प्रकाशित - 14 Jan 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान अपनी इनकम बढ़ाने के लिए कई तरह की फसल की खेती करते हैं। किसान पारंपरिक फसलों की खेती के साथ ही यदि अलग-तरह की फसलों की खेती करे तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। पारंपरिक फसल से यहां तात्पर्य ऐसी फसल से है जिसकी खेती किसान साल दर साल करता आ रहा है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि पारंपरिक फसलों की खेती के साथ इन कुछ विशेष फसल की खेती करें ताकि उसे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। खजूर की खेती (Date palm cultivation) किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है।
खास बात यह है कि खजूर की खेती (date palm cultivation) बंजर जमीन और खारे पानी में भी की जा सकती है। इसका उदाहरण राजस्थान है, जहां कई जगहों पर पानी में अधिक टीडीएस मात्रा पाई जाती है। इसके बावजूद यहां के किसान खजूर की खेती करके काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इतना ही नहीं खजूर की खेती के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी (Subsidy) का लाभ भी प्रदान किया जाता है।
किसान खजूर के एक पेड़ से सालाना 50,000 रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं। यदि किसान खजूर के 10 पेड़ तैयार कर लेते हैं तो उन्हें खजूर की खेती से सालाना 5 लाख रुपए की कमाई आसानी से हो सकती है। वहीं किसान इससे भी ज्यादा खजूर के पेड़ तैयार कर लेते हैं तो उन्हें इससे भी ज्यादा इनकम हो सकती है। बता दें कि एक एकड़ में 70 खजूर के पौधे लगाए जा सकते हैं।
साधारणत: खजूर को बीज से ही लगाया जाता है, लेकिन इसकी शाखा से भी इसकी रोपाई की जा सकती है। शाखा से लगाए गए पौधों में उस पौधे के गुण आते हैं जिस पौधे से वह शाखा ली गई है, लेकिन भारत में अधिकतर खजूर को बीज की सहायता से ही उगाया जाता है। इसके लिए पहले नर्सरी में पौधा तैयार किया जाता है। इसके बाद पौधा जब खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाए तो उसे खेत में लगाया जाता है। यदि आप स्वयं इसकी नर्सरी तैयार नहीं कर सकते तो आप सरकारी नर्सरी से भी खजूर के पौधे लाकर लगा सकते हैं। खजूर की कई किस्में है जिनमें बरही, खुनेजी, हिल्लावी, जामली, खदरावी आदि आती है। यह खूजर की काफी अच्छी किस्में मानी जाती है। बता दें कि खजूर की खेती में प्रति हैक्टेयर खजूर के 148 मादा पौधों के लिए 8 नर पौधे होना जरूरी है। ऐसे में एक हैक्टेयर में इसके मादा व नर पौधों की संख्या 148:8 अनुपात में रखी जाती है।
खजूर की खेती के लिए किसानों को राज्य सरकार की ओर से 75 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके लिए समय-समय पर किसानों से आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। यदि बात करें राजस्थान की तो यहां राज्य सरकार राष्ट्रीय कृषि योजना (National agricultural scheme) के तहत किसानों को खजूर की 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी किसनों को टिश्यू कल्चर तकनीक एवं ऑफशूट तकनीक का प्रयोग कर उत्पादित खजूर पौधों के रोपण के लिए दी जाती है। ऐसे में किसानों को टिश्यू कल्चर व ऑफशूट तकनीक का प्रयोग करके ही खेती करनी चाहिए।
खजूर की खेती किसानों के लिए तो लाभकारी है ही, साथ ही इससे प्राप्त खजूर हमारी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। खजूर में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते है। इसमें 75 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 8 प्रतिशत आयरन, पोटेशियम, कॉपर, मैग्नीशियम, 8 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है। इसके अलावा इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन बी 6 पाया जाता है। खजूर में इतने पोषक तत्व होने से इसका सेवन विशेष रूप में सर्दियों के मौसम में किया जाता है, क्योंकि सर्दियों के मौसम में हमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसे खाने से शरीर को तुरंत ऊर्जा प्राप्त होती है। खजूर का नियमित सेवन करने से कब्ज की परेशानी नहीं रहती है, पाचन शक्ति में सुधार होता है। वहीं इसमें पाये जाने वाले आयरन व कॉपर शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारने में सहायक हैं। इस तरह खजूर की खेती और इसका इस्तेमाल दोनों ही फायदेमंद है।
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