूजे की खेती कैसे करें और खरबूजे की उन्नत किस्में 

केन्द्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर किसानों को कृषि कार्यों से लेकर फसलों, कृषि यंत्रों आदि पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कराती है। इससे किसानों को खेती के लाभ के साथ सरकार से भी आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। यही कारण है की किसानों का रुझान खेती के प्रति बढ़ने लगा है। अब देश के अधिकतर नागरिक जो ग्रामीण क्षेत्र से है वे नौकरी छोड़ खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। आपको बता दें कि अभी मार्च का महीना समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में किसान रबी सीजन की फसलें खेतों से निकालने की तैयारी कर रहे है। रबी सीजन की फसलों के बाद किसानों के खेत चार महीने तक खाली रहते हैं और इन खाली खेतों में अब जून में बारिश होने के बाद बोवनी होगी। इस बीच किसान अपने खाली खेत में खरबूज-तरबूज की खेती कर लाभ कमा सकता है। गर्मी के दिनों में खरबूज-तरबूज खूब बिकेंगे और खाली पड़ी जमीन का उपयोग भी हो जाएगा। गर्मी के दिनों में खरबूजे की खेती कर एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 250 किवंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। जिससे किसान इसकी एक बार की फसल से 3 से 4 लाख की कमाई कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। खरबूजे के बीज पर सरकार से 35 फीसदी तक का अनुदान भी मिलता है। तो चलिए आज ट्रैक्टरजंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको खरबूजे की खेती कैसे करें (how to cultivate melon) तथा खरबूजे बीज पर होने वाले लाभ एवं सब्सिडी के बारे में जानकारी को साझा करने जा रहे हैं। खरबूजे की उन्नत खेती करने के लिए इस पोस्ट को अंत तक ध्यान पूर्वक जरूर पढ़े।

Kharbuja Ki Kheti : खरबूजे का इस्तेमाल 

खरबूजा एक कद्दूवर्गीय फसल है, जिसे नगदी फसल के रूप में उगाया जाता है। इसके पौधे लताओं के रूप में विकास करते हैं। इसके फलो को विशेष रूप से खाने के लिए इस्तेमाल करते है, जो स्वाद में अधिक स्वादिष्ट होता है। इसके फलो का सेवन जूस या सलाद के रूप में कर सकते है, तथा खरबूजे के बीजो को मिठाइयों में इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसा फल है, जिसे गर्मियों में अधिक मात्रा में खाने के लिए इस्तेमाल में लाते है। इसके फलो में 90 प्रतिशत पानी तथा 9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पायी जाती है, जो आपको हाइड्रेट रखता है।

खरबूजे के बीज में पाये जाने वाले पौष्टिक तत्व 

खरबूजे का बीज अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। खरबूजे में प्रोटीन 32.80 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट्स 22.874 प्रतिशत, फैट 37.167 प्रतिशत, फाइबर 0.2 प्रतिशत, नमी (मॉइस्चर) 2.358 प्रतिशत, एश 4.801 प्रतिशत ऊर्जा 557.199 केसीएएल (प्रति 100 ग्राम) खरबूजे में प्रचूर मात्रा में मौजूद रहते है। इन पोषक तत्वों के अलावा भी खरबूजे के बीज में कई अन्य पोषक तत्व जैसे शर्करा के अलावा कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्रीशियम, मैगनीज व सोडियम और विटामिन ए, बी भी भरपूर मात्रा में होते हैं।

खरबूजे की उन्नत किस्में / खरबूजे की किस्में

  • पूसा शरबती (एस-445) : फल गोल, मध्यम आकार व छिलका हल्के गुलाबी रंग लिए होता है। छिलका जालीदार, गूदा मोटा एवं नारंगी रंग का होता है। एक बेल पर 3-4 फल लगते हैं।
  • पूसा मधुरस : फल गोल, चपटे, गहरे हरे रंग के धारीयुक्त होते है। गूदा रस से भरा हुआ एवं नारंगी रंग का होता है। फल का औसत वजन 700 ग्राम होता है और एक बेल पर 5 फल तक लगते हैं।
  • हरा मधु : फल का औसत भार एक किलो और फलों पर हरे रंग की धारियां पाई जाती है । फल पकने पर हल्के पीले पड़ जाते है। गूदा हल्का हरा, 2-3 सेमी मोटा व रसीला होता है।
  • आई.वी.एम.एम.3 : फल धारीदार एवं पकने पर हल्के पीले रंग के होते हैं। फल काफी मीठे एवं गूदा नारंगी रंग का होता है। फल का औसत वजन 500 से 600 ग्राम होता है।
  • पंजाब सुनहरी : इस किस्म की लता मध्यम लंबाई की, फल गोलाकार एवं पकने पर हल्का पीले रंग का,गूदा नारंगी रंग का तथा रसदार होता है।
  • इसके अलावा भी खरबूजे की कई उन्नत किस्मों को अधिक उत्पादन देने के लिए उगाया जा रहा है, जो इस प्रकार है:- दुर्गापुरा मधु, एम- 4, स्वर्ण, एम. एच. 10, हिसार मधुर सोना, नरेंद्र खरबूजा 1, एम एच 51, पूसा मधुरस, अर्को जीत, पंजाब हाइब्रिड, पंजाब एम. 3, आर. एन. 50, एम. एच. वाई. 5 और पूसा रसराज आदि।

