Published - 21 Mar 2022 by Tractor Junction
आजकल हाईटैक खेती का जमाना है। कृषिजगत में नये-नये इनोवेशन हो रहे हैं। कृषि को आधुनिकतम बनाने और आसान करने के लिए सरकारें भी कई प्रकार के कदम उठा रही हैं। बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने हाल ही पेश किए गए कृषि बजट में कृषि को डिजिटल बनाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं। सरकार का मानना है कि कृषि को आधुनिक बनाने से ही किसानों के दिन सुधरेंगे। उनकी आय बढ़ेगी और वे नई तकनीक से खेती करना सीखेंगे। इसके लिए सरकार ने बाकायदा एक मिशन चलाने की योजना तैयार की है। यह मिशन जल्द ही शुरू किया जाएगा। इसमें कृषि के डिजिटलीकरण पर पूरा फोकस होगा। वहीं किसानों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठा सकती है। आइए, जानते हैं क्या है तमिलनाडु सरकार का कृषि डिजिटलीकरण मिशन और इससे किसानों को क्या-क्या लाभ होंगे?
बता दें कि तमिलनाडु सरकार के कृषि डिजीटलीकरण मिशन में सरकार कृषि के आधारभूत संरचना के विकास पर ज्यादा जोर देगी। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल को लेकर किसानों को जागरूक बनाया जाएगा। तमिलनाडु सरकार ने कृषि बजट में कृषि को बेहतर बनाने के लिए कई प्रकार की घोषणाएं की हैं। अब मृदा परीक्षण के लिए किसानों को जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा वहीं मिट्टी की जांच रिपोर्ट ऑनलाइन ही उपलब्ध हो जाएगी। तमिलनाडु के कृषि मंत्री एमआरके पनीरसेल्वम ने कहा है कि केंद्र सरकार के डिजिटल मिशन पर बल देते हुए कहा है कि किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच के कार्ड से खुद के स्तर पर ऐप डाउनलोड कर मिट्टी की रिपोर्ट जांच सकेंगे। इनका यह भी कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब तमिलनाडु के तिरुवरुवर जिले के मन्नारगुडी के किसान अपने खेेत की मिट्टी की जांच रिपोर्ट बिना जांच केंद्र जाए ही डाउनलोड कर पाएंगे।
तमिलनाडु के कृषि मंत्री एमआरके पनीरसेल्वम ने कहा है कि किसान ऐसी फसल का चुनाव भी कर सकेंगे जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर सके। इतना ही नहीं वही अपने खेतों में कीटनाशकों के छिडक़ाव के लिए ड्रोन भी बुक करवा सकेंगे। तमिलनाडु सरकार ने कृषि को टिकाऊ और फायदेमंद बनाने के लिए तकनीकी तौर पर कृषि को विकसित करने का जिक्र अपने बजट में किया है।
बता दें कि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से किसानों के लिए एक विशेष पोर्टल बनाने की योजना भी सरकार की है। इस पोर्टल का नाम तमिलमान वलम होगा। इस पोर्टल के माध्यम से किसानों को उनके खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता और खेत की स्थिति की जानकारी सर्वेक्षण संख्या के अनुसार मिलेगी। इसके बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति के आधार पर किसानों को कृषि और बागवानी फसलों को लगाने के लिए किसानों को सलाह दी जाएगी।
बता दें कि तमिलनाडु सरकार के कृषि सचिव सी मायामूर्ति ने कहा है कि खेती में मिट्टी की गुणवत्ता बहुत हद तक उत्पादन को प्रभावित करती है। अभी तक अनेक किसान इस बात से अनजान हैं पर अब किसानों के लिए इसे आसान बनाया जा रहा है। सर्वेक्षण संख्या और पट्टा विवरण दर्ज करने के बाद स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त कर सकते हैं। कृषि सचिव ने कहा कि विभाग द्वारा राज्य के सभी जिलों में मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है। राज्य में कावेरी डेल्टा सहित सात कृषि जलवायु क्षेत्र हैं। ये उच्च वर्षा, रेनशेड एरिया एवं पहाड़ी की ऊंचाई वाले हैं। विभाग द्वारा जल्द ही इन क्षेत्रों को 1330 सूक्ष्म कृषि जलवायु क्षेत्रों में वर्गीकृत करेगा। इसी आधार पर फसलों का निर्धारण भी किया जाएगा।
यहां बता दें कि फसलों में कीटों के प्रकोप की निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। एसएमएस एडवाईजरी के जरिए किसानों को तत्काल प्रबंधन के गुर सिखाए जाएंगे। इस कार्य के लिए तमिलनाडु ई गवर्नेंस ऐजेंसी का सहयोग लिया जाएगा। इसकी निगरानी के लिए एक अलग सेल बना हुआ है। कृषि यांत्रिकीकरण के अंतर्गत ड्रोन योजना के तहत 60 ड्रोन राज्य और केंद्र के बजट से खरीदे जाएंगे। इसके अलावा फसल की वृद्धि के लिए ड्रोन से कीटनाशक दवाओं का स्प्रे करने का प्रशिक्षण किसानों को दिया जाएगा।
आजकल डिजिटल कृषि की हर तरफ चर्चा है। यह डिजिटल एग्रीकल्चर क्या है? इस संदर्भ में बता दें कि डिजिटल कृषि सूचना एवं प्रोद्योगिकी एवं डेटा पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित खेती है। इसमें खेती को लाभदायक एवं टिकाउ बनाने के लिए सूचना एवं सेवाओं के विकास को प्राथमिकता दी जाती है।
डिजीटल कृषि के कई लाभ है जो किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रेरित करते हैं। ये इस प्रकार हैं-:
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