खरबूजे की खेती के उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और समय 

खरबूजे की खेती के लिए हल्की रेतीली बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती के लिए भूमि उचित जल निकास वाली होनी चाहिए, क्योकि जलभराव की स्थिति में इसके पौधों पर अधिक रोग देखने को मिल जाते है। इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। जायद के मौसम को खरबूजे की फसल के लिए अच्छा माना जाता है। इस दौरान पौधों को पर्याप्त मात्रा में गर्म और आद्र जलवायु मिल जाती है। इसके बीजो को अंकुरित होने के लिए आरम्भ में 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा पौधों के विकास के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान जरूरी होता है।

खरबूजे की खेती के लिए खेत की तैयारी एवं उवर्रक मात्रा

खरबूजे की खेती के लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर दी जाती है। जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेवा कर दिया जाता है, पलेवा करने के कुछ दिन बाद कल्टीवेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है। मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद खेत में पाटा चलाकर भूमि को समतल कर दिया जाता है। इसके बाद खेत में बीज रोपाई के लिए उचित आकार की क्यारियों को तैयार कर लिया जाता है। इसके अलावा यदि आप बीजो की रोपाई नालियों में करना चाहते है, भूमि पर एक से डेढ़ फीट चौड़े और आधा फीट गहरी नालियों को तैयार करना होता है। तैयार की गयी इन क्यारियों और नालियों में जैविक और रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए आरम्भ में 200 से 250 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में देना होता है। इसके अतिरिक्त रासायनिक खाद के रूप में 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 30 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति हेक्टेयर में तैयार नालियों और क्यारियों में देना होता है। जब खरबूजे के पौधों पर फूल खिलने लगे उस दौरान 20 किलोग्राम यूरिया की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होता है। 

खरबूजे के बीजों की बुवाई का तरीका और सही समय 

खरबूजे की खेती में रोपाई बीज और पौध दोनों ही रूप में की जा सकती है। एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन एक से डेढ़ किलो बीजों की आवश्यकता होती है, तथा बीज रोपाई से पूर्व उन्हें कैप्टान या थिरम की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है। इससे बीजों को आरम्भ में लगने वाले रोग का खतरा कम हो जाता है। इन बीजों को क्यारियों और नालियों के दोनों ओर लगाया जाता है। इन बीजों को दो फीट की दूरी और 2 से 3 सेमी की गहराई में लगाया जाता है। बीज रोपाई के पश्चात् टपक विधि द्वारा खेत की सिंचाई कर दी जाती है। खरबूजों के बीजों की रोपाई फरवरी के महीने में की जाती है तथा अधिक ठंडे प्रदेशो में इसे अप्रैल और मई के माह में भी लगाया जाता है। इसकी प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है। बाद में सप्ताह में दो सिंचाई की आवश्यकता होती है, तथा बारिश का मौसम हो तो जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई करे।

खरबूजे की खेती पर खर्च, पैदावार, तुड़वाई और लाभ

एक हेक्टेयर खरबूज की खेती पर लगने वाला खर्च 1,000 रू. के लगभग 3 से 5 किलोग्राम बीज 3,000 रू, खेत तैयारी, रोपाई और खाद 6,000 रू, तुडाई पर मजदूरी 3,000 रू, कीटनाशक का उपयोग 13,000 रू कुल खर्च तुड़ाई: बीज रोपाई के 90 से 95 दिन पश्चात फसल तैयार हो जाती है। फल अंतिम छोर से पकना शुरू करता है। जिससे फल का रंग बदल जाता है। उस दौरान इसके फलों की तुड़ाई कर ली जाती है। एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 250 किवंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है। खरबूजे का बाजार भाव 15 से 20 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान इसकी एक बार की फसल से 3 से 4 लाख की कमाई कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। 

खरबूजे के बीजों पर आय का गणित 

इसके अतिरिक्त इसके बीजों से भी आय की जा सकती है। बीज पर आय का गणित 6 क्विंटल बीज उत्पादन 15,000 रू क्विंटल बिकता है 90,000 रू. की आय। आय में से खर्च हटाने के बाद बीजों पर शुद्ध मुनाफा 77,000 रू प्रति हेक्टेयर होता है।

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